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MP Heavy Rain ये बारिश रबी सीजन के लिए अमृत वर्षा के समान, शरबती गेहूं उगाने वाले किसान करें ये उपाय - बारिश के कारण जमीन में पर्याप्त नमी

मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में पिछले एक हफ्ते से चल रही लगातार बारिश में खरीफ सीजन की उड़द और मूंग की फसलों को भले ही नुकसान पहुंचाया हो, लेकिन जानकारों के मुताबिक रबी सीजन की फसलों के लिए ये बरसात अमृत वर्षा के समान है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार बारिश के कारण जमीन में पर्याप्त नमी हो गई है, जो रबी सीजन की बुवाई के समय पर काफी फायदेमंद होगी. रबी सीजन की बुवाई में किसानों की लागत भी कम होगी और सिंचाई भी कम करना पड़ेगी. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि विशेषकर शरबती गेहूं की फसल उगाने वाले किसानों के लिए यह काफी फायदेमंद सौदा होगा. MP Heavy Rain, rain useful for rabi corp, farmers grow Sharbati wheat

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ये बारिश रबी सीजन के लिए अमृत वर्षा के समान
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Published : Sep 23, 2022, 7:32 PM IST

सागर। पिछले एक हफ्ते से लगातार हो रही बारिश के कारण खरीफ के सीजन में किसानों के लिए कहीं खुशी कहीं गम का नजारा है. सोयाबीन की फसल पर निर्भर किसान अच्छी फसल आने की उम्मीद कर रहे हैं. लेकिन उड़द और मूंग उगाने वाले किसानों को काफी नुकसान हुआ है. सोयाबीन की फसल में फिलहाल फल्लियां आई हैं और माना जा रहा है कि बारिश सोयाबीन की फसल के लिए फायदेमंद होगी. लेकिन पकने की कगार पर पहुंच गई उड़द और मूंग की फसलों के लिए ये बारिश नुकसानदायक बताई जा रही है और कई इलाकों में उड़द और मूंग की फसल में फफूंद लगने और दाना सफेद पढ़ने की जानकारी मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ बारिश के चलते फसल का नुकसान का सर्वे भी नहीं हो पा रहा है।

ये बारिश रबी सीजन के लिए अमृत वर्षा के समान

रबी सीजन के लिए अमृत वर्षा : भले ही किसानों के लिए खरीफ के सीजन के अंत में बारिश के कारण नुकसान हुआ है. लेकिन कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो आगामी रबी सीजन के लिए यह बारिश अमृत वर्षा के समान है. कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि इस बरसात से जो आगामी सीजन की फसलें हैं, उनको फायदा होगा. किसान अगर बारिश के कारण आई नमी को संजो कर रखेंगे तो उन्हें सिंचाई भी कम करना पड़ेगी. रबी के सीजन में किसान चना और मसूर जैसी फसलों का लाभ ले सकते हैं.

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ये बारिश रबी सीजन के लिए अमृत वर्षा के समान

Heavy rain Bundelkhand बुंदेलखंड में भारी बारिश से उड़द व मूंग की फसलें तबाह, किसानों पर फिर संकट, सर्वे के आदेश

बुवाई से पहले पलेवा की जरूरत नहीं : इन फसलों की अच्छी किस्में कृषि विज्ञान केंद्र और बीज निगम में आसानी से मिल जाएंगी, बरसात इतनी पर्याप्त हो चुकी है कि जो गेहूं की लंबी अवधि की फसलें हैं, जैसे शरबती की बुवाई पहले ही हो जाती है. इस वर्षा के कारण शरबती की बुवाई के पहले पलेवा की आवश्यकता नहीं होगी. आमतौर पर अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत में बुवाई होती है. इस बार हुई बारिश के कारण किसानों की लागत भी कम खर्च होगी, क्योंकि किसानों को कम मात्रा में सिंचाई करना होगी और उनका बिजली और डीजल का खर्च बच जाएगा.

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सागर। पिछले एक हफ्ते से लगातार हो रही बारिश के कारण खरीफ के सीजन में किसानों के लिए कहीं खुशी कहीं गम का नजारा है. सोयाबीन की फसल पर निर्भर किसान अच्छी फसल आने की उम्मीद कर रहे हैं. लेकिन उड़द और मूंग उगाने वाले किसानों को काफी नुकसान हुआ है. सोयाबीन की फसल में फिलहाल फल्लियां आई हैं और माना जा रहा है कि बारिश सोयाबीन की फसल के लिए फायदेमंद होगी. लेकिन पकने की कगार पर पहुंच गई उड़द और मूंग की फसलों के लिए ये बारिश नुकसानदायक बताई जा रही है और कई इलाकों में उड़द और मूंग की फसल में फफूंद लगने और दाना सफेद पढ़ने की जानकारी मिल रही है। वहीं दूसरी तरफ बारिश के चलते फसल का नुकसान का सर्वे भी नहीं हो पा रहा है।

ये बारिश रबी सीजन के लिए अमृत वर्षा के समान

रबी सीजन के लिए अमृत वर्षा : भले ही किसानों के लिए खरीफ के सीजन के अंत में बारिश के कारण नुकसान हुआ है. लेकिन कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो आगामी रबी सीजन के लिए यह बारिश अमृत वर्षा के समान है. कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि इस बरसात से जो आगामी सीजन की फसलें हैं, उनको फायदा होगा. किसान अगर बारिश के कारण आई नमी को संजो कर रखेंगे तो उन्हें सिंचाई भी कम करना पड़ेगी. रबी के सीजन में किसान चना और मसूर जैसी फसलों का लाभ ले सकते हैं.

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बुवाई से पहले पलेवा की जरूरत नहीं : इन फसलों की अच्छी किस्में कृषि विज्ञान केंद्र और बीज निगम में आसानी से मिल जाएंगी, बरसात इतनी पर्याप्त हो चुकी है कि जो गेहूं की लंबी अवधि की फसलें हैं, जैसे शरबती की बुवाई पहले ही हो जाती है. इस वर्षा के कारण शरबती की बुवाई के पहले पलेवा की आवश्यकता नहीं होगी. आमतौर पर अक्टूबर के अंत और नवंबर की शुरुआत में बुवाई होती है. इस बार हुई बारिश के कारण किसानों की लागत भी कम खर्च होगी, क्योंकि किसानों को कम मात्रा में सिंचाई करना होगी और उनका बिजली और डीजल का खर्च बच जाएगा.

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