सागर। एक ओर जहां कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए किए गए लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ बेसहारा और असहाय मजदूरों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने मनरेगा के कार्यों को प्रारम्भ करने की स्वीकृति दी थी. जिसके बाद एमपी में मनरेगा के तहत होने वाले कार्य प्रारंभ कर दिए गए हैं और मनरेगा योजना के तहत प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है.
लॉकडाउन के चलते बड़ी संख्या में मजदूरों का पलायन जारी है, श्रमिक वर्ग को शासन स्तर पर सरकार विशेष ट्रेनों के जरिए उनके गंतव्य तक भेज रही है, जिसकी वजह से बुंदेलखंड अंचल के हर एक गांव में बड़ी संख्या में श्रमिक पहुंच रहे हैं. श्रमिक सुरक्षित अपने गांव तो आ गया, लेकिन रोजगार का संकट जस का तस है, जिसे महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना ने दूर किया. जिला प्रशासन मनरेगा के कार्यों में उन प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करवा रहा है, जो क्वारेंटाइन अवधि पूरी कर चुके हैं.
जिले की 755 ग्राम पंचायतों में से 752 ग्राम पंचायतों में 6 हजार 858 रोजगार कार्य प्रारंभ किये जा चुके हैं, जिससे 43 हजार 721 श्रमिकों को रोजगार मिल रहा है, आगामी दिनों में ये संख्या बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. मनरेगा के कार्यों में खेत, तालाब, ग्रामीण सड़क, बंधान सहित कूप स्वीकृत किए गए हैं, जिसमें सबसे पहले समस्त ग्राम पंचायतों में मनरेगा कार्यों में छूट प्रदान की गई है, ताकि ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन हो सके.
शासन द्वारा निर्देशित राहत योजनाओं का भी क्रियान्वयन किया जा रहा है. ऐसे कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है, जो श्रम प्रधान हों. इन कार्यों के दौरान कार्यस्थल पर सामाजिक दूरी के अलावा चेहरे पर मास्क और गमछे से ढंके रखना, नियमित रूप से हाथ धोना सुनिश्चित किया गया है, जबकि ऐसे श्रमिक जिन्हें सर्दी, खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ है, उन्हें कार्य में नहीं लगाया गया है.
मनरेगा से समाज के निचले तबके यानि मजदूर वर्ग को जीवनयापन के लिए नया संबल मिला है. रोजगार कार्य शुरू हो जाने से प्रवासी मजदूर खुश हैं, इसके लिए श्रमिक वर्ग ने सरकार को धन्यवाद भी दिया है. मजदूरों का कहना है कि काम की तलाश में वो बाहर गए थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते अपने गांव वापस आ गए हैं, जहां रोजगार पाकर खुश हैं.