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शतरंज के शौकीन हैं भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर, पैतृक गांव मोहासा में सादगी के लिए हैं मशहूर

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Published : Dec 14, 2021, 10:27 AM IST

भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर (Makrand Deuskar First Police Commissioner of Bhopal) का बुंदेलखंड से काफी करीबी नाता है, सागर जिले का मोहासा गांव उनका पैतृक गांव हैं. हालांकि, उनकी शिक्षा-दीक्षा उनके पिता की नौकरी के कारण अलग-अलग शहरों में हुई है, लेकिन मकरंद को अपने पैतृक गांव से काफी लगाव है और वह साल में एक-दो बार जरूर आते हैं. उनके परिजन उनके सरल और सहज स्वभाव की खूब तारीफ करते हैं. इसके अलावा शतरंज (First Police Commissioner of Bhopal fond of chess) और ज्योतिष का शौक काफी पुराना है. जब भी वह अपने पैतृक गांव आते हैं तो मराठी परिवार में बनने वाले आटे के लड्डू और गुड़ की रोटी जरूर खाते हैं.

Makrand Deuskar First Police Commissioner of Bhopal
शतरंज के शौकीन हैं भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर

सागर। मध्यप्रदेश के पुलिस इतिहास में पहली बार आर्थिक राजधानी इंदौर और राजधानी भोपाल में कमिश्नर प्रणाली लागू की गई है, भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर बनने का गौरव आईपीएस मकरंद देउस्कर (Makrand Deoskar First Police Commissioner of Bhopal) को मिला है. सरल और सहज स्वभाव के धनी मकरंद देउस्कर आईपीएस के तौर पर काफी सफल अफसर माने जाते हैं, उनमें ऐसी कई खूबियां हैं कि उन्हें भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर बनने का गौरव हासिल हुआ है.

Makrand Deuskar First Police Commissioner of Bhopal
शतरंज के शौकीन भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर (फेमिली फोटो)

मकरंद देउस्कर का पैतृक गांव है मोहासा

सागर जिले के खिमलासा कस्बे के नजदीक मोहासा गांव राजधानी भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर का पैतृक गांव है, करीब 4 पीढ़ी पहले देउस्कर परिवार खिमलासा के नजदीक मोहासा गांव (Makrand Deuskar is famous for simplicity in village Mohsa) में आकर बसा था, आईपीएस मकरंद देउस्कर के पिता रामचंद्र राव देउस्कर उच्च शिक्षा विभाग में प्रोफेसर थे और हायर एजुकेशन के डायरेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. रामचंद्र राव देउस्कर के सबसे छोटे भाई विलासराव देउस्कर फिलहाल मोहासा गांव में रहते हैं और पूरे परिवार की खेती बाड़ी का काम संभालते हैं.

भिलाई में जन्मे थे आईपीएस मकरंद देउस्कर

भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के चाचा विलासराव देउस्कर बताते हैं कि मकरंद का जन्म भिलाई में हुआ था. उनके माता-पिता दोनों ही प्रोफेसर थे और उनकी उस समय दुर्ग में पोस्टिंग थी. इसके बाद उनके माता-पिता का ट्रांसफर धार जिले में हुआ, बाद में उनकी पोस्टिंग भोपाल में हुई. आईपीएस मकरंद देउसकर की शुरुआती पढ़ाई भिलाई और धार में हुई है, बाद में वो भोपाल के एमएसीटी कॉलेज में पढ़े, उनके पिता मध्यप्रदेश सरकार के हायर एजुकेशन के डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए थे.

मकरंद देऊस्कर बने भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर, कहा- महिला अपराधों को लेकर बनेगी नई रणनीति

मोहासा में हुआ आईपीएस का उपनयन संस्कार

विलासराव देउस्कर बताते हैं कि हमारे मराठी समाज और हमारे परिवार में उपनयन संस्कार का विशेष महत्व है, हमारे बड़े भाई के बेटे मकरंद और मेरे बेटे का उपनयन संस्कार एक साथ मोहासा गांव में ही हुआ था, जिसमें हमारे रिश्तेदारों के अलावा गांव के लोगों ने भी हिस्सा लिया था. मकरंद देउस्कर की शादी इंदौर में सप्रे परिवार में हुई है, उनकी दो बेटियां हैं. एक एमबीबीएस की पढ़ाई इंदौर में कर रही है और एक अभी दसवीं में पढ़ रही है.

