सिवनी। मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों का हाल बेहाल है. कमलनाथ सरकार ने जिस तरह से शिक्षकों के तबादलों की बाढ़ ला दी है, उसमें कई तरह की परेशानियां सामने आ रही हैं. स्कूलों में कहीं शिक्षक छात्रों से ज्यादा हैं, तो कहीं कम. ऐसा ही एक मामला जिले के छपारा विकासखंड में सामने आया हैं, जहां स्कूल में तीन छात्रों को पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक पदस्थ हो गए हैं.
जिले के छपारा विकासखंड में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. घोघरी ग्राम में प्राइमरी स्कूल में महज तीन बच्चे पढ़ने आते हैं. मध्यप्रदेश सरकार के किए गए तबादलों ने 3 बच्चे वाले स्कूल में दो अन्य शिक्षकों को और पदस्थ कर दिया है, जबकि स्कूल की एक शिक्षिका का दूसरी जगह तबादला कर दिया गया.
प्राइमरी स्कूल भवन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. 2015 में इस भवन को डिस्मेंटल करने के आदेश दिए थे, फिलहाल स्कूल एनएच सेवन रोड के किनारे एक निजी मकान के छोटे से कमरे में चल रहा है, जहां ना तो ब्लैक बोर्ड है ना ही पढ़ाने के लिए कोई संसाधन है. जिसके चलते गांव के अधिकतर बच्चे प्राइवेट स्कूलों में मोटी फीस देकर पढ़ने जाने के लिए मजबूर हैं. वहीं ग्रामीणों का कहना है कि प्राइमरी स्कूल के शिक्षक स्कूल की पढ़ाई में ध्यान ना देते हुए अपने कामकाज में व्यस्त रहते हैं.
सरकार हर साल सरकारी स्कूल चले अभियान जैसे कार्यक्रम चलाती है, लेकिन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही के चलते स्कूलों में ताला डालने की नौबत आ जाती है. वहीं जब ग्राम घोघरी के प्राइमरी स्कूल के बारे में पूछा गया, तो अधिकारी जवाब देने से बचते नजर आए. बीआरसीसी गोविंद उईके का कहना है कि एसडीएम के आदेश पर प्राइमरी स्कूल भवन डिस्मेंटल करा दिया गया है. स्कूल की शिकायत उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी, जिसके बाद आगे की कार्रवाई होगी.
स्थानांतरण को लेकर उठ रहे हैं सवाल
जब 3 साल से स्कूल बिल्डिंग ही घोघरी ग्राम में मौजूद नहीं है, आखिर फिर कैसे दो अन्य शिक्षकों को यहां पदस्थ कर दिया गया. इसके अलावा घोघरी ग्राम के स्कूल में महज़ 3 बच्चों के लिए 3 शिक्षक कैसे पदस्थ कर दिए गए, ये सवाल उठ रहे हैं.