शहडोल। अगर किसी काम को पूरे शिद्दत के साथ किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जिले के करकटी गांव में रहने वाले किसान (Farmer) राम सजीवन कचेर ने, जोकि महज कुछ एकड़ की जमीन पर व्यवस्थित जैविक खेती (Organic farming) कर रहे हैं, जिससे न केवल क्षेत्र में उनकी एक अलग पहचान बनी, बल्कि उनके जैविक खेती (Organic farming) की इस प्रक्रिया को देखने के लिए अब दूर-दूर से लोग यहां पहुंच रहे हैं. इतना ही नहीं इस खेती के दम पर राम सजीवन पटेल सालाना लाखों रुपए कमा लेते हैं. किसान अपने इस काम से काफी खुश हैं.
जिला मुख्यालय से लगभग 30 किमी दूर स्थित है करकटी गांव, जहां किसान राम सजीवन कचेर रहते हैं. उन्होंने अपने कुछ सालों के अथक परिश्रम के दम पर जैविक खेती कर क्षेत्र में एक अलग ही पहचान बनाई है. आलम यह है कि अब उनके खेत के इस सिस्टम को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. किसान राम सजीवन कचेर बताते हैं कि वह साल के 12 महीने सब्जी की खेती करते हैं. किसान के पास 2 एकड़ का रकबा एक जगह है और 2 एकड़ का रकबा दूसरी जगह पर है. जहां पर वह टोटल सब्जी की खेती करते हैं.
दूर-दूर से खेती देखने आते हैं किसान
इतना ही नहीं उनकी सब्जी की खेती में विशेष बात यह है कि उन्होंने इन सब्जियों को उगाने में किसी भी प्रकार के न रासायनिक खाद और न ही रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग किया है, बल्कि पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं. उनके खेती करने के इसी तरीके को देखने के लिए अब दूर-दूर से किसान उनके खेत पर पहुंचते हैं. अपने इसी जैविक खेती के दम पर राम सजीवन कचेर अच्छे खासे पैसे भी कमा रहे हैं.
राम सजीवन कचेर बताते हैं कि पहले उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन जब उन्होंने आधुनिक तरीके से और सिस्टमैटिक अंदाज में जैविक खेती करना शुरू की, तो धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी, क्योंकि उन्हें अब सब्जी की खेती से अच्छी खासी आय होने लगी है. राम सजीवन बताते हैं कि वह इतने कम रकबे में ही जैविक सब्जियों की खेती करके सालाना 6 से 7 लाख रुपए कमा लेते हैं, इतनी कमाई हर तरह के खर्च, मजदूरों का खर्च काटने के बाद होती है.
राम सजीवन कचेर बताते हैं कि जैविक खेती करने के लिए उन्होंने एक अलग ही सिस्टम तैयार किया है. जैविक खेती के लिए जरूरी होता है कि जैविक खाद कहां से मिले इसके लिए उन्होंने करीब 11 से 12 देसी गाय अपने घर में पाल रखी हैं, जिससे न केवल उन्हें खाद मिलती है बल्कि इसके माध्यम से डेरी भी खोल रखी है. दूध का भी व्यवसाय कर लेते हैं. इसके बाद गोबर की खाद का इस्तेमाल अपने खेतों पर करते हैं. साथ ही गोमूत्र का इस्तेमाल करके वह जैविक कीटनाशक तैयार करते हैं. जिससे उनके फसलों पर किसी तरह का रोग नहीं लगता है.
किसान ने लगा रखा है गोबर गैस का प्लांट
इतना ही नहीं उन्होंने घर में एक गोबर गैस का प्लांट भी लगा रखा है, इस प्लांट की गैस के जरिए ही यहां रहने वालों मजदूरों के लिए खाना भी तैयार हो जाता है. इसके बाद उस गोबर गैस से गैस तो निकल जाती है और फिर जो गोबर बचता है वह पूरी तरह से जैविक खाद कहलाता है. किसान राम सजीवन कचेर बताते हैं कि वह केचुआ खाद भी तैयार करते हैं. इसके लिए गोबर और चारा इन सबको मिलाकर वह उसे तैयार कर लेते हैं, साथ में डिकॉम्पोजर का सिस्टम भी बना रखा है, और अपने फसलों पर इन खादों का ही इस्तेमाल करते हैं जिससे उनकी फसल खेत पर लहलहाती रहती हैं.
किसान राम सजीवन कचेर बताते हैं कि अभी वर्तमान में उनके खेत पर करेला लगा हुआ है, करेले की फसल को वह अनोखे अंदाज में तैयार कर रहे हैं. एक ही जगह पर ऊपर करेला लगा हुआ है, और नीचे उन्होंने बरिहा लगा दिया है, जिसकी डिमांड इस क्षेत्र में बहुत ज्यादा होती है. मतलब एक ही जगह से वह दो सब्जियों की फसल ले रहे हैं. साथ में लगभग-लगभग उनकी भिंडी की फसल तैयार है. करीब 15 से 20 दिन बाद भिंडी की फसल भी अच्छी खासी निकलनी शुरू हो जाएगी.
