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लॉकडाउन ने छीना रोजगार, फेरीवाले व्यापारियों का हाल हुआ बेहाल

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Published : Jul 8, 2020, 5:59 PM IST

Updated : Jul 8, 2020, 6:12 PM IST

गांव-गांव, गली-गली में फेरी लगाकर सामान बेचने वाले और अपने परिवार का पेट पालने वाले व्यापारियों के सामने दो जून की रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है.

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फेरीवालों का हाल बेहाल

शहडोल। एक ओर जहां कोरोना महामारी अपने कहर से लोगों को डरा रही है, तो वहीं कोरोना काल ने लोगों की जिंदगी पूरी तरह से पलट कर रख दी है. लॉकडाउन ने लोगों के रोजगार पर इस कदर हाथ डाला है कि अब वे पाई-पाई खर्च करने से पहले भी सौ बार सोच रहे हैं. यही वजह है कि अब गांव-गांव गली-गली घूम-घूमकर अपने परिवार का पेट पालने वालों के सामने रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है.

फेरीवालों का हाल बेहाल
गावों में ये चलन है कि गांव-गांव छोटे व्यापारी फेरी लगाकर अलग-अलग व्यापार करते हैं, घर-घर सामान पहुंचाते हैं. कोई पैदल ही तीन से चार गांवों में फेरी लगाता है तो कोई साइकिल से घर-घर पहुंचकर अपने सामान को बेचने की कोशिश करता है. लेकिन इन दिनों इन छोटे व्यापारियों की मेहनत पूरी तरह से व्यर्थ जा रही है. अब दिनभर फेरी लगाकर दो जून की रोटी कमाना भी इन पर भारी पड़ रहा है.


बहुत दिक्कत है साहब

गांव-गांव फेरी लगाने बर्तन बेचने वाले बर्तन व्यापारी मिश्री लाल ने बताया कि इन दिनों बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है साहब. पिछले 30 साल से हम बर्तन का व्यापार इसी तरह फेरी लगाकर कर रहे हैं, लेकिन कोरोनाकाल जैसा समय कभी नहीं देखा. पहले दिनभर में 500 रुपए करीब कमा लेते थे और अब 100 रुपए से 200 रुपए भी मुश्किल हो गया है. अब तो परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

कम कमाई की वजह बताते हुए मिश्री लाल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से लोगों का पैसा खत्म हो गया है. नया काम कर नहीं पाए हैं और अब उनके पास पैसे ही नहीं हैं तो वो बर्तन कहां से खरीदें. लोग जरूरी सामान ही खरीदते हैं. ऐसे में धंधा डाउन न रहे तो क्या रहें. मिश्री लाल कहते हैं कि दो जून की रोटी खाने को भी अब कमाना मुश्किल हो रहा है.

दुकानवाला बना फेरीवाला, धंधा फिर भी मंदा

राकेश गुप्ता कपड़े के व्यापारी हैं. पिछले 20 साल से कपड़े का धंधा कर रहे हैं. उनका छोटा-सा व्यापार है. लेकिन इस कोरोनालाल मे ये भी टूट गए. घर चलाने के लिए सब्जी भी बेचना पड़ा और अब भी बाजार बंद है, इसलिए वे दुकान के बदले फेरी वाले बन गए.

राकेश गुप्ता इन दिनों मोटर साइकिल में फेरी लगाकर गांव-गांव कपड़ा बेच रहे हैं. राकेश पहले तीन से चार हाट बाजार अटेंड करते थे और वहीं दुकान लगाकर कपड़े का व्यापार करते थे, जिस वजह से उनका घर अच्छा चल रहा था लेकिन अब फेरी वाले व्यापारी बन गए हैं. घर-घर जाकर कपड़े बेचते हैं लेकिन धंधा यहां भी मंदा है. राकेश गुप्ता कहते हैं कि पहले 10 हजार महीने तक प्रोफिट कमा लेते थे अब तो दो से तीन हजार ही कमा पाते हैं.

राकेश गुप्ता कहते हैं कि पांच परसेंट का धंधा है. पेट सामने है. धंधा पानी चल नहीं रहा है. अब हम क्या करें. लोग कहते हैं पैसा नहीं है, अभी नहीं लेंगे. गुस्से में कभी-कभी लोग गलत शब्द भी इस्तेमाल कर देते हैं लेकिन क्या करें सब सहना पड़ता है. बाजार बंद है. बहुत भारी संकट है. अब तो घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

अब तो फेरी वाले भी कम आ रहे नजर

ग्रामीण शंभु गुप्ता बताते हैं कि लॉकडाउन के पहले गांव में फेरी वालों का आना-जाना लगा रहता था. लोग सामान भी काफी खरीदते थे, लेकिन पहले की अपेक्षा अब लॉकडाउन के दौरान कम फेरी वाले नजर आ रहे हैं.

गौरतलब है कि इस कोरोनाकाल ने लोगों के लिए बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. हर वर्ग परेशान है. एक ओर लोगों के पास पैसे नहीं है, तो वहीं दूसरा ओर व्यापारियों का व्यापर मंदा है. छोटे व्यापारियों के साथ जो गांव-गांव फेरी लगाकर व्यापार करते हैं, उनके लिए पूंजी निकालना मुश्किल हो रहा है.

