सागर। शहर की पहचान कही जाने वाली ऐतिहासिक धीरे लाखा बंजारा झील पर हो रहे अतिक्रमण और प्रदूषण को लेकर कांग्रेस नेता जया ठाकुर ने एनजीटी में याचिका दायर की थी, जिस पर एनजीटी ने अतिक्रमण हटाने और झील में मिल रहे अपशिष्ट पदार्थ रोकने के लिए सरकार और प्रशासन को निर्देशित किया था. इस मामले में एनजीटी के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर याचिका कर्ता ने एग्जीक्यूशन पिटीशन दायर की है, जिसकी सुनवाई 2 अगस्त को है. खास बात ये है कि आदेश का पालन न होने की स्थिति में एनजीटी जिला प्रशासन के प्रमुख पर 25 करोड़ तक का जुर्माना लगा सकता है. गौरतलब है कि लाखा बंजारा झील का स्मार्टसिटी मिशन के तहत सौंदर्यीकरण और गहरीकरण किया जा रहा है.
ये है मामलाः दरअसल लाखा बंजारा झील के अतिक्रमण और उसमें मिल रहे अपशिष्ट पदार्थ को लेकर जया ठाकुर ने एनजीटी में याचिका लगाई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए 6 अगस्त 2021 को एनजीटी की भोपाल खंडपीठ ने लाखा बंजारा झील का सीमांकन कराने के लिए एक कमेटी का गठन किया, जिसकी रिपोर्ट में 42 अतिक्रमणकारी पाए गए. इनमें पूर्व भाजपा सांसद लक्ष्मी नारायण यादव व आरएसएस कार्यालय मुख्य अतिक्रमणकारी थे. भोपाल खंडपीठ ने 5 अप्रैल 2022 को लगभग 100 पन्नों का एक विस्तृत आदेश पारित किया, जिसमें पर्यावरण सचिव के अधीन जिला कलेक्ट्रेट को अतिक्रमण हटाने व कार्रवाई करके अतिक्रमणकारियों पर जुर्माना लगाने का आदेश जारी किया गया था. एनजीटी ने नगर निगम को भी निर्देशित किया था कि झील में किसी प्रकार का अपशिष्ट ना डाला जाए और समय-समय पर विस्तृत रिपोर्ट प्राधिकरण को दी जाए, लेकिन आज तक इस मामले में किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गई.
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स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट पर लगनी चाहिए तत्काल रोकः याचिका कर्ता जया ठाकुर के वकील वरूण ठाकुर का कहना है कि 5 अप्रैल को लाखा बंजारा झील को लेकर जया ठाकुर की याचिका पर एनजीटी ने एक विस्तृत आदेश पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि जिस तरह से सागर स्मार्टसिटी के नाम से प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं, वो विधि विरुद्ध हैं और कानून के खिलाफ हैं. इन पर तत्काल रोक लगनी चाहिए.