सागर। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों के कारण महंगाई भी तेजी से बढ़ रही है. खासकर रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुओं के दाम तेजी से बढ़ रहे हैं. इसका सीधा असर आम आदमी के रसोई घर पर पड़ रहा है. किराने का सामान तो महंगा हो ही गया है इसके अलावा सब्जियां भी महंगी होती जा रही हैं. जबकि मौसम के लिहाज से यह सस्ती सब्जियों का समय होता है.
सब्जियों की महंगाई का कारण परिवहन
जहां तक सब्जियों की महंगाई की बात करें, तो मौजूदा सीजन में आमतौर पर सब्जियां सस्ती होती हैं, लेकिन सब्जी विक्रेता जो सब्जियां बाहर से लाते है उन सब्जी विक्रेताओं को सब्जी काफी महंगी पड़ रही हैं. क्योंकि सब्जी के परिवहन पेट्रोल डीजल के दामों के कारण महंगा हो गया है. इसलिए सब्जी को सब्जी मंडी तक लाने का खर्च बढ़ गया है. ऐसी स्थिति में व्यापारियों को ना चाह कर भी सब्जी महंगी बेचना पड़ रही है. उनकी सब्जी लाने की लागत बढ़ गई है.
सब्जियों का सीजन होने के बाद भी बढ़ी महंगाई
आमतौर पर इस मौसम में सब्जियों की ज्यादातर फसलें आती हैं. ऐसी स्थिति में सब्जी के दाम ज्यादा तेज नहीं होते हैं, लेकिन पेट्रोल डीजल की कीमत बढ़ जाने के कारण सब्जियों का परिवहन काफी महंगा पड़ रहा है. इसलिए पिछले सीजन के अपेक्षा मौजूदा सीजन में सब्जियां महंगी बिक रही हैं. खास तौर पर आम, लौकी, धनिया, अदरक, परमल, ककड़ी जैसे सब्जियों के दाम 5 से 10 रूपए तक बढ़ गए हैं.
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करीब डेढ़ गुना बढ़ गया सब्जियों का परिवहन भाड़ा
सब्जी का थोक व्यापार करने वाले व्यापारी बताते हैं कि जिस तरह से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं. इन दामों के कारण सब्जी का परिवहन करीब डेढ़ गुना हो गया है. पहले आलू या प्याज की एक बोरी लाने के लिए 10 रुपए भाड़ा लगता था, तो अब वही भाड़ा 15 रुपए बढ़ गया है.
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आम आदमी से लेकर सब्जी उत्पादक,थोक विक्रेता और विक्रेता परेशान
पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने के कारण सब्जी के खरीदार यानि आम आदमी से लेकर सब्जी उत्पादक किसान,सब्जी विक्रेता और सब्जी के थोक विक्रेता सभी परेशान हैं. जानकार कहते हैं कि परिवहन बढ़ने का सबसे पहला असर सब्जी उत्पादक किसान पर पड़ा है. अब किसान को अपने खेत से मंडी तक के सब्जी लाने के लिए डेढ़ गुना भाड़ा देना पड़ रहा है. मंडी तक सब्जी पहुंचने के बाद हम्मालों की मजदूरी देनी पड़ रही है, जो बढ़ती महंगाई के कारण बढ़ गई है. अब क्षेत्र से मंडी तक सब्जी को लाने की लागत बढ़ जाने के बाद किसान व्यापारी को अगर थोक में सब्जी बेचता है, तो अपनी लागत के साथ कुछ फायदा भी निकालता है.
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ऐसी स्थिति में थोक विक्रेता को भी महंगी सब्जी खरीदनी पड़ रही है और जब यह सब्जी थोक विक्रेता के जरिए आम दुकानदार तक पहुंचती है, तो और भी महंगी हो जाती है. आम आदमी जब अपने खाने के लिए सब्जी लेने पहुंचता है, तो उसे करीब डेढ़ गुना दाम ज्यादा देना पड़ता है.