सागर। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार सहित सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है. दरअसल जया ठाकुर ने स्कूली बालिकाओं की मेंस्ट्रुअल हेल्थ को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी और मांग की थी कि छठवीं से लेकर 12वीं तक की बालिकाओं को स्कूल में मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराए जाएं. सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग से टॉयलेट बनाने के साथ-साथ पिछड़े इलाकों में मेंस्ट्रुअल हेल्थ को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाए जाएं. कांग्रेस नेत्री याचिकाकर्ता जया ठाकुर ने अपनी याचिका में कहा है कि इन परेशानियों के कारण हर साल 23 लाख लड़कियां स्कूल छोड़ने पर मजबूर हैं और इसी वजह से हर साल 8 लाख महिलाओं की मौत होती है.
क्या है मामला: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर जया ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत सरकार और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है. दरअसल जया ठाकुर ने जनहित याचिका दायर करके मांग की थी कि सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाली छठवीं से 12वीं तक की लड़कियों के लिए मुफ्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराया जाएं. सभी स्कूलों में अनिवार्य रूप से गर्ल्स टॉयलेट बनाए जाए. उसकी सफाई के लिए स्वीपर की नियुक्ति की जाए. याचिका में ये भी मांग की गई है कि सरकारें त्रिस्तरीय अभियान चलाकर मेंस्ट्रुअल हेल्थ के बारे में पिछडे़ इलाकों में जागरूकता कार्यक्रम चलायें. याचिका में बताया गया है कि हर साल 23 लाख छात्राएं मेंस्ट्रुअल हाइजीन व्यवस्था न होने के कारण स्कूल छोड़ने को विवश हैं. दुनियाभर में हर साल करीब आठ लाख महिलाओं की मौत माहवारी के वजह से हुई बीमारियों से हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को भी न्यायालय को मदद करने का आदेश किया है.
ग्वालियर में खुला फ्री सेनेटरी पैड वाला बैंक, 20 मिलियन महिलाओं को जागरुक करने का लक्ष्य
क्या कहना है याचिकाकर्ता का: याचिकाकर्ता जया ठाकुर का कहना है कि मैंने कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी. जिसमें मांग की थी कि छठवीं से लेकर 12वीं तक की लड़कियों को फ्री सेनिटरी पैड मुहैया कराया जाए और सभी स्कूलों में गर्ल्स टॉयलेट अनिवार्य रूप से बनाई जाए. उसकी सफाई के लिए एक स्वीपर की नियुक्ति भी की जाए. याचिका पर सुनवाई करते हुए आज चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए केंद्र और सभी राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है. मुझे आशा है कि सभी सरकारें विषय की गंभीरता को समझेंगी कि हम अगर अपनी बच्चियों को बीमारी से बचाना चाहते हैं, तो हम उन्हें साफ टॉयलेट मुहैया कराएं. यह समस्या ग्रामीण इलाकों में ज्यादा है, क्योंकि वहां पानी की कमी होती है और वहां के लोग सेनेटरी पैड खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं.