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Shardiya navratri 2022 माता को कैसे करें प्रसन्न, जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि

शारदीय नवरात्र का प्रारंभ सोमवार 26 सितंबर से होने जा रहा है. नवरात्रि उत्सव की तैयारी जोरों पर है, कहीं लोग डांडिया खेलने की तैयारी कर रहे हैं तो कहीं पर गरबा खेलने का अभ्यास किया जा रहा है. वहीं सबसे जरूरी है नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि विधान से मां की पूजा-अर्चना करना. जानें नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि. Shardiya Navratri 2022, Maa Durga Come on Elephant In 2022, Durga Puja 2022

Shardiya navratri 2022
मां शारदीय नवरात्रि
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Published : Sep 23, 2022, 9:10 AM IST

सागर। इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ होगी और 5 अक्टूबर तक श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाई जाएगी. नवरात्रि की शुरुआत सोमवार के दिन से हो रही है, जो कि काफी शुभ मानी जाती है. नवरात्रि में माता की स्थापना से लेकर पूजा अर्चना में मुहूर्त, पूजन सामग्री, पूजन विधि और विशेष सावधानियों को ध्यान में रखा जाता है. नवरात्रि के पूजन के लिए जानकार पंडित से मार्गदर्शन लेकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पूजा अर्चना में पूजन विधि के साथ सावधानियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

नवरात्रि का मुहूर्त: शारदीय नवरात्रि के मुहूर्त को लेकर डॉक्टर पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि इस बार 26 सितंबर 2012 सोमवार के दिन से शरद कालीन नवरात्रि प्रारंभ हो रही है, जो कि 5 अक्टूबर तक चलेगी. इस बार माता शारदा गज (हाथी) की सवारी पर सवार होकर आ रही हैं. पूजन का मुहूर्त सुबह 6:09 से 7:34 तक और 9:16 से 10:46 तक माना गया है. अभिजीत मुहूर्त 11:48 से 12:35 तक है.

जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि

पूजन की विधि: ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि सुबह स्नान के उपरांत घर के ईशान पूर्व या उत्तर दिशा में चौकी स्थापित कर उस पर कपड़ा बिछाएंं. चौकी के मध्य में श्री दुर्गा जी की फोटो या प्रतिमा रखें. चौकी के दाएं और घट रखें. घट के नीचे पात्र में जौं बोएं एवं उस पर घट रखें. घट में मौली, धागा, बांधे और घट में सर्वप्रथम गंगाजल या नर्मदा जल या फिर दूसरी पवित्र नदियों का जल डालें. बाद में जल भरे घट में सुपारी, हल्दी की गांठ, पीली सरसों, चांदी, सिक्का, दूर्वा, पंच पल्लव, सर्वोषधि डालें. मुख्य द्वार पर बंदनवार भी लगाएं. घट पर कपड़ा लपेटकर नारियल ऐसा रखें कि उसका गोल वाला हिस्सा अपनी ओर रहे. सर्वप्रथम गणेश, गौरी, षोडश मातृका, पंचपाल एवं नव ग्रहों की पूजन करें. उसके उपरांत मां दुर्गा की षोडशोपचार आदि से पूजा करें और अखंड ज्योति की भी स्थापना करें.

Shardiya Navratri 2022: नवदुर्गा की पूजा का महत्व, आखिर 9 दिन की ही क्यों होती है नवरात्रि, जानिए यहां

मंत्रोच्चार एवं पूजन क्रम: अखंड ज्योति की स्थापना करने के बाद ऊं श्री दुर्गा दैव्ये नमः उच्चारण के बाद ध्यान, आवाहन, आसन, पाद्य, अर्ध्य, पंचामृत, स्नान, वस्त्र, उप वस्त्र, फूल, सौभाग्य सामग्री, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, तांबूल,दक्षिणा द्रव्य, मंत्र पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा और क्षमा प्रार्थना करें.

पूजा के दौरान उसमें रखी जाने वाली सावधानियां: पंडित डॉ श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि पूजन के दौरान यह विशेष सावधानियां रखना चाहिए.

