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ETV भारत Special : पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किसान बाबूलाल दाहिया के पास 200 से ज्यादा किस्मों के धान के देशी बीज

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Published : Jul 11, 2022, 6:52 PM IST

पद्मश्री अवार्ड से नवाजे गए मध्य प्रदेश के सतना जिले के किसान बाबूलाल दाहिया देशी बीज और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सालों से प्रयासरत हैं. उन्होंने धान की 200 किस्मों के अलावा अनेक प्रकार के देशी बीज एकत्र किए हैं. राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री भी किसान बाबूलाल दाहिया की सराहना कर चुके हैं. किसानों के लिए वे एक मिसाल हैं. बाबूलाल किसान होने के साथ ही एक अच्छे लेखक भी हैं. (Padmashree awardee farmer Babulal Dahiya) (Babulal Dahiya has 200 varieties paddy) (200 varieties of seeds of paddy)

Babulal Dahiya has 200 varieties paddy
पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किसान बाबूलाल दाहिया

सतना। सतना जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर उचेहरा तहसील के अंतर्गत छोटे से गांव पिथौराबाद में रहने वाले 76 वर्षीय किसान बाबूलाल दाहिया लोगों के लिए एक मिसाल हैं. बाबूलाल दाहिया वह व्यक्ति हैं, जिन्हें पद्मश्री अवार्ड राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हाथों नवाजा गया है. यह अवार्ड उनके कार्यों की वजह से मिला. बाबूलाल दाहिया ने 200 प्रकार के धान के बीज सहित अनेक प्रकार के बीजों का संग्रह किया है.

पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किसान बाबूलाल दाहिया

2 एकड़ में 200 प्रकार धान के बीज बोते हैं : किसान बाबूलाल दाहिया हर वर्ष अपने 2 एकड़ से अधिक के खेतों में 200 प्रकार की धान के बीज बोते हैं. इसके अलावा वह अनेक प्रकार के बीज का संग्रहण करके रखते हैं. बाबूलाल दाहियाधान के देशी बीजों की इकट्ठा करने के लिए 40 जिलों की यात्रा कर चुके हैं. वह किसान के साथ ही लेखक भी हैं. वह कहानी, लेख, मुहावरे, कविताएं, लोकोक्तियां लिखते हैं. बाबूलाल दाहिया बताते हैं कि वह देशी बीजों के बारे में एवं उनसे जुड़ी हर बातों का उल्लेख अपनी कहानी -कविताओं में करते हैं. वह बताते हैं कि उन्हें बचपन से खेती करने का शौक था. वह अपने पिता के साथ गर्मी की छुट्टियों में खेती के कार्यों में सहयोग करते थे.

Babulal Dahiya has 200 varieties paddy
पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किसान बाबूलाल दाहिया

देशी बीजों में हजारों रोग सहने की क्षमता : बाबूलाल दाहिया के अनुसार देशी बीजों की खेती करना उनके अंदर बस गया है. देशी बीजों में हजारों प्रकार के रोग सहने की क्षमता होती है. धान के बीज कम पानी में भी बराबर पैदावार होते हैं. इनमें पानी की भी बचत होती है. वह बताते हैं कि 60 के दशक में पूरे देश में धान की 1 लाख से अधिक देशी बीजों की प्रजातियां पाई जाती थीं. आज पूरे देश में करीब 3 हजार धान के बीजों की प्रजातियां बची हैं.

Babulal Dahiya has 200 varieties paddy
पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किसान बाबूलाल दाहिया

पद्मश्री तुलसी गौड़ा के घर को जोड़ने के लिए पुल नहीं, बयां की परेशानी

किसानों से बीज के बदले बीज लेते हैं : वह बताते हैं कि देशी बीजों की बेचते नहीं हैं. किसानों से बीज के बदले बीज लेते हैं, जिससे कि हर साल नया बीज होता है. इसके अलावा ज्वार, बाजरा, गेहूं, कोदई, कोदवा, मक्का जैसे तमाम बीजों के कई किस्म के बीज बाबूलाल के पास हैं. हम सभी एक दूसरे के किसान से नए नए बीज एकत्रित करते हैं, जिससे कि बीजों की संख्या हमारे पास बढ़ती रहती है. हमारा प्रयास है कि बाजार का हाइब्रिड बीज ना खरीदें. सिर्फ देशी बीजों का ही उपयोग करें. (Padmashree awardee farmer Babulal Dahiya) (Babulal Dahiya has 200 varieties paddy (200 varieties of seeds of paddy)