मोहासा में बिताते हैं छुट्टियां, सादगी की हैं मिसाल

पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के चाचा विलासराव देउस्कर बताते हैं कि पारिवारिक कार्यक्रमों और छुट्टियां बिताने के लिए मकरंद अपने परिवार के साथ अक्सर मोहासा आते हैं, आमतौर पर वह अपने निजी वाहन या फिर टैक्सी से गांव आते हैं, सरकारी वाहन का उपयोग नहीं करते हैं. उन्हें भी वीवीआईपी ट्रीटमेंट का बिल्कुल भी शौक नहीं है. गांव में एक साधारण व्यक्ति की तरह सभी से मुलाकात करते हैं और ज्यादातर वक्त घर पर और खेतों में बिताते हैं. अपने आने जाने की सूचना परिवार के अलावा किसी को नहीं देते हैं. आसपास के थानों में भी वह मोहासा आने की सूचना नहीं देते हैं.

मकरंद देउस्कर के चाचा 20 साल तक रहे सरपंच

पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के पिता तीन भाई हैं, तीनों भाइयों में खेती का बंटवारा नहीं हुआ है. मकरंद देउसकर के चाचा विलासराव देउस्कर पूरे परिवार की खेती बाड़ी का ख्याल रखते हैं. विलासराव अपने परिवार की खेती बाड़ी का जिम्मा संभालने के लिए 1978 में गांव में ही बस गए थे. वह 20 साल तक अपने गांव मोहासा के सरपंच रहे हैं और उस दौरान उन्होंने गांव में कई विकास कार्य भी करवाए हैं.

शतरंज-ज्योतिष का शौक रखते हैं पुलिस कमिश्नर

भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर को शतरंज खेलने का शौक है, उनके पिता शतरंज के माहिर खिलाड़ी थे, पिता को शतरंज खेलता देखते हुए मकरंद देउस्कर का भी शतरंज में मन रम गया. खाली वक्त में ज्यादातर शतरंज (First Police Commissioner of Bhopal fond of chess) ही खेलते हैं, इसके अलावा उनके पिता को ज्योतिष (First Police Commissioner of Bhopal fond of astrology) से भी काफी लगाव था, ज्योतिष से पिता के लगाव के चलते मकरंद देउसकर का भी ज्योतिष में लगाव बढ़ा. मकरंद अक्सर ज्योतिष के गूढ़ रहस्य पर चर्चा करते रहते हैं और उससे संबंधित किताबें भी पढ़ते हैं.

आटे के लड्डू और गुड़ की रोटी के हैं शौकीन

विलासराव देउस्कर बताते हैं कि खाने-पीने में मकरंद के शौक हम लोगों से मिलते-जुलते हैं, मराठी परिवार में बनने वाला खाना और व्यंजन ही उन्हें पसंद है. जब भी वह गांव आते हैं तो मराठी व्यंजनों में आटे के लड्डू और गुड़ की रोटी बनती है, जो मकरंद को बहुत पसंद है और वह बहुत चाव से खाता है.

सागर। मध्यप्रदेश के पुलिस इतिहास में पहली बार आर्थिक राजधानी इंदौर और राजधानी भोपाल में कमिश्नर प्रणाली लागू की गई है, भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर बनने का गौरव आईपीएस मकरंद देउस्कर (Makrand Deoskar First Police Commissioner of Bhopal) को मिला है. सरल और सहज स्वभाव के धनी मकरंद देउस्कर आईपीएस के तौर पर काफी सफल अफसर माने जाते हैं, उनमें ऐसी कई खूबियां हैं कि उन्हें भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर बनने का गौरव हासिल हुआ है.

Makrand Deuskar First Police Commissioner of Bhopal
शतरंज के शौकीन भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर (फेमिली फोटो)

मकरंद देउस्कर का पैतृक गांव है मोहासा

सागर जिले के खिमलासा कस्बे के नजदीक मोहासा गांव राजधानी भोपाल के पहले पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर का पैतृक गांव है, करीब 4 पीढ़ी पहले देउस्कर परिवार खिमलासा के नजदीक मोहासा गांव (Makrand Deuskar is famous for simplicity in village Mohsa) में आकर बसा था, आईपीएस मकरंद देउस्कर के पिता रामचंद्र राव देउस्कर उच्च शिक्षा विभाग में प्रोफेसर थे और हायर एजुकेशन के डायरेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. रामचंद्र राव देउस्कर के सबसे छोटे भाई विलासराव देउस्कर फिलहाल मोहासा गांव में रहते हैं और पूरे परिवार की खेती बाड़ी का काम संभालते हैं.

