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32 साल बाद सोमवती अमावस्या पर बना विशेष संयोग, सौभाग्यवती महिलाओं के लिए है विशेष दिन

आज सोमवती अमावस्या है. जानकारों के मुताबिक 32 साल बाद ऐसा विशेष संयोग बना है, जब श्रावण में ही तीसरे सोमवार को सोमवती अमावस्या पड़ी है.

somwati amavasya
सोमवती अमावस्या
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Published : Jul 20, 2020, 1:00 PM IST

शहडोल। सोमवती अमावस्या का दिन सौभाग्यवती महिलाओं के लिए बहुत ही विशेष होता है. इस दिन को सनातन धर्म में बहुत ही खास माना जाता है. इस दिन सभी सौभाग्यवती महिलाएं सुबह से उठकर स्नान कर विशेष पूजा-अर्चना करती हैं. जानकारों के मुताबिक, इस साल 32 साल बाद संयोग बना है, जिस वजह से ये दिन और भी विशेष हो गया है.

सोमवती अमावस्या


आज है सोमवती अमावस्या
आज सोमवती अमावस्या है. आज के दिन सुबह से ही वट और पीपल के पेड़ के पास सौभाग्यवती महिलाएं पूजा-अर्चना करती है, उस वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करती रही हैं, साथ ही वहां पर फल-फूल और सौभाग्य की चीजें चढ़ाती हैं. मान्यता है कि, इस दिन पूजा अर्चना करने से पति की आयु बढ़ती है, संतान की रक्षा होती है, धन समृद्धि होती है और घर में शांति रहती है.

32 साल बाद बना है ऐसा संयोग

ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, आज सोमवती अमावस्या है और ऐसा संयोग 32 साल बाद मिल रहा है, कि श्रावण का महीना चल रहा है, तीसरा सोमवार है और सोमवती अमावस्या भी है. ये बहुत ही शुभ संयोग है. ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि, जो सौभाग्यवती स्त्रियां पहली बार सोमवती अमावस्या का व्रत करती हैं उन्हें धान और पान, वहां पर चढ़ाकर 108 बार पीपल या फिर वट वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए. इससे उनको सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति की आयु बढ़ती है.

इसलिए सोमवती अमावस्या है खास

ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री सोमवती अमावस्या को विशेष मानने के पीछे एक कथा बताते हैं, जिसमें वो कहते हैं, सोमवती अमावस्या को इसलिए बहुत खास माना जाता है क्योंकि, जब माता पार्वती तपस्या कर रही थीं, तभी सोमवती अमावस्या आई. उसी दिन माता पार्वती वट वृक्ष की परिक्रमा कर रही थी. इस दौरान ब्रह्मा जी आए और उन्होंने ये वरदान दिया था कि, इस दिन जो भी सौभाग्यवती महिला वटवृक्ष या पीपल के पेड़ की पूजा करेगी और 108 बार उसकी परिक्रमा करेगी, उसके पति की आयु में वृद्धि होगी, संतान सुख मिलेगा, सौभाग्य मिलेगा, सुख-समृद्धि बनी रहेगी और धनसंपदा भी बनी रहेगी. इसके अलावा सारे पाप धुल जाएंगे, पुण्य की प्राप्ति होगी, कुल मिलाकर सबकुछ बेहतर हो जाएगा.

गौरतलब है कि, आज के दिन सौभाग्यवती महिलाएं ये पूजा बड़े ही उत्साह के साथ करती हैं. इस बार भी ऐसा देखने को मिल रहा है, लेकिन इस पूजा में भी कोरोना काल का असर दिख रहा है. उतनी भीड़ नजर नहीं आ रही है, जितनी हर साल होती थी. महिलाएं पूजा करने तो आ रही हैं, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग भी बना रही हैं. कई जगहों पर ये देखने को भी मिला कि, महिलाएं ज्यादा भीड़ में न फंसे, जिसके लिए आज सुबह से ही पीपल के पेड़ और वट वृक्ष के पास वो पूजा करने पहुंची.

शहडोल। सोमवती अमावस्या का दिन सौभाग्यवती महिलाओं के लिए बहुत ही विशेष होता है. इस दिन को सनातन धर्म में बहुत ही खास माना जाता है. इस दिन सभी सौभाग्यवती महिलाएं सुबह से उठकर स्नान कर विशेष पूजा-अर्चना करती हैं. जानकारों के मुताबिक, इस साल 32 साल बाद संयोग बना है, जिस वजह से ये दिन और भी विशेष हो गया है.

सोमवती अमावस्या


आज है सोमवती अमावस्या
आज सोमवती अमावस्या है. आज के दिन सुबह से ही वट और पीपल के पेड़ के पास सौभाग्यवती महिलाएं पूजा-अर्चना करती है, उस वृक्ष की 108 बार परिक्रमा करती रही हैं, साथ ही वहां पर फल-फूल और सौभाग्य की चीजें चढ़ाती हैं. मान्यता है कि, इस दिन पूजा अर्चना करने से पति की आयु बढ़ती है, संतान की रक्षा होती है, धन समृद्धि होती है और घर में शांति रहती है.

32 साल बाद बना है ऐसा संयोग

ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि, आज सोमवती अमावस्या है और ऐसा संयोग 32 साल बाद मिल रहा है, कि श्रावण का महीना चल रहा है, तीसरा सोमवार है और सोमवती अमावस्या भी है. ये बहुत ही शुभ संयोग है. ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि, जो सौभाग्यवती स्त्रियां पहली बार सोमवती अमावस्या का व्रत करती हैं उन्हें धान और पान, वहां पर चढ़ाकर 108 बार पीपल या फिर वट वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए. इससे उनको सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति की आयु बढ़ती है.

इसलिए सोमवती अमावस्या है खास

ज्योतिषाचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री सोमवती अमावस्या को विशेष मानने के पीछे एक कथा बताते हैं, जिसमें वो कहते हैं, सोमवती अमावस्या को इसलिए बहुत खास माना जाता है क्योंकि, जब माता पार्वती तपस्या कर रही थीं, तभी सोमवती अमावस्या आई. उसी दिन माता पार्वती वट वृक्ष की परिक्रमा कर रही थी. इस दौरान ब्रह्मा जी आए और उन्होंने ये वरदान दिया था कि, इस दिन जो भी सौभाग्यवती महिला वटवृक्ष या पीपल के पेड़ की पूजा करेगी और 108 बार उसकी परिक्रमा करेगी, उसके पति की आयु में वृद्धि होगी, संतान सुख मिलेगा, सौभाग्य मिलेगा, सुख-समृद्धि बनी रहेगी और धनसंपदा भी बनी रहेगी. इसके अलावा सारे पाप धुल जाएंगे, पुण्य की प्राप्ति होगी, कुल मिलाकर सबकुछ बेहतर हो जाएगा.

गौरतलब है कि, आज के दिन सौभाग्यवती महिलाएं ये पूजा बड़े ही उत्साह के साथ करती हैं. इस बार भी ऐसा देखने को मिल रहा है, लेकिन इस पूजा में भी कोरोना काल का असर दिख रहा है. उतनी भीड़ नजर नहीं आ रही है, जितनी हर साल होती थी. महिलाएं पूजा करने तो आ रही हैं, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग भी बना रही हैं. कई जगहों पर ये देखने को भी मिला कि, महिलाएं ज्यादा भीड़ में न फंसे, जिसके लिए आज सुबह से ही पीपल के पेड़ और वट वृक्ष के पास वो पूजा करने पहुंची.

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