सतना। सतना जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर उचेहरा तहसील के अंतर्गत छोटे से गांव पिथौराबाद में रहने वाले 76 वर्षीय किसान बाबूलाल दाहिया लोगों के लिए एक मिसाल हैं. बाबूलाल दाहिया वह व्यक्ति हैं, जिन्हें पद्मश्री अवार्ड राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हाथों नवाजा गया है. यह अवार्ड उनके कार्यों की वजह से मिला. बाबूलाल दाहिया ने 200 प्रकार के धान के बीज सहित अनेक प्रकार के बीजों का संग्रह किया है.

पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किसान बाबूलाल दाहिया

2 एकड़ में 200 प्रकार धान के बीज बोते हैं : किसान बाबूलाल दाहिया हर वर्ष अपने 2 एकड़ से अधिक के खेतों में 200 प्रकार की धान के बीज बोते हैं. इसके अलावा वह अनेक प्रकार के बीज का संग्रहण करके रखते हैं. बाबूलाल दाहियाधान के देशी बीजों की इकट्ठा करने के लिए 40 जिलों की यात्रा कर चुके हैं. वह किसान के साथ ही लेखक भी हैं. वह कहानी, लेख, मुहावरे, कविताएं, लोकोक्तियां लिखते हैं. बाबूलाल दाहिया बताते हैं कि वह देशी बीजों के बारे में एवं उनसे जुड़ी हर बातों का उल्लेख अपनी कहानी -कविताओं में करते हैं. वह बताते हैं कि उन्हें बचपन से खेती करने का शौक था. वह अपने पिता के साथ गर्मी की छुट्टियों में खेती के कार्यों में सहयोग करते थे.

Babulal Dahiya has 200 varieties paddy
पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किसान बाबूलाल दाहिया

देशी बीजों में हजारों रोग सहने की क्षमता : बाबूलाल दाहिया के अनुसार देशी बीजों की खेती करना उनके अंदर बस गया है. देशी बीजों में हजारों प्रकार के रोग सहने की क्षमता होती है. धान के बीज कम पानी में भी बराबर पैदावार होते हैं. इनमें पानी की भी बचत होती है. वह बताते हैं कि 60 के दशक में पूरे देश में धान की 1 लाख से अधिक देशी बीजों की प्रजातियां पाई जाती थीं. आज पूरे देश में करीब 3 हजार धान के बीजों की प्रजातियां बची हैं.

Babulal Dahiya has 200 varieties paddy
पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किसान बाबूलाल दाहिया

पद्मश्री तुलसी गौड़ा के घर को जोड़ने के लिए पुल नहीं, बयां की परेशानी

किसानों से बीज के बदले बीज लेते हैं : वह बताते हैं कि देशी बीजों की बेचते नहीं हैं. किसानों से बीज के बदले बीज लेते हैं, जिससे कि हर साल नया बीज होता है. इसके अलावा ज्वार, बाजरा, गेहूं, कोदई, कोदवा, मक्का जैसे तमाम बीजों के कई किस्म के बीज बाबूलाल के पास हैं. हम सभी एक दूसरे के किसान से नए नए बीज एकत्रित करते हैं, जिससे कि बीजों की संख्या हमारे पास बढ़ती रहती है. हमारा प्रयास है कि बाजार का हाइब्रिड बीज ना खरीदें. सिर्फ देशी बीजों का ही उपयोग करें. (Padmashree awardee farmer Babulal Dahiya) (Babulal Dahiya has 200 varieties paddy (200 varieties of seeds of paddy)

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