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सरकार के लिए संकट मोचन बन रहे किसान, प्रवासी मजदूरों को खेतों में दे रहे हैं काम

महानगरों से लौट रहे मजदूरों के लिए किसान ही संकट मोचन बन रहे हैं. किसान अपने खेतों में काम देकर एक ओर मजदूरों का सहारा बन रहे हैं तो वहीं ये किसान सरकार की मदद भी कर रहे हैं.

Migrants go to work
काम पर जाते प्रवासी मजूदर
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Published : May 23, 2020, 6:54 PM IST

Updated : May 23, 2020, 10:08 PM IST

शहडोल। कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. ये वो लोग हैं जो काम के लिए अपना घर छोड़कर महानगरों की ओर पलायन कर गए थे और अब इस संकट की घड़ी में अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. ऐसे में सरकार के लिए भी ये बड़ी चुनौती साबित हो रही है कि मजदूरों को कैसे रोजगार मुहैया कराया. शहरों से लौटे मजदूरों के पास न खाना है, ना पैसे और न ही रोजगार. ऐसे में सरकार के लिए मजदूरों को रोजगार देना एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है. लेकिन संकट के समय में एक बार फिर से किसान, सरकार की बड़ी मुश्किल का समाधान बनता दिख रहा है.

काम पर लौटते प्रवासी मजूदर

किसान अनिल साहू ने कहा कि खेतों में इस समय खाद डालने का काम शुरु हो गया है. इस काम के लिए आसपास के किसान प्रवासी मजदूरों को खेत में खाद डालने के लिए रोजगार दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जैसे बारिश शुरु होगी वैसे ही किसानों को मजदूरों की खेत में जरुरत होगी.

किसान बनेगा संकट मोचक

किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जब कोरोना आया, लॉकडाउन हुआ तो लोग सबसे पहले अनाज की व्यवस्था में जुटे. उस दौर में भी किसान ही काम आया. किसान सब्जी, दूध, अनाज उपलब्ध करा रहे हैं. खरीफ की फसल की तैयारी शुरू हो चुकी है. शहडोल में खरीफ की खेती बहुत ही बड़ी मात्रा में होती है. ऐसे में किसान खेतों में मजदूरों को काम देकर उन्हें रोजगार मुहैया करा रहे हैं.

खरीफ के सीजन की तैयारी शुरू

शहडोल के किसान खरीफ की फसल की तैयारी में जुट चुके हैं. जहां ज्यादतर ग्रामीण अपने गांव के लोगों को ही रोजगार देते हैं. इतना ही नहीं खरीफ के सीजन की खेती के लिए इस महीने से खेतों की सफाई, खेतों में गर्मी की जुताई, खेतों में गोबर खाद डुलवाई, हल के लिए बैलों की ट्रेनिंग, बिगड़े हुए खेतों को बनाने का काम सब शुरू हो जाता है और इन सब कामों के लिए किसान को मजदूर चाहिए.

खेतों में मिलेगा काम

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह कहते हैं कि किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. कोरोना काल ने उसके महत्व को लोगों के सामने फिर से ला दिया है. कोरोना के समय में लोगों ने सबसे पहले अनाज, ईसेंशियल कमोडिटी में सब्जी और दूध ढूंढा, लेकिन ये सब चीजें किसान के पास मौजूद हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद सिंह कहते हैं कि अब एक चीज और देखेंगे जो भी प्रवासी मजदूर आ रहे हैं. उन्हें अब खेतों में ही रोजगार मिलेगा. कृषि वैज्ञानिक आगे कहते हैं इस कोरोना काल में हमारे किसान कि बड़ी भूमिका बनने वाली है और हमको इस चीज को ध्यान में रखना है कि किसानों की जितनी मदद हो सके उतनी करने की जरूरत है. इस मामले में उन्हें और अधिक जागरूक करने की जरूरत है.

शहडोल। कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों का पलायन जारी है. ये वो लोग हैं जो काम के लिए अपना घर छोड़कर महानगरों की ओर पलायन कर गए थे और अब इस संकट की घड़ी में अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. ऐसे में सरकार के लिए भी ये बड़ी चुनौती साबित हो रही है कि मजदूरों को कैसे रोजगार मुहैया कराया. शहरों से लौटे मजदूरों के पास न खाना है, ना पैसे और न ही रोजगार. ऐसे में सरकार के लिए मजदूरों को रोजगार देना एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है. लेकिन संकट के समय में एक बार फिर से किसान, सरकार की बड़ी मुश्किल का समाधान बनता दिख रहा है.

काम पर लौटते प्रवासी मजूदर

किसान अनिल साहू ने कहा कि खेतों में इस समय खाद डालने का काम शुरु हो गया है. इस काम के लिए आसपास के किसान प्रवासी मजदूरों को खेत में खाद डालने के लिए रोजगार दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि जैसे बारिश शुरु होगी वैसे ही किसानों को मजदूरों की खेत में जरुरत होगी.

किसान बनेगा संकट मोचक

किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जब कोरोना आया, लॉकडाउन हुआ तो लोग सबसे पहले अनाज की व्यवस्था में जुटे. उस दौर में भी किसान ही काम आया. किसान सब्जी, दूध, अनाज उपलब्ध करा रहे हैं. खरीफ की फसल की तैयारी शुरू हो चुकी है. शहडोल में खरीफ की खेती बहुत ही बड़ी मात्रा में होती है. ऐसे में किसान खेतों में मजदूरों को काम देकर उन्हें रोजगार मुहैया करा रहे हैं.

खरीफ के सीजन की तैयारी शुरू

शहडोल के किसान खरीफ की फसल की तैयारी में जुट चुके हैं. जहां ज्यादतर ग्रामीण अपने गांव के लोगों को ही रोजगार देते हैं. इतना ही नहीं खरीफ के सीजन की खेती के लिए इस महीने से खेतों की सफाई, खेतों में गर्मी की जुताई, खेतों में गोबर खाद डुलवाई, हल के लिए बैलों की ट्रेनिंग, बिगड़े हुए खेतों को बनाने का काम सब शुरू हो जाता है और इन सब कामों के लिए किसान को मजदूर चाहिए.

खेतों में मिलेगा काम

कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंद सिंह कहते हैं कि किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. कोरोना काल ने उसके महत्व को लोगों के सामने फिर से ला दिया है. कोरोना के समय में लोगों ने सबसे पहले अनाज, ईसेंशियल कमोडिटी में सब्जी और दूध ढूंढा, लेकिन ये सब चीजें किसान के पास मौजूद हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ. मृगेंद सिंह कहते हैं कि अब एक चीज और देखेंगे जो भी प्रवासी मजदूर आ रहे हैं. उन्हें अब खेतों में ही रोजगार मिलेगा. कृषि वैज्ञानिक आगे कहते हैं इस कोरोना काल में हमारे किसान कि बड़ी भूमिका बनने वाली है और हमको इस चीज को ध्यान में रखना है कि किसानों की जितनी मदद हो सके उतनी करने की जरूरत है. इस मामले में उन्हें और अधिक जागरूक करने की जरूरत है.

Last Updated : May 23, 2020, 10:08 PM IST
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