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कोरोना काल में किसानों का बुरा हाल, दाम नहीं मिलने पर जानवरों को खिला रहे सब्जियां - heavy loss to vegetable farmers in satna

सतना जिले के कुड़िया गांव समेत आस-पास के गांवों में सब्जी की खेती करने वाले किसानों को लॉकडाउन के चलते भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. आलम ये है कि बाजार में करीब 20 रूपए प्रति किलोग्राम बिकने वाला प्याज किसान व्यापारियों को महज 3 से 4 रूपए प्रति किलो पर बेचने को मजबूर हैं. जिसमें उनकी लागत भी वसूल नहीं हो रही है.

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सब्जी किसानों को भारी नुकसान
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Published : Jun 6, 2020, 7:42 PM IST

सतना। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने सब्जी किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. आलम ये है कि सब्जियां खेत में ही खराब हो गईं. जैसे-तैसे अगर प्याज जैसे कुछ सब्जियों का उत्पादन हुआ लेकिन अब किसानों को इसका दाम नहीं मिल पा रहा है. किसानों की सब्जियां व्यापारी औने-पौने दाम पर खरीद रहे हैं. कभी शतक लगाने वाली प्याज ने लोगों की आंखों में आंसू ला दिए थे. इस बार भी आंसू हैं. मगर किसानों की आंखों में. क्योंकि हालत ये हैं कि इनकी लागत भी नहीं निकल रही है. ईटीवी भारत की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो किसानों ने अपना दर्द बयां किया.

सब्जी किसानों को भारी नुकसान

जिले का कुड़िया गांव समेत आस-पास के सैकड़ों किसान सब्जी लगाने का काम करते हैं. किसान जगन्नाथ बताते हैं कि उन्होंने करीब 5 एकड़ में प्याज लगाई थी. उपज तो अच्छी हुई लेकिन अब दाम नहीं मिल रहे हैं. व्यापारी 3 से 4 रूपए प्रति किलो मांग रहे हैं. ऊपर से ये भी कह रहे हैं कि छांटकर दो. इस रेट पर जब लागत ही नहीं निकल रही है, ऊपर से इस काम में जो मजदूरी लगेगी उसे कौन देगा. कुल मिलाकर अब हालात ये हैं कि सब्जियां जानवरों को खिलानी पड़ रहीं हैं.

कोरोना काल में सब्जी किसानों के हाल बेहाल हो चुके हैं. सरकार के तमाम वादे झूठे साबित हो रहे हैं. जनप्रतिनिधि यहां आते तो हैं, लेकिन सिर्फ वादे करके वापस चले जाते हैं, सरकार भी किसानों के नाम पर बड़े-बड़े वादे करती है. लेकिन उन वादों की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. किसान अब भगवान भरोसे हैं. उसके घर में चूल्हा कैसे जलेगा ये ऊपर वाला ही जानता है. अगर समय रहते सरकार इन किसानों को राहत नहीं दी तो इनके पास अगली बोआई तक नहीं हो सकेगी.

सतना। कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने सब्जी किसानों की कमर तोड़कर रख दी है. आलम ये है कि सब्जियां खेत में ही खराब हो गईं. जैसे-तैसे अगर प्याज जैसे कुछ सब्जियों का उत्पादन हुआ लेकिन अब किसानों को इसका दाम नहीं मिल पा रहा है. किसानों की सब्जियां व्यापारी औने-पौने दाम पर खरीद रहे हैं. कभी शतक लगाने वाली प्याज ने लोगों की आंखों में आंसू ला दिए थे. इस बार भी आंसू हैं. मगर किसानों की आंखों में. क्योंकि हालत ये हैं कि इनकी लागत भी नहीं निकल रही है. ईटीवी भारत की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो किसानों ने अपना दर्द बयां किया.

सब्जी किसानों को भारी नुकसान

जिले का कुड़िया गांव समेत आस-पास के सैकड़ों किसान सब्जी लगाने का काम करते हैं. किसान जगन्नाथ बताते हैं कि उन्होंने करीब 5 एकड़ में प्याज लगाई थी. उपज तो अच्छी हुई लेकिन अब दाम नहीं मिल रहे हैं. व्यापारी 3 से 4 रूपए प्रति किलो मांग रहे हैं. ऊपर से ये भी कह रहे हैं कि छांटकर दो. इस रेट पर जब लागत ही नहीं निकल रही है, ऊपर से इस काम में जो मजदूरी लगेगी उसे कौन देगा. कुल मिलाकर अब हालात ये हैं कि सब्जियां जानवरों को खिलानी पड़ रहीं हैं.

कोरोना काल में सब्जी किसानों के हाल बेहाल हो चुके हैं. सरकार के तमाम वादे झूठे साबित हो रहे हैं. जनप्रतिनिधि यहां आते तो हैं, लेकिन सिर्फ वादे करके वापस चले जाते हैं, सरकार भी किसानों के नाम पर बड़े-बड़े वादे करती है. लेकिन उन वादों की जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. किसान अब भगवान भरोसे हैं. उसके घर में चूल्हा कैसे जलेगा ये ऊपर वाला ही जानता है. अगर समय रहते सरकार इन किसानों को राहत नहीं दी तो इनके पास अगली बोआई तक नहीं हो सकेगी.

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