शहडोल। गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है. इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. बाजार में जगह-जगह गणेश प्रतिमा के स्टॉल लगे हुए हैं. लोग गणेश प्रतिमा को गाजे- बाजे के साथ अपने घर ला रहे हैं. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं जिस घर में गणेश प्रतिमा की स्थापना के बाद विधि विधान से पूजन होता है, उस घर में रिद्धि-सिद्धि का वास होता है. धन का आगमन होता है. अलाय- बलाय दूर होती हैं. शुभ मांगलिक कार्यक्रम होते हैं और पूरे साल घर हराभरा रहता है.
विवाह में रुकावट हो तो ये करें : घरों से लेकर मंदिरों व फैक्ट्रियों के साथ ही दुकानों में स्थापना इसलिए की जाती है, क्योंकि गणेश जी के आगमन से धन-धान्य की भरमार होती है. रिद्धि सिद्धि का घर में निवास होता है. धन का आगमन होता रहता है. जिन लड़कियों के विवाह में रुकावट आ रही है. बात आती है व रुक जाती है. उसमें देरी होती है, ऐसी लड़कियों को मदार के 108 फूलों को गूथ करके माला गणेश जी पर चढ़ाएं तो विवाह के योग बनेंगे. विवाह पक्का होगा. सुंदर व योग्य वर की प्राप्ति होगी.
दुकानों में गणेशजी की स्थापना से ये लाभ : जो लोग दुकानों में पूजन करते हैं, वह इसलिए करते हैं क्योंकि उनके पुत्रों का नाम शुभ लाभ है, जो गणेश जी की पूजन करते हैं तो शुभ लाभ की वहां स्थापना होती है. फैक्टरियों में इसलिए पूजा की जाती है कि वहां पर धन का आगमन होता रहे, क्योंकि जितनी अष्ट सिद्धियां हैं वह सब गणेश जी के पास हैं. इसलिए फैक्ट्रियों में गणेश जी की स्थापना करते हैं. जिससे धन का आगमन हो और सुख शांति बना रही.
किस राशि वाले क्या करें : मेष, सिंह राशि, धनु राशि और मीन राशि वालों को तो विशेष रूप से पूजन करना चाहिए. क्योंकि इन राशियों में शनि और राहु की छाया पड़ने वाली है. गणेश जी की पूजा करने से राहु व शनि का प्रकोप नहीं लगेगा और घर में सुख शांति बनी रहेगी. वातावरण अच्छा रहेगा और कोई भी दुर्घटना नहीं होगी.
ऐसे करें गणेश स्थापना : गणेश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 31 अगस्त को प्रातःकालीन 8:00 से 11:00 है और सायंकालीन 6:00 बजे से लेकर के 10:00 बजे रात तक है. इस बीच में गणेश जी की प्रतिमा लाकर पहले एक टेबल में पीला कपड़ा बिछा लें. वहां गणेश जी की मूर्ति रखें. धूप, दीप, नैवेद्य, जल, पुष्प, चंदन से उनका पूजन करें. इसके बाद लड्डू का भोग लगाएं. आरती करें. इस तरह से हर दिन पूजा करें. कम से कम चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी तक 10 दिन तक पूजन का विधान है. कुछ लोग समय के अभाव या किसी और अभाव में अगर 10 दिन तक की पूजा नहीं कर सकते हैं तो सप्तमी के दिन गणेश जी की स्थापना करें और उस दिन भी नहीं कर पाते हैं तो दशमी के दिन स्थापना कर लें तो भी शुभ होगा.