सागर। भगवान शिव की पूजा अर्चना का विशेष महीना सावन का महीना 23 जुलाई से प्रारंभ हो गया है. इस महीने मेंं शिव भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करके पुण्य लाभ कमाते हैं. हमारे देश में भगवान शिव के कई प्राचीनतम और सिद्ध स्थान हैं. ऐसा ही बुंदेलखंड इलाके का भगवान शिव का प्राचीनतम मंदिर है. बाबा विश्ववनाथ का ये मंदिर बीना नदी के तट पर स्थापित है.
इस मंदिर के विशेष शिवलिंग की पूजा अर्चना से 108 शिवलिंग की पूजा अर्चना का लाभ मिलता है. सावन के महीनों मेंं आसपास के इलाकोंं के शिव भक्तों की भीड़ मंदिर में लगी रहती है. सागर जिले के राहतगढ़ कस्बे में प्रकृति की गोद में बसा है प्राचीनतम शिव मंदिर. जिसकी महत्ता काशी विश्वनाथ के मंदिर से कम नहीं है.
राहतगढ़ कस्बा अपनी ऐतिहासिक धरोहर और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है. राहतगढ़ कस्बे से लगे जंगलों के बीच बहने वाली जीवनदायनी बीना नदी के तट पर बसे इसे मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है. बाबा विश्वनाथ के इस अप्रतिम मंदिर के कारण यह आस्थावानों के लिए धार्मिक पर्यटन का केंद्र है.
एक चट्टान से बना है मंदिर
राहतगढ़ कस्बे में स्थित मंदिर को अति प्राचीन मंदिर कहा जाता है. 18 वीं शताब्दी में इसका पुननिर्माण किया गया था. मराठा शैली में निर्मित मंदिर को पत्थर की एक चट्टान को काटकर बनाया गया है. ईशान कोण में स्थित इस मंदिर को वास्तुशास्त्र के आधार पर निर्मित किया गया है. 108 शिवलिंग वाले इस मंदिर को अत्यंत दुर्लभ माना गया है. कहा जाता है कि दर्शन मात्र से भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो जाती है.
मंदिर की वास्तुकला भी है अद्वितीय
भगवान शिव का यह मंदिर ईशान कोण में बना हुआ है, जो पूर्णता एक पत्थर पर निर्मित है. यह मंदिर पूरी तरह से वास्तु शास्त्र को ध्यान में रखकर बनाया गया है. मंदिर में भगवान महादेव के शिवलिंग के अतिरिक्त यहां भगवान भोलेनाथ और पार्वती की अति प्राचीन प्रतिमा भी विराजित है. इसके साथ ही अन्य पाषाण की मूर्तियां भी यहां विद्यमान है, जो अति दुर्लभ और अति प्राचीन है.