सतना। मध्यप्रदेश के सतना जिले के एक युवा ने पीएम नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को सच कर दिखाया है, सतना जिले के इटमा निवासी दिशांत सिंह ने 18 लाख रुपए की नौकरी छोड़कर अपनी निजी भूमि पर कृषि के साथ-साथ पोल्ट्री फार्म की शुरुआत की, इसके अलावा बकरी पालन और मत्स्य पालन भी करके इस कोविड काल में 6 लोगों रोजगार भी दिया.
सतना जिला मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर दूर रैगांव विधानसभा क्षेत्र के इटमा गांव के निवासी दिशांत ने अपनी नौकरी छोड़कर आत्मनिर्भर भारत की एक मिसाल पेश की है, पूरे देश में कोविड-19 की महामारी फैली हुई है, जिसकी वजह से देशभर में संपूर्ण लॉकडाउन भी किया गया था. इस लॉकडाउन की वजह से सभी उद्योग, व्यापार धंधे बंद हो गए, ऐसे में सतना जिले के युवा दिशांत सिंह ने आत्मनिर्भर भारत की मिसाल पेश करते हुए, एक पोल्ट्री फार्म की शुरुआत की, इसमें कई प्रजाति की मुर्गियां पाली, जिसमें कड़क नाथ, देशी और वायलर मुर्गियों की प्रजाति भी है.
इसके बाद दिशांत सिंह ने बकरी फार्म कि शुरूआत की, जिसमें अलग-अलग प्रजाति की बकरियां, बकरियों में देशी के अलावा पूरे देश में सबसे ऊंची प्रजाति की सिरोही बकरी जो कि हैदराबाद में पाई जाती है, ये भी रखी है. दिशांत ने अपनी जमीन पर तालाब बनाया, जिसमें मत्स्य पालन को भी शुरू किया, जिसमें मछलियों में रेहू, कतला, फिगर, झिगा के अलावा कई प्रजाति की मछलियों को पाल रखा है.
दिशांत सिंह ने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की बात कही थी, उन्हीं के कदमों पर वो आगे बढ़ रहे हैं, सबसे पहले उन्होंने छोटे से पोल्ट्री फार्म की शुरुआत की, इसके साथ अंडा उत्पादन, इसके बाद बकरी पालन, अपनी जमीन पर तालाब बनाकर मत्स्य पालन की शुरुआत की. कोविड-19 महामारी के बीच दिशांत सिंह ने 6 लोगों को रोजगार भी दिया, जिनमें से कुछ लोग बाहर रहकर अपना जीवन यापन चलाते थे, लेकिन कोविड-19 के बीच अपने घर आ चुके थे. ऐसे में उन्हें अपने परिवार चलाना बड़ा मुश्किल हो रहा था, लेकिन इस बीच दिशांत सिंह ने उन्हें रोजगार दिया. आज वो जीविकोपार्जन कर रहे हैं, दिशांत सिंह ने अन्य लोगों के लिए भी एक मैसेज दिया है कि अगर आपके अंदर इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प है, तो आप कोई भी कार्य कर सकते हो.
दिशांत सिंह ने अपनी शिक्षा सतना में ही प्राप्त की, उसके बाद वो भोपाल की क्विक हील एंटीवायरस कंपनी में मैनेजर के पद पर पदस्थ रहे, जिनकी मासिक सैलरी करीब डेढ़ लाख रुपए थी और सालाना 18 लाख रुपए. दिशांत ने नौकरी को छोड़ कर आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ाया. आज दिशांत सिंह अपने इस कार्य पर आगे की ओर बढ़ रहे हैं.