शहडोल। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर सिंहपुर गांव की सीमा पर बना ऐतिहासिक बांध आज अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. ये बांध सिंहपुर गांव की सीमा से लगे सरफ़ा नदी पर बना है. इस बांध का निर्माण 1963 में किया गया था, और 1972 में इस बांध से एक करीब 15 किलोमीट लंबी नहर निकाली गई थी, जिससे कई किसानों को फायदा होता था. लेकिन अब देखरेख और संरक्षण के अभाव में पिछले 5- 7 साल से किसान खेती के पानी के लिए तरस रहे हैं.
इस बांध और इससे निकाले गए नहरों पर ध्यान नहीं दिया गया. आलम ये है कि नदी का पानी सूख रहा है. बांध मैदान की तरह नज़र आ रहा है. बांध मिट्टी के बहाव से पट चुका है. इस बांध में मिट्टी के बहाव से जो मैदान बन गया है वहां कुछ लोग फसल भी लगाने लगे हैं. वहीं बांध में पानी को रोकने के लिए जो दीवार बनाई गई है, वो भी जर्जर स्थिति में हैं. पिछले कई साल से इस नहर से भी पानी नहीं मिल पा रहा है. ये लम्बी नहर 5 गांवों से होते हुए नरगी, उधिया से होते हुए कंचनपुर गांव तक जाती है, लेकिन कुछ साल से इस गांव के लोग परेशान हैं.
उधिया गांव के निवासी हरिवंश शुक्ला बताते हैं कि नहर बहुत पुराना है काफी लंबी नहर भी है. जिस बांध से नहर निकाला गया है उसके पट जाने कारण अब नहर से पिछले 5-7 साल से बिल्कुल भी पानी नहीं आ रहा है. उनका कहना है कि पहले दोनों सीजन में पानी मिल जाता था, लेकिन अब पिछले करीब 5-7 साल से बिल्कुल भी पानी नहीं मिल रहा है. अधिकारियों को इस बात से अवगत भी कराया गया, लेकिन अधिकारी आते हैं और बजट नहीं होने की बात कह कर चले जाते हैं.
गौरतलब है कि इस बांध और नहर की समस्याओं को लेकर उधिया गांव के कुछ लोगों ने कुछ महीने पहले आपत्ति भी जाहिर की थी, जिसके बाद तत्कालीन कलेक्टर अनुभा श्रीवास्तव ने स्पॉट पर विजिट भी किया था. लेकिन स्थिति जस की तस ही है. आज भी ये बांध और नहर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और प्रशासन इस ओर ध्यान ही नहीं दे रहा है.