रतलाम: मध्य प्रदेश में जिस तरह सोयाबीन की एमएसपी को लेकर सोशल मीडिया पर किसानों ने मुहिम चलाई थी ठीक वैसे ही मुहिम गेहूं की एमएसपी को लेकर शुरू हो गई है. किसानों की गेहूं की एमएसपी ₹3000 प्रति क्विंटल की मांग मध्य प्रदेश में भी उठने लगी है. खासकर मालवा क्षेत्र में किसान गेहूं के दाम ₹3000 प्रति क्विंटल किए जाने को लेकर मोहन सरकार और कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग कर रहे है.
इसके लिए सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो पोस्ट कर मुहिम चला रहे हैं. किसानों का कहना है कि सरकार गेहूं की खरीदी पर एमएसपी 2425 रुपये प्रति क्विंटल ही दे रही है. जबकि गेहूं की लागत के अनुसार ₹3000 प्रति क्विंटल एमएसपी होनी ही चाहिए.
किसान क्यों चाहते हैं गेहूं की 3000 रुपये एमएसपी
गेहूं उत्पादक किसानों के साथ मुहिम चला रहे किसान राजेश पुरोहित ने बताया कि "पहले ही सोयाबीन की गिरती कीमतों की वजह से किसान परेशान हैं. ऐसे में गेहूं की एमएसपी भी नहीं मिलने पर किसान इन फसलों की खेती करना ही बंद कर देंगे. क्योंकि लागत ही वसूल नहीं हो पा रही है. जिसके लिए गेहूं की एमएसपी ₹3000 प्रति क्विंटल किए जाने की मांग किसान कर रहे हैं."
![Campaign on social media regarding wheet MSP](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-02-2025/23487140_ratlam1.jpg)
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गांव-गांव में होगी गेहूं पंचायत
किसान अरविंद पाटीदार के अनुसार "यदि गेहूं तो एमएसपी नहीं बढ़ाई जाती है तो सोयाबीन पंचायत की तर्ज पर ही अब गांव-गांव में गेहूं पंचायत भी आयोजित की जाएगी. इस वर्ष केंद्र सरकार ने गेहूं की एमएसपी डेढ़ सौ रुपए बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल की गई है. लेकिन किसानों को गेहूं 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल से कम पर बेचना मंजूर नहीं है."
![ratlam Farmers start MSP campaign](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/06-02-2025/genhumsp_06022025155329_0602f_1738837409_470.jpeg)
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क्या है गेहूं उत्पादन का इकोनॉमिक्स
किसान नेता राजेश पुरोहित ने बताया कि "एक हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की फसल पर करीब 80 हजार से 1 लाख रुपये तक का खर्च आता है. जबकि औसत उत्पादन 10 से 12 क्विंटल प्रति बीघा ही मिल पाता है. ऐसी स्थिति में किसानों को मुनाफा नहीं मिल पा रहा है. बहरहाल सोयाबीन आंदोलन की तरह ही गेहूं की एमएसपी बढ़ाए जाने को लेकर भी सोशल मीडिया पर मुहिम चलाई जा रही है. जिसे बाद में गांव-गांव में गेहूं पंचायत आयोजित करने की तैयारी मालवा के किसान कर रहे हैं."