सागर। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को हटाकर सत्ता में आई भाजपा की शिवराज सरकार को एक साल बीत गए हैं. आज शिवराज सरकार और भाजपा संगठन पिछले एक साल की अपनी उपलब्धियां भी गिना रहे हैं. लेकिन उपलब्धियों के बीच कई चीजें ऐसी भी हैं. जिनको लेकर शिवराज सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं. सबसे बड़ी समस्या विधायकों से लेकर आम नागरिकों को आ रही है. क्योंकि सरकार ने अभी तक जिलों के प्रभारी मंत्री घोषित नहीं किए हैं. प्रभारी मंत्री न होने के कारण कई तरह के काम लंबित पड़े हुए हैं.
- प्रभारी मंत्री का इंतजार कर रहे विधायक
सागर से भाजपा विधायक शैलेंद्र जैन का भी कहना है कि प्रभारी मंत्री व्यवस्था एक बेहतर व्यवस्था है और हम विधायकों के लिए काफी मददगार होती है, फिलहाल हम इंतजार कर रहे हैं कि सरकार कब तक प्रभारी मंत्री बनाते हैं.
- प्रभारी मंत्री की व्यवस्था से मंत्री स्तर पर ही निपट जाते हैं काम
दरअसल लंबे समय से इस सरकार में हर जिले में प्रभारी मंत्री बनाने की व्यवस्था है. इस व्यवस्था के अंतर्गत जिले की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रभारी मंत्री की पकड़ होती है. जिले में होने वाले छोटे-मोटे काम काज और तबादलों से लेकर विकास कार्यों के लिए प्रभारी मंत्री के पास कई अधिकार होते हैं. मौजूदा स्थिति में प्रभारी मंत्री की व्यवस्था ना होने के कारण हर काम के लिए लोगों को भोपाल जाना पड़ता है.
- तबादलों में भी प्रभारी मंत्री की सिफारिश होती है जरूरी
सरकार ने नई तबादला नीति का ऐलान कर दिया है. तबादलों के लिए प्रभारी मंत्री की सिफारिश सबसे ज्यादा जरूरी होती है. एक मई से तबादले की प्रक्रिया शुरू होनी है. ऐसी स्थिति में प्रभारी मंत्री की सिफारिश तबादला चाहने वाले कर्मचारियों को कैसे हासिल होगी, यह बड़ा सवाल है.
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- प्रभारी मंत्री न होने से विधायक भी परेशान
शिवराज सरकार में मंत्री पद के प्रबल दावेदार रहे सागर विधायक शैलेंद्र जैन का कहना है कि प्रभारी मंत्री की व्यवस्था काफी बेहतर व्यवस्था होती है. प्रभारी मंत्री की नियुक्ति होने से बहुत सारी समस्याओं का समाधान होता है. प्रभारी मंत्री न होने से विधायकों को भी दिक्कत आती है, पार्टी के कार्यकर्ताओं और आम जनता को भी दिक्कत आती है.