सागर। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, मध्यप्रदेश में सत्ताधारी बीजेपी की मुसीबतें कम होने की जगह बढ़ती ही जा रही है. पिछले दिनों ग्वालियर दौरे पर गई पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का भाजपा से निष्कासित प्रीतम लोधी पर जिस तरह का दुलार उमड़ा है, उसे देखकर सियासी पंडितों के कयास सच साबित होते नजर आ रहे हैं. पहले ही जानकारों का कहना था कि, निष्कासन के बाद प्रीतम लोधी ने जो मुहिम छेड़ी है उसके पीछे उमा भारती का दिमाग है (Uma Bharti Pritam Lodhi politics). बीजेपी की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने रविवार को ग्वालियर में बीजेपी से निष्कासित नेता प्रीतम लोधी से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद मध्य प्रदेश की सियासत एक बार फिर से गरमा गई है, क्योंकि ब्राह्मणों पर विवादित टिप्पणी करने के बाद प्रीतम लोधी को पार्टी से निकाला गया था, लेकिन अचानक उमा भारती रविवार को ग्वालियर प्रवास के दौरान उनसे मिले पहुंच गईं थीं.
2024 की तैयारी में उमा भारती: भाजपा से निष्कासन के बाद प्रीतम लोधी ने अपनी जाति के जनाधार के साथ ओबीसी और एससी वर्ग को एकजुट करने के लिए पूरे प्रदेश में मुहिम चला रखी थी. खासकर ग्वालियर चंबल और बुंदेलखंड अंचल में लोधी जाति के जनाधार को केंद्र में रखकर ओबीसी और अनुसूचित जाति के मतदाताओं को एकजुट करने की मुहिम चलाई जा रही थी. फिलहाल उमा भारती ने जो रणनीति अपनाई है, उसको देखकर भी लग रहा है कि हाशिए पर चल रही उमा भारती भी अपनी लोधी जाति के जनाधार के बल पर बीजेपी को अपनी ताकत का एहसास कराना चाहती हैं. एक तरफ जहां वह 2024 में चुनाव लड़ने की बात कह चुकी हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सजातीय बंधुओं से भाजपा नहीं बल्कि अपने हित देखकर मतदान करने की बात कही हैं. माना जा रहा है कि इसी रणनीति के तहत साध्वी ग्वालियर पहुंची और प्रीतम लोधी के गांव जाकर उनकी खूब तारीफ गांव वालों के सामने की.
प्रीतम लोधी को क्या बोली उमा भारती: पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती लगातार बीजेपी को निशाने पर ले रहीं हैं. साथ ही लोधी समाज के मध्यप्रदेश में राजनीतिक महत्व और अपनी ताकत का लगातार एहसास करा रही हैं. पिछले दिनों ग्वालियर पहुंचकर भाजपा से निष्कासित प्रीतम लोधी को जमकर तारीफ कर पार्टी के फैसले पर सवाल उठा चुकी हैं. उमा भारती ने प्रीतम लोधी के गांव में चौपाल लगाई और समाज के लोगों के बीच में बीजेपी को जमकर निशाने पर लिया है. उन्होंने कहा कि, "प्रीतम लोधी बीजेपी पार्टी से निष्कासित हैं, ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब कभी निष्कासित नेता को पब्लिक ने हाथों हाथ उठा लिया हो. प्रीतम जब तक पार्टी में थे तो पब्लिक ने उन्हें इतनी पहचान नहीं दी. प्रीतम को पार्टी से निकाला, तो पब्लिक बोली हम तुम्हारे साथ हैं. प्रीतम इस चीज को समझो अपनी कीमत को समझो. गरीबों की आवाज बनो, सवर्णों की आवाज बनो. तुम उनकी आवाज थे. यह भेद तुम्हारी गलती से हो गया, तुम्हारी एक असंयमित भाषा से हो गया. अब तुमने माफी मांग कर ठीक कर लिया. माफी नहीं देना, अब यही उनका (बीजेपी) का अपराध है. माफी मांग कर तुमने अपना धर्म पूरा कर लिया. हाथ जोड़कर और पैर पकड़ कर माफी मांगी, अगर माफी नहीं दी गई यह भारी भूल है, मैं प्रीतम को पूरी तरह से आशीर्वाद देने आई हूं."
