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शिक्षक की अनोखी पहल, मोबाइल की समस्या होने पर लाउडस्पीकर से करवाई जा रही पढ़ाई

सीहोर के नसरूल्लागंज विकासखण्ड में अब छात्रों को लाउडस्पीकर से पढ़ाई करवाई जा रही है. दरअसल सरकार के DIGILEP (डिजिटल लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम डिजिलेप) के तहत छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा था, लेकिन कई ग्रामीण क्षेत्रों अभिभावकों के पास एंड्रॉयड फोन, टीवी और रेडियो नहीं होने के कारण लाउडस्पीकर से छात्रों को पढ़ाई करवाई जा रही है.

Study with loudspeaker
लाउडस्पीकर से पढ़ाई
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Published : Jun 17, 2020, 11:06 AM IST

Updated : Jun 17, 2020, 2:50 PM IST

सीहोर। कोरोना वायरस से संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए सरकार ने DIGILEP (डिजिटल लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम डिजिलेप) शुरू किया है. इसके जरिए छात्रों को ऑनलाइन, दूरदर्शन और रेडियो के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा था. वहीं इसी कड़ी में अब लाउडस्पीकर भी जुड़ गया है.

शिक्षक की अनोखी पहल

दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में कई छात्रों के पास एंड्रॉयड फोन, टीवी और रेडियो नहीं है. जिसको देखते हुए शिक्षकों ने लाउडस्पीकर से पढ़ाई कराने की पहल की शुरुआत की है. बुदनी के नसरूल्लागंज विकासखण्ड के शैक्षिक समन्वयक संतोष धनवारे ने शासकीय प्राथमिक स्कूल के बरामदे में रखे लाउडस्पीकर को देखकर यह आइडिया आया. उन्होंने तय किया कि लाउडस्पीकर से प्रत्येक बच्चे तक गत एक अप्रैल से आकाशवाणी पर शुरू किये गये 'रेडियो स्कूल'' कार्यक्रम को पहुंचाया जाए. ताकि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले छात्र भी आसानी से घर बैठे पढ़ सकें.

वहीं गांव के बच्चों के साथ-साथ घर के बड़े बुजुर्ग और अन्य सदस्य भी यह कार्यक्रम को सुनते हैं. रेडियो स्कूल कार्यक्रम को इस तरह हर घर तक पहुंचाने पर ग्रामीणों ने संतोष धनवारे के प्रयास की सराहना की है. वहीं चकल्दी जन शिक्षा केन्द्र के गांव जामुनिया बाजयाफ्त के इस प्रयोग को विकासखंड शैक्षिक समन्वयक संतोष धनवारे ने जन शिक्षा केन्द्र और विकासखंड के अन्य शिक्षकों से भी साझा किया है. नतीजन चकल्दी जन शिक्षा केन्द्र के ही ग्राम नांदियाखेड़ा, डावा, आमडो, खापा और बनीयागांव सहित लगभग 20 स्कूलों में सुबह 11 बजे से 12 बजे तक शैक्षिक कार्यक्रम 'रेडियो स्कूल' का प्रसारण लाउडस्पीकर पर रोजाना होता है.

गांव के बीचों-बीच किसी घर के आंगन में रखे साउंड-बॉक्स से बच्चे नियमित रूप से कार्यक्रम सुन रहे हैं और पढ़ाई कर रहे है. वहीं इस प्रयास से जहां एक ओर बच्चे अपने घर के आंगन में बैठकर पढ़ाई करने के साथ लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करते हैं. वहीं इस प्रकार से दी जा रही शिक्षा से पालक भी खुश हैं. क्योंकि इस महामारी में बच्चे घर पर ही रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. महिलाओं का कहना है कि इससे हमें भी कई बाते सीखने को मिलती हैं.

सीहोर। कोरोना वायरस से संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान न हो इसलिए सरकार ने DIGILEP (डिजिटल लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम डिजिलेप) शुरू किया है. इसके जरिए छात्रों को ऑनलाइन, दूरदर्शन और रेडियो के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा था. वहीं इसी कड़ी में अब लाउडस्पीकर भी जुड़ गया है.

शिक्षक की अनोखी पहल

दरअसल ग्रामीण क्षेत्रों में कई छात्रों के पास एंड्रॉयड फोन, टीवी और रेडियो नहीं है. जिसको देखते हुए शिक्षकों ने लाउडस्पीकर से पढ़ाई कराने की पहल की शुरुआत की है. बुदनी के नसरूल्लागंज विकासखण्ड के शैक्षिक समन्वयक संतोष धनवारे ने शासकीय प्राथमिक स्कूल के बरामदे में रखे लाउडस्पीकर को देखकर यह आइडिया आया. उन्होंने तय किया कि लाउडस्पीकर से प्रत्येक बच्चे तक गत एक अप्रैल से आकाशवाणी पर शुरू किये गये 'रेडियो स्कूल'' कार्यक्रम को पहुंचाया जाए. ताकि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले छात्र भी आसानी से घर बैठे पढ़ सकें.

वहीं गांव के बच्चों के साथ-साथ घर के बड़े बुजुर्ग और अन्य सदस्य भी यह कार्यक्रम को सुनते हैं. रेडियो स्कूल कार्यक्रम को इस तरह हर घर तक पहुंचाने पर ग्रामीणों ने संतोष धनवारे के प्रयास की सराहना की है. वहीं चकल्दी जन शिक्षा केन्द्र के गांव जामुनिया बाजयाफ्त के इस प्रयोग को विकासखंड शैक्षिक समन्वयक संतोष धनवारे ने जन शिक्षा केन्द्र और विकासखंड के अन्य शिक्षकों से भी साझा किया है. नतीजन चकल्दी जन शिक्षा केन्द्र के ही ग्राम नांदियाखेड़ा, डावा, आमडो, खापा और बनीयागांव सहित लगभग 20 स्कूलों में सुबह 11 बजे से 12 बजे तक शैक्षिक कार्यक्रम 'रेडियो स्कूल' का प्रसारण लाउडस्पीकर पर रोजाना होता है.

गांव के बीचों-बीच किसी घर के आंगन में रखे साउंड-बॉक्स से बच्चे नियमित रूप से कार्यक्रम सुन रहे हैं और पढ़ाई कर रहे है. वहीं इस प्रयास से जहां एक ओर बच्चे अपने घर के आंगन में बैठकर पढ़ाई करने के साथ लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन करते हैं. वहीं इस प्रकार से दी जा रही शिक्षा से पालक भी खुश हैं. क्योंकि इस महामारी में बच्चे घर पर ही रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. महिलाओं का कहना है कि इससे हमें भी कई बाते सीखने को मिलती हैं.

Last Updated : Jun 17, 2020, 2:50 PM IST
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