शहडोल। जिले में इन दिनों ऐतिहासिक बाणगंगा मेले का आयोजन हो रहा है. ये इस आदिवासी अंचल का सबसे बड़ा मेला है. यहां संभाग भर के लोग शामिल होते हैं. इतना ही नहीं दूसरे राज्यों से व्यापारी भी आते हैं, तो वहीं संभाग के आसपास के क्षेत्र के लोग भी शामिल होते हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस मेले में कितनी भीड़ होती होगी. ऐसे में आखिर ऐसा क्या हुआ है कि इस बार के मेले में व्यापारी वर्ग मायूस है.
मेले में गजब की भीड़: शहडोल जिले के ऐतिहासिक बाण गंगा मेले में इन दिनों गजब की भीड़ उमड़ रही है. दोपहर बाद से ही मेले में पैर रखने की जगह नहीं मिलती है. भीड़ को देखते हुए पुलिस को अतिरिक्त व्यवस्था बनानी पड़ रही है. इतना ही नहीं जिस तरह की भीड़ उमड़ रही थी उसे देखते हुए जो शुरुआत में तय किया गया था कि 5 दिवसीय मेले का ही आयोजन किया जाएगा, लेकिन अब उसे 2 दिन के लिए और बढ़ा दिया गया है. वजह है कि भीड़ इतनी ज्यादा है जिसे देखते हुए दो दिन का मेला और बढ़ाया गया है.
भीड़ के बाद भी व्यापारी मायूस: बाणगंगा मेले में जिस तरह की भीड़ उमड़ रही है, उसे देखने के बाद कोई भी यही सोचेगा कि व्यापारियों की भी अच्छी बिक्री हो रही होगी, लेकिन जब बाणगंगा मेला में दुकान लगाने वाले व्यापारियों से बात की तो वह मायूस नजर आए. हर तरह के व्यापारी जैसे कपड़ा व्यापारी, बर्तन व्यापारी, मिट्टी के बर्तन, चूड़ी कंगन, खिलौने वाले हर तरह के व्यापारी नाखुश नजर आए. उनका कहना है कि मेले में भीड़ तो जमकर उमड़ रही है, लेकिन खरीदारी नहीं है, लोग मेला घूम कर चले जा रहे हैं, लेकिन सामान नहीं खरीद रहे हैं. जब इसकी वजह पूछी तो कहा कि लोग सामान नहीं खरीद रहे हैं. व्यापारियों का मानना है कि कोरोना काल के बाद से ऐसा ही है. कोरोना के बाद से मेले में दम नहीं रह गया, भीड़ तो जमकर आती है, लेकिन लोग खरीददारी नहीं कर रहे हैं. व्यापारियों का कहना है कि लोगों के पास पैसे ही नहीं है तो खरीदारी कहां से करें. यह इस मेले की बात नहीं है. किसी भी मेले में जाते हैं, वहां खरीदा नहीं है ग्राहक दुकान के पास सामान की पूछ परख करके आगे बढ़ जाते हैं. खरीदारी नहीं करते हैं.
मेले में दुकानदारों को हुआ लाखों का घाटा , बिल माफ के लिए करेंगे आंदोलन
कुछ व्यापारी वापस लौटे: बाणगंगा मेला में दूसरे राज्यों से आए हुए कुछ छोटे व्यापारी तो ऐसे हैं, जो उत्सुकता के साथ हर साल की तरह मेले में शामिल होने के लिए आए थे, लेकिन एक-दो दिन शामिल होकर ही वापस भी लौट कर चले गए. उनका कहना था कि यहां मेले में बिक्री कम हो रही है और अभी दूसरे मेले भी हैं इसलिए वह इस उम्मीद के साथ दूसरे मेले में जा रहे हैं शायद वहां बिक्री अच्छी हो जाए.
ऐतिहासिक मेला है बाणगंगा मेला: बता दें कि शहडोल जिला मुख्यालय में लगने वाला बाणगंगा मेला ऐतिहासिक मेला है सैकड़ों साल पुराना मेला है यह मेला 1895 से लगता आ रहा है, और इस मेले में हमेशा अक्सर भीड़ होती है, क्योंकि दूर-दूर से लोग शामिल होने के लिए आते हैं, इतना ही नहीं ये ऐतिहासिक बाणगंगा मेला दूर-दूर से दूसरे राज्यों से आने वाले व्यापारियों के लिए भी प्रसिद्ध है, क्योंकि यहां व्यापारियों का अच्छा व्यापार होता था, उनकी अच्छी आमदनी होती थी, लेकिन सालों बाद अब ऐसी स्थिति निर्मित हुई है कि व्यापारी मायूस है भीड़ होने के बाद भी उनका व्यापार अच्छा नहीं चल रहा है खरीदारी नहीं हो रही है व्यापारियों का भी कहना है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब लोग मेला देखने तो आ रहे हैं लेकिन खरीदारी नहीं कर रहे हैं।