सिवनी। सिवनी जिले में पिछले तीन माह से चल रहा कंपन का सिलसिला बारिश रुकने के बाद भी नहीं थमा. जिले में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 3.3 नापी गई है. मौसम वैज्ञानिक वेदप्रकाश सिंह ने बताया कि, सिवनी जिले के 21.92 उत्तरी अक्षांश, 79.50 पूर्वी देशांतर के निकट भूकंप दर्ज किया गया है. भूकंप का केंद्र 15 किलोमीटर गहराई में स्थित था. हालाकि इस भूकंप से जान-माल का नुकसान होने की खबर नहीं है. आज सुबह तीन से चार बार लोगों ने जोरदार झटके महसूस किए गए, झटकों का असर इतना अधिक था कि, गहरी नींद में सो रहे लोगों की नींद भी टूट गई.
झटकों ने उड़ा दी लोगों की नींद
सुबह तकरीबन 4.14 बजे आए झटकों ने लोगों की नींद उड़ा दी. लोगों को घर हिलता महसूस हुआ. सोशल मीडिया, वॉट्सऐप ग्रुप में लोगों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गईं. लोगों का कहना है कि, शहर में बढ़ते भूकंप के झटकों का कारण पता लगाने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है.
घरों को हुआ नुकसान
सिवनी शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कंपन के झटके महसूस होने का सिलसिला तीन माह से चल रहा है. लोगों का कहना है कि, लगातार महसूस किए जा रहे झटकों से घर व भवन को नुकसान होने की संभावना बनी हुई है. कई लोगों का दावा है कि, झटकों से घर के ऊपरी हिस्से की दीवारों में गहरी दरारें आ रही हैं. हालांकि अब तक झटकों से बड़े नुकसान की बात सामने नहीं आई है. 24 अक्टूबर शनिवार को दोपहर में तेज आवाज के साथ धरती हिल गई थी. इससें कई लोग अपने घरों से बाहर आ गए थे. करीब एक घंटे बाद 3.17 बजे दोबारा कंपन ने लोगों को डरा दिया था. इससे पहले 5 सितंबर को सुबह फिर दोपहर में दो बार भूकंप जैसे झटके महसूस किए गए थे. अगस्त माह में भी लोगों ने 4 से 5 बार कंपन महसूस किया था.
जल भूकंपीय घटनाओं का अंदेशा
कलेक्टर डॉ राहुल हरिदास फटिंग ने भूगर्भीय हलचल की जांच भू-सर्वेक्षण विभाग से सितंबर माह में कराई थी. जबलपुर के जियोफिजिसिस्ट एमएस पठान व असिस्टेंट जियोलॉजिस्ट सुजीत कुमार जांच करने सिवनी पहुंचे थे. जबलपुर भू सर्वेक्षण विभाग ने रिपोर्ट भेजी थी. 27 सितंबर को जारी रिपोर्ट में जिला प्रशासन ने बताया कि, निम्न दाब के कारण भूकंप जैसे झटके शहर व जिले में महसूस किए जा रहे हैं. सिवनी सेंट्रल इंडियन टेक्नोटिक जोन में स्थित है. प्रथम दृष्टया वर्षा जल के अंदरूनी चट्टानों में रिसने से अंदर का दबाव बढ़ जाने की वजह से इस तरह के क्वेक की स्थिति बनती है. रिपोर्ट में भू-गर्भीय घटनाओं के विस्फोट की ध्वनि के साथ होने की आशंका व्यक्त की गई है. बारिश के बाद तीन से चार महीनों में ये जल भूकंपीय घटनाएं स्वतः समाप्त हो जाएंगी.