  • पानी वाले नारियल काक्षअपनी ओर मुख रखें.
  • घट प्रतिमा की दाईं ओर रखें एवं अपना मुंह सदैव पूजा के समय उत्तर पूर्वी ईशान कोण में रखें.
  • 9 दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें.
  • सात्विक भोजन, झूठ ना बोलें, क्रोध ना करें.
  • पारायण नवमींं की तिथि को हवन पूजन और कन्या भोजन के बाद करें.

सागर। इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर से प्रारंभ होगी और 5 अक्टूबर तक श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाई जाएगी. नवरात्रि की शुरुआत सोमवार के दिन से हो रही है, जो कि काफी शुभ मानी जाती है. नवरात्रि में माता की स्थापना से लेकर पूजा अर्चना में मुहूर्त, पूजन सामग्री, पूजन विधि और विशेष सावधानियों को ध्यान में रखा जाता है. नवरात्रि के पूजन के लिए जानकार पंडित से मार्गदर्शन लेकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए. पूजा अर्चना में पूजन विधि के साथ सावधानियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

नवरात्रि का मुहूर्त: शारदीय नवरात्रि के मुहूर्त को लेकर डॉक्टर पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि इस बार 26 सितंबर 2012 सोमवार के दिन से शरद कालीन नवरात्रि प्रारंभ हो रही है, जो कि 5 अक्टूबर तक चलेगी. इस बार माता शारदा गज (हाथी) की सवारी पर सवार होकर आ रही हैं. पूजन का मुहूर्त सुबह 6:09 से 7:34 तक और 9:16 से 10:46 तक माना गया है. अभिजीत मुहूर्त 11:48 से 12:35 तक है.

जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और विधि

पूजन की विधि: ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि सुबह स्नान के उपरांत घर के ईशान पूर्व या उत्तर दिशा में चौकी स्थापित कर उस पर कपड़ा बिछाएंं. चौकी के मध्य में श्री दुर्गा जी की फोटो या प्रतिमा रखें. चौकी के दाएं और घट रखें. घट के नीचे पात्र में जौं बोएं एवं उस पर घट रखें. घट में मौली, धागा, बांधे और घट में सर्वप्रथम गंगाजल या नर्मदा जल या फिर दूसरी पवित्र नदियों का जल डालें. बाद में जल भरे घट में सुपारी, हल्दी की गांठ, पीली सरसों, चांदी, सिक्का, दूर्वा, पंच पल्लव, सर्वोषधि डालें. मुख्य द्वार पर बंदनवार भी लगाएं. घट पर कपड़ा लपेटकर नारियल ऐसा रखें कि उसका गोल वाला हिस्सा अपनी ओर रहे. सर्वप्रथम गणेश, गौरी, षोडश मातृका, पंचपाल एवं नव ग्रहों की पूजन करें. उसके उपरांत मां दुर्गा की षोडशोपचार आदि से पूजा करें और अखंड ज्योति की भी स्थापना करें.

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मंत्रोच्चार एवं पूजन क्रम: अखंड ज्योति की स्थापना करने के बाद ऊं श्री दुर्गा दैव्ये नमः उच्चारण के बाद ध्यान, आवाहन, आसन, पाद्य, अर्ध्य, पंचामृत, स्नान, वस्त्र, उप वस्त्र, फूल, सौभाग्य सामग्री, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, तांबूल,दक्षिणा द्रव्य, मंत्र पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा और क्षमा प्रार्थना करें.

पूजा के दौरान उसमें रखी जाने वाली सावधानियां: पंडित डॉ श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि पूजन के दौरान यह विशेष सावधानियां रखना चाहिए.

  • पानी वाले नारियल काक्षअपनी ओर मुख रखें.
  • घट प्रतिमा की दाईं ओर रखें एवं अपना मुंह सदैव पूजा के समय उत्तर पूर्वी ईशान कोण में रखें.
  • 9 दिन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करें.
  • सात्विक भोजन, झूठ ना बोलें, क्रोध ना करें.
  • पारायण नवमींं की तिथि को हवन पूजन और कन्या भोजन के बाद करें.
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