राम सजीवन कचेर ने इस बार एक नया प्रयास भी किया है अपने खेत पर उन्होंने करीब 300 मुनगा के नए पौधे लगवाए हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनका के पौधा जब तैयार हो जाएंगे तो उन्हें अच्छा खासा मुनाफा होगा वजह है मुनगा की पत्ती की इस समय अच्छी खासी डिमांड क्षेत्र में है, इसके अलावा मुनगा के फूल भी खूब बिकते हैं और इसके साथ में मुनगा के फल की भी डिमांड है ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि जब मुनगा के पेड़ उनके तैयार हो जाएंगे तो उससे वह लाखों रुपए कमा सकते हैं साथ ही उन्होंने खेत में नींबू की फसल भी लगा रखी है और नींबू से भी वह अच्छा खासा आय कमाने के मूड में हैं.
बाजार में सब्जियों की काफी डिमांड
किसान राम सजीवन कचेर बताते हैं कि उनके खेत से जितनी भी सब्जी निकलती है बेचने के लिए उन्हें कभी परेशान नहीं होना पड़ता । वजह है कि उनकी सब्जियों की डिमांड बहुत ज्यादा रहती है जैसे ही उनकी गाड़ी सब्जी मंडी पहुंचती है बड़े किसान बड़े व्यापारी उनके सब्जियों को खरीदने के लिए गाड़ी के पीछे आ जाते हैं और सबसे पहले उनकी सब्जियां खरीद लेना चाहते हैं वजह है उनकी सब्जियां जैविक होती हैं जिसके चलते 6 से 7 दिन तक फुटकर विक्रेता रखकर उसे बेच सकते हैं वह सब्जियां जल्दी खराब नहीं होती है साथ ही राम सजीवन कचेर बताते हैं कि जैविक सब्जी होने की वजह से उनके सब्जी की फसल मार्केट रेट से 7 से 8 रुपये ज्यादा महंगे दाम पर बिकती है, जिससे उनको एक अलग मुनाफा होता है.
कई और किसानों ने की शुरुआत
किसान राम सजीवन कचेर बताते हैं कि उनके इस खेती किसानी के तरीके को देखने के बाद क्षेत्र के कई अलग-अलग किसान इस पूरे सिस्टम को समझने के लिए यहां आते रहते हैं और देखते हैं उनके गांव के तो कई किसान इस सिस्टम को देखने के बाद खुद भी खेती करना शुरू कर दिए हैं और अब उन्हें इस सब्जी की खेती से अर्निंग होनी भी शुरू हो गई है किसान राम सजीवन कहते हैं कि उनके खेत में हमेशा अब भीड़ लगी ही रहती है.
जानिए जैविक खेती के फायदे
आखिर जैविक खेती के इतने फायदे क्यों होते हैं इसके बारे में कृषि एक्सपर्ट अखिलेश नामदेव बताते हैं की जैविक खेती के फायदे ये हैं कि जहां एक ओर इसमें लागत कम लगती है तो वहीं दूसरी और गुणवत्ता युक्त उत्पादन होता है, जिससे प्रोडक्ट की अच्छी खासी डिमांड भी रहती है। उससे क्या है कि हमारा पर्यावरण भी संरक्षित रहता है और जो इसके सब्जी भाजी का उपयोग करते हैं वह भी स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते हैं क्योंकि जैविक खेती के माध्यम से फसल पर किसी भी तरह का ऐसा रसायन नहीं होता है, जो मानव जाति को नुकसान करे या फिर किसी पशु, पक्षी, जीव, जंतुओं को नुकसान पहुंचाए ये सबसे बड़ा फायदा है। दूसरा फायदा ये है कि इसमें जो लागत है वो कम हो जाती है और किसान का मुनाफा ज्यादा हो जाता है, गुणवत्ता युक्त उत्पादन प्राप्त होने से सबसे बड़ा फायदा यह है कि कि लोग जैविक खेती करने वालों की सब्जियों के फसलों को सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.
हर कोई कर रहा है काम की तारीफ
गौरतलब है कि रामसजीवन कचेर की पहचान अब सब्जियों की जैविक खेती करने के लिए हो गई है. क्षेत्र में उनके इस प्रयास की काफी तारीफ हो रही है. साथ ही जिस तरह से उन्होंने सब्जी की खेती को कमाई का जरिया बनाया, जैविक खेती करके खेती में आने वाली लागत को कम किया और मिट्टी को उपजाऊ बनाते हुए बंपर पैदावार ली. उनके इस काम की तारीफ अब हर कोई कर रहा है.