एक तीर से कई निशाने: उमा भारती अपने बयानों और तौर-तरीकों से पिछले एक साल से अपनी पार्टी भाजपा को अलग-अलग संदेश देती आ रही हैं. शराबबंदी को लेकर उनकी बयानबाजी शिवराज सरकार के लिए लगातार असहज करती रहती हैं. अब उन्होंने अपनी जाति का सहारा लेकर भाजपा पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. लोधी जाति को लेकर पिछले एक माह में जो उनके अलग-अलग बयान सामने आए हैं, उन बयानों से साफ है कि वे भाजपा को संदेश देना चाहती हैं कि अगर उनकी जाति का वोट चाहिए, तो उस जाति को महत्त्व भी मिलना चाहिए.
भाजपा के गलत फैसलों के खिलाफ भारती: जनता के बीच उन्होंने लोधी जाति के सम्मेलन में साफ तौर पर कहा था कि, आप किसी दल विशेष की बपौती (बाप द्वारा छोड़ी गई जायदाद) नहीं हैं और न ही आपको नेताओं को देखकर वोट करना चाहिए. जहां अपने समाज का हित नजर आए, उधर वोट करना चाहिए. उनके बयान से साफ जाहिर है कि वो भाजपा को बताना चाहती हैं कि अगर पार्टी में उनका सम्मान नहीं है, तो उनकी जाति के वोट भी आसानी से नहीं मिलेंगे. लोधी जाति को लेकर जो दूसरा बड़ा संदेश उमा भारती ने भाजपा को दिया है, वह भाजपा से निष्कासित नेता प्रीतम लोधी के घर जाकर उनकी भरपूर तारीफ करना है. यहां उन्होंने साफ तौर पर ये भी कहा कि प्रीतम को निष्कासित कर पार्टी ने गलत फैसला लिया है. उन्होंने पूर्व मंत्री जयंत मलैया पर भी की गई कार्रवाई को गलत करार देकर साफ कर दिया कि मध्यपदेश में भाजपा के गलत फैसलों का विरोध करने से वे पीछे नहीं हटेंगी.
Uma Bharti के निशाने पर कौन! प्रीतम लोधी से मुलाकात के बाद सियासी हलकों में चर्चा तेज
चुनावी साल में तल्ख होते तेवर: पिछले एक साल से उमा भारती शराबबंदी के मुद्दे पर कभी गरम तो कभी नरम तेवर दिखाकर पार्टी को अपनी महत्वता बताती रहती थीं, लेकिन अपने जातीय जनाधार को उन्होंने कभी मोहरे के तौर पर उपयोग नहीं किया. अब चुनावी साल आते ही उन्होंने 2024 में चुनाव लड़ने की मंशा जाहिर कर दी, तो अपने जातीय जनाधार को आधार बनाकर भाजपा को भी संदेश देना शुरू कर दिया है. 2022 के दिसंबर महीने में उन्होंने लोधी समाज को स्वयं के हित देखकर वोट करने की सलाह दी, तो 2023 की शुरुआत में प्रीतम लोधी के घर पहुंच कर पार्टी को साफ संदेश दे दिया कि भले ही पार्टी प्रीतम लोधी को निष्कासित कर चुकी है, लेकिन उनके करीबियों में रहे प्रीतम आज भी उनके उतने ही नजदीक हैं.
अपनी ताकत का एहसास करा रहीं उमा भारती: प्रीतम की आड़ में जिस तरह से उन्होंने भाजपा को उनके गलत फैसलों पर खरी खोटी सुनाई है, उससे साफ है कि लोधी समाज और खासकर ओबीसी की राजनीति को लेकर उमा भारती एक बार फिर मध्य प्रदेश भाजपा को अपने जनाधार का एहसास कराना चाहती हैं. वो बताना चाहती हैं कि अभी भी संभल जाओ और उमा भारती के जनाधार को हल्के से मत लो. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि ये जो सब घटना जो घट रही है वो अनायास नहीं, बल्कि उमा भारती की सोची समझी रणनीति का हिस्सा है. तय समय पर योजना बद्ध तरीके से वह भाजपा को अपनी ताकत का एहसास करा रही है. जानकार मानते हैं कि प्रीतम लोधी और उमा भारती की करीबी किसी से छुपी नहीं है और निष्कासन के बाद प्रीतम लोधी ने जिस तरह से ओबीसी और एससी वर्ग को एक मंच पर लाने की कोशिश की, ये उमा भारती के ही दिमाग की उपज थी.