सागर। बुंदेलखंड मूल रूप से कृषि प्रधान इलाका है और यहां के रहवासियों का जीवन यापन का सहारा खेती-किसानी है. आमतौर पर खेतों में कई तरह की खरपतवार उगती है। इसी तरह झरबेरी बुंदेलखंड में खेतों की मेड़ों पर अपने आप उगती है. हालांकि इसमें काफी छोटे बेर होते हैं, लेकिन किसान इसे खरपतवार ही मानते हैं. बुंदेलखंड के एक युवा किसान ने कृषि और उद्यानिकी से जुड़े नवाचार के जरिए खरपतवार मानी जाने वाली झरबेरी को एप्पल बेर में बदलने का काम किया है और इससे किसानों को मोटी कमाई भी हो रही है. सागर जिले के मालथौन विकासखंड के युवा किसान की इस पहल पर कई किसान इस तरीके को आजमा कर मोटी कमाई कर रहे हैं.
युवा किसान का नवाचार: खेती किसानी और मजदूरी के जरिए अपना जीवन यापन करने वाले बुंदेलखंड के ग्रामीण आमतौर पर पारंपरिक खेती के जरिए ही खेती किसानी करते हैं. लेकिन बदलते समय और खेती बागवानी में आ रही नई तकनीक के चलते किसानों ने अब खेती किसानी का तरीका बदला है. इसी तरह सागर जिले के मालथौन विकासखंड के रजवांस गांव के एक युवा किसान ने खेतों में खरपतवार की तरह उगने वाली झरबेरी में उद्यानिकी के नवाचारों को अपनाकर कमाई का एक नया जरिया ईजाद किया है.
ग्राफ्टिंग के जरिए बदलाव: रजवास गांव के रहने वाले अंकित जैन ने झरबेरी के पौधों में ग्राफ्टिंग कर एप्पल बेर के नए पौधे तैयार किए गए हैं. कृषि और उद्यानिकी में नवाचार करने वाले युवा किसान ने छोटे से गांव में खेती का नया मॉडल पेश किया है. परंपरागत खेती से हटकर उद्यानिकी तकनीक के जरिए खरपतवार समझी जाने वाली झरबेरी के झाड़ अब एप्पल बेर से लदे है और मार्केट में इसकी अच्छी मांग होने के कारण किसानों को मुनाफे का सौदा बन रहे हैं.
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दूसरी बार में मिली सफलता: रजवांस के रहने वाले युवा किसान अंकित जैन बताते हैं कि बुंदेलखंड अंचल में किसानों के खेतों की मेड पर झरबेरी या देशी बेर के झाड़ बहुतायत में उग जाते है. जिन्हें किसान हर साल काट छांट देते है. इन झाड़ो में बेर के फल तो होते है,लेकिन ये काफी छोटे और स्वादिष्ट भी नहीं होते है. अमूनन किसान झरबेरी के इन झाड़ो को खरपतवार मानते है. लेकिन मैंने खेतों के किनारे उगने वाली झरबेरी में बडिंग कर एप्पल बेर का पौधा बना दिया. जिससे अब बम्पर उत्पादन हो रहा है. एप्पल बेर का वजन 100 से 120 ग्राम तक आ रहा है. युवा किसान अंकित जैन ने बताया कि उन्होंने 4 साल पहले भी ऐसा प्रयोग किया था, वो असफल हो गया था, लेकिन उन्होंने हार नही मानी. अब प्रयोग सफल होने के बाद झरबेरी की ग्राफ्टिंग कर एप्पल बेर की नई फसल तैयार कर ली है,जो 6 महीने में पककर तैयार हो जाती हैं और उससे फल मिलने शुरू हो जाते हैं.
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कृषि वैज्ञानिकों ने की सराहना: वही इस युवा किसान द्वारा किये इस नवाचार की सराहना कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी कर रहे है. कृषि विज्ञान केंद्र सागर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर के यादव का कहना है कि यह बड़ी सरल प्रक्रिया है और अगर ऐसा जिले के सभी किसान करने लगे, तो सागर एप्पल बेर निर्यात का केंद्र बन सकता है. इस युवा किसान द्वारा किये गए कार्यो से अन्य किसान भी प्रभावित है तथा वह भी ऐसा नवाचार करना चाहते हैं. इससे बुंदेलखंड जैसे पिछड़े क्षेत्र में किसानों की आमदनी बढ़ेगी.