भिलाई में जन्मे थे आईपीएस मकरंद देउस्कर

भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के चाचा विलासराव देउस्कर बताते हैं कि मकरंद का जन्म भिलाई में हुआ था. उनके माता-पिता दोनों ही प्रोफेसर थे और उनकी उस समय दुर्ग में पोस्टिंग थी. इसके बाद उनके माता-पिता का ट्रांसफर धार जिले में हुआ, बाद में उनकी पोस्टिंग भोपाल में हुई. आईपीएस मकरंद देउसकर की शुरुआती पढ़ाई भिलाई और धार में हुई है, बाद में वो भोपाल के एमएसीटी कॉलेज में पढ़े, उनके पिता मध्यप्रदेश सरकार के हायर एजुकेशन के डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त हुए थे.

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मोहासा में हुआ आईपीएस का उपनयन संस्कार

विलासराव देउस्कर बताते हैं कि हमारे मराठी समाज और हमारे परिवार में उपनयन संस्कार का विशेष महत्व है, हमारे बड़े भाई के बेटे मकरंद और मेरे बेटे का उपनयन संस्कार एक साथ मोहासा गांव में ही हुआ था, जिसमें हमारे रिश्तेदारों के अलावा गांव के लोगों ने भी हिस्सा लिया था. मकरंद देउस्कर की शादी इंदौर में सप्रे परिवार में हुई है, उनकी दो बेटियां हैं. एक एमबीबीएस की पढ़ाई इंदौर में कर रही है और एक अभी दसवीं में पढ़ रही है.

मोहासा में बिताते हैं छुट्टियां, सादगी की हैं मिसाल

पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के चाचा विलासराव देउस्कर बताते हैं कि पारिवारिक कार्यक्रमों और छुट्टियां बिताने के लिए मकरंद अपने परिवार के साथ अक्सर मोहासा आते हैं, आमतौर पर वह अपने निजी वाहन या फिर टैक्सी से गांव आते हैं, सरकारी वाहन का उपयोग नहीं करते हैं. उन्हें भी वीवीआईपी ट्रीटमेंट का बिल्कुल भी शौक नहीं है. गांव में एक साधारण व्यक्ति की तरह सभी से मुलाकात करते हैं और ज्यादातर वक्त घर पर और खेतों में बिताते हैं. अपने आने जाने की सूचना परिवार के अलावा किसी को नहीं देते हैं. आसपास के थानों में भी वह मोहासा आने की सूचना नहीं देते हैं.

मकरंद देउस्कर के चाचा 20 साल तक रहे सरपंच

पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर के पिता तीन भाई हैं, तीनों भाइयों में खेती का बंटवारा नहीं हुआ है. मकरंद देउसकर के चाचा विलासराव देउस्कर पूरे परिवार की खेती बाड़ी का ख्याल रखते हैं. विलासराव अपने परिवार की खेती बाड़ी का जिम्मा संभालने के लिए 1978 में गांव में ही बस गए थे. वह 20 साल तक अपने गांव मोहासा के सरपंच रहे हैं और उस दौरान उन्होंने गांव में कई विकास कार्य भी करवाए हैं.

शतरंज-ज्योतिष का शौक रखते हैं पुलिस कमिश्नर

भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देउस्कर को शतरंज खेलने का शौक है, उनके पिता शतरंज के माहिर खिलाड़ी थे, पिता को शतरंज खेलता देखते हुए मकरंद देउस्कर का भी शतरंज में मन रम गया. खाली वक्त में ज्यादातर शतरंज (First Police Commissioner of Bhopal fond of chess) ही खेलते हैं, इसके अलावा उनके पिता को ज्योतिष (First Police Commissioner of Bhopal fond of astrology) से भी काफी लगाव था, ज्योतिष से पिता के लगाव के चलते मकरंद देउसकर का भी ज्योतिष में लगाव बढ़ा. मकरंद अक्सर ज्योतिष के गूढ़ रहस्य पर चर्चा करते रहते हैं और उससे संबंधित किताबें भी पढ़ते हैं.

आटे के लड्डू और गुड़ की रोटी के हैं शौकीन

विलासराव देउस्कर बताते हैं कि खाने-पीने में मकरंद के शौक हम लोगों से मिलते-जुलते हैं, मराठी परिवार में बनने वाला खाना और व्यंजन ही उन्हें पसंद है. जब भी वह गांव आते हैं तो मराठी व्यंजनों में आटे के लड्डू और गुड़ की रोटी बनती है, जो मकरंद को बहुत पसंद है और वह बहुत चाव से खाता है.

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