ETV Bharat / state

शहडोल में इलाज पर अंधविश्वास हावी, मासूम को गर्म सलाखों से दागा, इलाज जारी - शहडोल में दगना कुप्रथा

शासन-प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे कई अभियानों के बाद भी ग्रामीण अंचलों में अंधविश्वास खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. शहडोल में बीमार बच्ची को ठीक करने परिवार ने अंधविश्वास का सहारा लिया और बच्ची को गर्म सलाखों से दाग दिया. जिसके चलते बच्ची की हालत नाजुक बनी हुई है.

Dagna malpractice in Shahdol
इलाज पर अंधविश्वास हावी
author img

By

Published : Jan 26, 2023, 6:58 PM IST

शहडोल। 21वीं सदी चल रही है, जमाना कहां से कहां पहुंच गया है, मेडिकल क्षेत्र भी बहुत आगे निकल गया है तो वहीं लोगों के बीच में आधुनिकता बढ़ती जा रही है, मोबाइल युग में दुनिया चल रही है, लेकिन जब दगना कुप्रथा की घटनाएं सामने आ जाती हैं तो यही लगता है कि यहां आज भी इलाज पर अंधविश्वास हावी है. एक बार फिर से शहडोल जिले में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जहां एक 3 महीने की मासूम बच्ची को उसकी बीमारी ठीक करने के नाम पर कई बार गर्म सलाखों से दाग दिया गया. आलम यह है कि अब बच्ची का शहडोल मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है और वह जिंदगी से जंग लड़ रही है.

दगना कुप्रथा की शिकार मासूम: दशा शहडोल जिला मुख्यालय के पुरानी बस्ती के रहने वाले रहने वाली एक 3 माह की मासूम बच्ची है. वह दगना कुप्रथा का शिकार हो गई है. बताया जा रहा है कि मासूम बच्ची जन्म के बाद से ही बीमार चल रही थी. निमोनिया और धड़कन तेज चलने की समस्या थी तो परिजनों को इलाज की जगह दगना कुप्रथा पर ज्यादा भरोसा हुआ. परिजनों ने इलाज के नाम पर उस दूधमुंही बच्ची को गर्म सलाखों से दगवा दिया. आलम यह रहा कि दगना कुप्रथा की शिकार मासूम बच्ची ठीक होने की वजह जिंदगी और मौत से जूझने लगी. हालत ज्यादा बिगड़ने पर परिजन बच्ची को लेकर आनन-फानन में शहडोल मेडिकल कॉलेज पहुंचे. मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग की टीम अपनी निगरानी में इलाज कर रही है, जहां बच्ची की हालत नाजुक बनी हुई है.

बुंदेलखंड में जारी हैं बाल विवाह, लड़कियों की शादी की उम्र 21 करने से क्या कुप्रथा पर लग जाएगी रोक?

फिर से अभियान चलाया जाएगा: इस मामले को लेकर शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य का कहना है कि ये मामला उनके संज्ञान में अभी नहीं है. गांव में अभियान चलाएंगे और लोगों को जागरूक करेंगे. तो वहीं कमिश्नर का कहना है कि दगना के खिलाफ फिर से अभियान चलाएंगे, ऐसे लोगों की काउंसलिंग कराई जाएगी. गौरतलब है कि शहडोल जिले में आए दिन दगना कुप्रथा के मामले आते रहते हैं, हालांकि इस दौरान जिले में कई तरह के अवेयरनेस कार्यक्रम भी चलाए गए हैं, और लोगों को हर स्तर पर जागरूक करने की कोशिश भी की गई है. प्रशासन द्वारा चलाए गए कई अभियानों के बाद भी दगना कुप्रथा के मामले फिर से सामने आ रहे हैं. आज के समय में भी लोग दगना कुप्रथा जैसे अंधविश्वास में भरोसा कर रहे हैं और अपने बच्चों को मौत के मुंह में ले जा रहे हैं. ( ईटीवी भारत ऐसे किसी भी कुप्रथा का समर्थन नहीं करता है, वह इसके सख्त खिलाफ है)

शहडोल। 21वीं सदी चल रही है, जमाना कहां से कहां पहुंच गया है, मेडिकल क्षेत्र भी बहुत आगे निकल गया है तो वहीं लोगों के बीच में आधुनिकता बढ़ती जा रही है, मोबाइल युग में दुनिया चल रही है, लेकिन जब दगना कुप्रथा की घटनाएं सामने आ जाती हैं तो यही लगता है कि यहां आज भी इलाज पर अंधविश्वास हावी है. एक बार फिर से शहडोल जिले में एक ऐसा ही मामला सामने आया है. जहां एक 3 महीने की मासूम बच्ची को उसकी बीमारी ठीक करने के नाम पर कई बार गर्म सलाखों से दाग दिया गया. आलम यह है कि अब बच्ची का शहडोल मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है और वह जिंदगी से जंग लड़ रही है.

दगना कुप्रथा की शिकार मासूम: दशा शहडोल जिला मुख्यालय के पुरानी बस्ती के रहने वाले रहने वाली एक 3 माह की मासूम बच्ची है. वह दगना कुप्रथा का शिकार हो गई है. बताया जा रहा है कि मासूम बच्ची जन्म के बाद से ही बीमार चल रही थी. निमोनिया और धड़कन तेज चलने की समस्या थी तो परिजनों को इलाज की जगह दगना कुप्रथा पर ज्यादा भरोसा हुआ. परिजनों ने इलाज के नाम पर उस दूधमुंही बच्ची को गर्म सलाखों से दगवा दिया. आलम यह रहा कि दगना कुप्रथा की शिकार मासूम बच्ची ठीक होने की वजह जिंदगी और मौत से जूझने लगी. हालत ज्यादा बिगड़ने पर परिजन बच्ची को लेकर आनन-फानन में शहडोल मेडिकल कॉलेज पहुंचे. मेडिकल कॉलेज में शिशु रोग विभाग की टीम अपनी निगरानी में इलाज कर रही है, जहां बच्ची की हालत नाजुक बनी हुई है.

बुंदेलखंड में जारी हैं बाल विवाह, लड़कियों की शादी की उम्र 21 करने से क्या कुप्रथा पर लग जाएगी रोक?

फिर से अभियान चलाया जाएगा: इस मामले को लेकर शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य का कहना है कि ये मामला उनके संज्ञान में अभी नहीं है. गांव में अभियान चलाएंगे और लोगों को जागरूक करेंगे. तो वहीं कमिश्नर का कहना है कि दगना के खिलाफ फिर से अभियान चलाएंगे, ऐसे लोगों की काउंसलिंग कराई जाएगी. गौरतलब है कि शहडोल जिले में आए दिन दगना कुप्रथा के मामले आते रहते हैं, हालांकि इस दौरान जिले में कई तरह के अवेयरनेस कार्यक्रम भी चलाए गए हैं, और लोगों को हर स्तर पर जागरूक करने की कोशिश भी की गई है. प्रशासन द्वारा चलाए गए कई अभियानों के बाद भी दगना कुप्रथा के मामले फिर से सामने आ रहे हैं. आज के समय में भी लोग दगना कुप्रथा जैसे अंधविश्वास में भरोसा कर रहे हैं और अपने बच्चों को मौत के मुंह में ले जा रहे हैं. ( ईटीवी भारत ऐसे किसी भी कुप्रथा का समर्थन नहीं करता है, वह इसके सख्त खिलाफ है)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.