सागर। प्रदेश में ठंड का कहर जारी है, मौसम के अनुरुप तापमान घट रहा है और पारा नीचे की तरफ लुढ़कता जा रहा है. इस बीच पिछले दिनों से बुंदेलखंड अंचल में भी हल्की बारिश ने ठंड बढ़ा दी है, लेकिन यह बारिश किसानों के लिए किसी अमृत वर्षा से कम नहीं है. खासकर उन किसानों के लिए जिनके पास सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होती है. उन किसानों के लिए यह बारिश फायदे का सौदा रही. इस बारिश के विषय में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिकों का भी यही मत है. अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक के एस यादव ने ईटीवी भारत के माध्यम से किसानों को मावठ के बाद कुछ एहतियात बरतने की टिप्स भी दिए जिससे वह ज्यादा उत्पादन कर लाभ ले सके.
पिछले दिनों क्षेत्र में हुई हल्की बारिश जिससे मावठ भी कहा जाता है ने किसानों के चेहरे पर खुशियां ला दी है. जिस वक्त फसलों को सिंचाई की आवश्यकता थी ऐसे समय में आसमान से गिरी बूंदें फसलों के लिए संजीवनी है. प्राकृतिक रूप से मिली इस सिंचाई से कृत्रिम सिंचाई से ज्यादा अच्छी फसल आने की उम्मीद किसानों ने जताई है. किसानों का कहना है कि इस मौसम में हुई हल्की बारिश से फसलों में अच्छे फूल और फली आते हैं. इस बारिश से मटर, बैंगन, टमाटर, आलू, गेहूं और चने सहित मसूर की फसल अच्छी होगी और इनका उत्पादन बढ़ेगा. किसानों ने बताया कि वे सिंचाई के अन्य साधनों का इस्तेमाल भी कर रहे थे, लेकिन प्राकृतिक बारिश से हुई सिंचाई से फसलों को ज्यादा फायदा होता है, खेतों में नमी और ठंड होने से फसलें हरी-भरी हो गई है.
इन बातों पर किसान दे ध्यान-
वहीं कृषि अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर के एस यादव ने बताया कि मावठ बारिश जो कि 1 से 2 सेंटीमीटर तक हुई है, उससे किसानों की चना गेहूं मसूर की बड़ी हो चुकी फसल को भी फायदे होगा, लेकिन मौसम खुलते ही विशेष करके चना और अरहर सहित सब्जी जैसे टमाटर, बैंगन, मिर्ची की फसलों में इल्ली लगने की संभावना बढ़ेगी, इसके लिए किसान अपने खेतों का निरंतर निरीक्षण कर पत्तियों को पलट कर देखें और शुरुआती तौर पर कम मात्रा में कीट होने पर नीम का तेल, 5 मिलीलीटर कसौटी उपयोग कर छिड़काव करें और अगर इल्ली का प्रकोप बढ़ता दिखाई दे तो कृषि विभाग के अधिकारियों की सलाह जरूर लें.
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फिलहाल लगातार हो रहे नुकसान के बाद फसलों के अनुकूल मौसम और सिंचाई के लिए बारिश के पानी ने किसानों को अच्छे पैदावार की उम्मीद जगा दी है.