शहडोल। एक ओर जहां कोरोना महामारी अपने कहर से लोगों को डरा रही है, तो वहीं कोरोना काल ने लोगों की जिंदगी पूरी तरह से पलट कर रख दी है. लॉकडाउन ने लोगों के रोजगार पर इस कदर हाथ डाला है कि अब वे पाई-पाई खर्च करने से पहले भी सौ बार सोच रहे हैं. यही वजह है कि अब गांव-गांव गली-गली घूम-घूमकर अपने परिवार का पेट पालने वालों के सामने रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है.

फेरीवालों का हाल बेहाल
गावों में ये चलन है कि गांव-गांव छोटे व्यापारी फेरी लगाकर अलग-अलग व्यापार करते हैं, घर-घर सामान पहुंचाते हैं. कोई पैदल ही तीन से चार गांवों में फेरी लगाता है तो कोई साइकिल से घर-घर पहुंचकर अपने सामान को बेचने की कोशिश करता है. लेकिन इन दिनों इन छोटे व्यापारियों की मेहनत पूरी तरह से व्यर्थ जा रही है. अब दिनभर फेरी लगाकर दो जून की रोटी कमाना भी इन पर भारी पड़ रहा है.


बहुत दिक्कत है साहब

गांव-गांव फेरी लगाने बर्तन बेचने वाले बर्तन व्यापारी मिश्री लाल ने बताया कि इन दिनों बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है साहब. पिछले 30 साल से हम बर्तन का व्यापार इसी तरह फेरी लगाकर कर रहे हैं, लेकिन कोरोनाकाल जैसा समय कभी नहीं देखा. पहले दिनभर में 500 रुपए करीब कमा लेते थे और अब 100 रुपए से 200 रुपए भी मुश्किल हो गया है. अब तो परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.

कम कमाई की वजह बताते हुए मिश्री लाल ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से लोगों का पैसा खत्म हो गया है. नया काम कर नहीं पाए हैं और अब उनके पास पैसे ही नहीं हैं तो वो बर्तन कहां से खरीदें. लोग जरूरी सामान ही खरीदते हैं. ऐसे में धंधा डाउन न रहे तो क्या रहें. मिश्री लाल कहते हैं कि दो जून की रोटी खाने को भी अब कमाना मुश्किल हो रहा है.

दुकानवाला बना फेरीवाला, धंधा फिर भी मंदा

राकेश गुप्ता कपड़े के व्यापारी हैं. पिछले 20 साल से कपड़े का धंधा कर रहे हैं. उनका छोटा-सा व्यापार है. लेकिन इस कोरोनालाल मे ये भी टूट गए. घर चलाने के लिए सब्जी भी बेचना पड़ा और अब भी बाजार बंद है, इसलिए वे दुकान के बदले फेरी वाले बन गए.

राकेश गुप्ता इन दिनों मोटर साइकिल में फेरी लगाकर गांव-गांव कपड़ा बेच रहे हैं. राकेश पहले तीन से चार हाट बाजार अटेंड करते थे और वहीं दुकान लगाकर कपड़े का व्यापार करते थे, जिस वजह से उनका घर अच्छा चल रहा था लेकिन अब फेरी वाले व्यापारी बन गए हैं. घर-घर जाकर कपड़े बेचते हैं लेकिन धंधा यहां भी मंदा है. राकेश गुप्ता कहते हैं कि पहले 10 हजार महीने तक प्रोफिट कमा लेते थे अब तो दो से तीन हजार ही कमा पाते हैं.

राकेश गुप्ता कहते हैं कि पांच परसेंट का धंधा है. पेट सामने है. धंधा पानी चल नहीं रहा है. अब हम क्या करें. लोग कहते हैं पैसा नहीं है, अभी नहीं लेंगे. गुस्से में कभी-कभी लोग गलत शब्द भी इस्तेमाल कर देते हैं लेकिन क्या करें सब सहना पड़ता है. बाजार बंद है. बहुत भारी संकट है. अब तो घर चलाना मुश्किल हो रहा है.

अब तो फेरी वाले भी कम आ रहे नजर

ग्रामीण शंभु गुप्ता बताते हैं कि लॉकडाउन के पहले गांव में फेरी वालों का आना-जाना लगा रहता था. लोग सामान भी काफी खरीदते थे, लेकिन पहले की अपेक्षा अब लॉकडाउन के दौरान कम फेरी वाले नजर आ रहे हैं.

गौरतलब है कि इस कोरोनाकाल ने लोगों के लिए बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. हर वर्ग परेशान है. एक ओर लोगों के पास पैसे नहीं है, तो वहीं दूसरा ओर व्यापारियों का व्यापर मंदा है. छोटे व्यापारियों के साथ जो गांव-गांव फेरी लगाकर व्यापार करते हैं, उनके लिए पूंजी निकालना मुश्किल हो रहा है.

Last Updated : Jul 8, 2020, 6:12 PM IST
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