ETV Bharat / state

ETV भारत Special : सोया स्टेट MP में किसानों का सोयाबीन से मोहभंग, दो साल में रकबा 8 लाख हेक्टेयर घटा, जानिए क्यों ?

मध्यप्रदेश को सोयाबीन राज्य का दर्जा प्राप्त है. सोयाबीन की फसल मध्य प्रदेश के कृषि क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने वाली फसल रही है. मध्य प्रदेश का किसान सोयाबीन उत्पादन करके समृद्धि हुआ है. लेकिन पिछले 3 साल से बढ़ती लागत और कम उत्पादन के कारण मध्य प्रदेश के किसानों का सोयाबीन से धीरे-धीरे मोहभंग हो रहा है. किसान अब सोयाबीन की जगह दूसरी फसलें करने पर विश्वास करने लगे हैं. दरअसल, सोयाबीन की फसल की लागत काफी महंगी है. महंगाई लगातार बढ़ जाने के कारण जितना उत्पादन होता है,उसमें लागत भी नहीं निकलती है. ऐसी स्थिति में किसान धान और उड़द की तरफ फिर वापस जा रहा है. (Farmers disillusioned with soybean) (Soybean in MP popularly known Soya State) (Soyabean decreased by 8 lakh hectares MP) बाइट - बलराम - किसान (बनियान में ) बाइट - शेख हसन - किसान ( दाढ़ी)

Farmers disillusioned with soybean
MP में किसानों का सोयाबीन से मोहभंग
author img

By

Published : Jun 21, 2022, 4:40 PM IST

सागर। आज से तीन साल पहले यह स्थिति थी कि खरीफ सीजन में मध्य प्रदेश का किसान सबसे ज्यादा सोयाबीन की बुवाई करता था. सोयाबीन का उत्पादन मध्य प्रदेश में काफी अच्छा होने के कारण किसानों को मोटा फायदा भी होता था. मध्य प्रदेश सरकार के ही आंकड़ों पर गौर करें तो आसानी से पता चल जाएगा कि लगातार सोयाबीन का रकबा घट रहा है. हालात ये है कि 2 सालों में सोयाबीन का रकबा करीब 8 लाख हेक्टेयर घट चुका है. एक अनुमान के मुताबिक एक साल में 16% सोयाबीन के रकबे में कमी आई है. आंकड़ों पर गौर करें तो 2019-20 में 64.99 लाख जमीन पर सोयाबीन की फसल बोई गई थी, लेकिन 2020-21 में रकबा 8 लाख हेक्टेयर कम हो गया. 2020-21 में 56.69 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई थी.

क्यों हो रहा है किसानों का सोयाबीन से मोहभंग : सोयाबीन सहित किसानों के मोहभंग होने के दो कारण हैं. सबसे बड़ा कारण है कि सोयाबीन की लागत का काफी बढ़ जाना और दूसरा कारण लागत के लिहाज से उत्पादन नहीं होना है. इस वजह से किसान धीरे-धीरे करके सोयाबीन की जगह दूसरी फसलों पर ध्यान दे रहा है. जहां तक सोयाबीन की बोनी की लागत की बात करें तो पिछले साल सोयाबीन का बीज 10 हजार रुपए क्विंटल तक बिका था. मौजूदा साल में 12 हजार रुपए क्विंटल सोयाबीन के बीज मिल रहा है. इसके अलावा सोयाबीन की बुवाई में डीएपी खाद की जरूरत होती है. पिछले साल के मुकाबले डीएपी खाद की बोरी पर 150 रूपए की बढ़ोतरी हो गई है. वहीं खेत की जुताई और बोनी के लिए ट्रैक्टर की लागत भी डीजल महंगा होने के कारण बढ़ गई है.

मध्यप्रदेश में किसानों का सोयाबीन से मोहभंग

सोयाबीन की खेती अब घाटे का सौदा : किसानों के अनुसार एक क्विंटल सोयाबीन बोने में करीब 30 हजार की लागत आती है, जबकि पिछले 3 सालों से उत्पादन एक क्विंटल सोयाबीन पर कभी एक क्विंटल तो कभी 2 क्विंटल हो रहा है. फसल आने के बाद सोयाबीन का बाजार भाव ज्यादा से ज्यादा 5 हजार रुपये होता है. इस हिसाब से 30 हजार रुपये की लागत लगाकर सोयाबीन बोने में किसान को एक चौथाई लागत भी हासिल नहीं हो रही है.

Farmers disillusioned with soybean
मध्यप्रदेश में किसानों का सोयाबीन से मोहभंग
Farmers disillusioned with soybean
शेख हसन - किसान
Farmers disillusioned with soybean
बलराम - किसान

किसानों की अजीब दुविधा...रहते राजस्थान में हैं, खेती करने मध्यप्रदेश जाना पड़ता है

क्या कहना है कृषि विभाग का : कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत कहते हैं कि मध्य प्रदेश में पिछले कई सालों से लगातार बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती हो रही है. इस वजह से जमीन की उर्वरा शक्ति पर असर पड़ा है. किसानों को हर खरीफ के सीजन पर सलाह दी जाती है कि सोयाबीन की खेती के लिए हर साल जमीन बदलें ताकि जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहे, लेकिन किसानों द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है. इस कारण से उत्पादन लगातार गिर गया है. वहीं दूसरी तरफ बीज, खाद और डीजल महंगा होने के कारण लागत भी बढ़ गई है. इस वजह से किसान अब उड़द और धान की खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहा है.

सागर। आज से तीन साल पहले यह स्थिति थी कि खरीफ सीजन में मध्य प्रदेश का किसान सबसे ज्यादा सोयाबीन की बुवाई करता था. सोयाबीन का उत्पादन मध्य प्रदेश में काफी अच्छा होने के कारण किसानों को मोटा फायदा भी होता था. मध्य प्रदेश सरकार के ही आंकड़ों पर गौर करें तो आसानी से पता चल जाएगा कि लगातार सोयाबीन का रकबा घट रहा है. हालात ये है कि 2 सालों में सोयाबीन का रकबा करीब 8 लाख हेक्टेयर घट चुका है. एक अनुमान के मुताबिक एक साल में 16% सोयाबीन के रकबे में कमी आई है. आंकड़ों पर गौर करें तो 2019-20 में 64.99 लाख जमीन पर सोयाबीन की फसल बोई गई थी, लेकिन 2020-21 में रकबा 8 लाख हेक्टेयर कम हो गया. 2020-21 में 56.69 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई थी.

क्यों हो रहा है किसानों का सोयाबीन से मोहभंग : सोयाबीन सहित किसानों के मोहभंग होने के दो कारण हैं. सबसे बड़ा कारण है कि सोयाबीन की लागत का काफी बढ़ जाना और दूसरा कारण लागत के लिहाज से उत्पादन नहीं होना है. इस वजह से किसान धीरे-धीरे करके सोयाबीन की जगह दूसरी फसलों पर ध्यान दे रहा है. जहां तक सोयाबीन की बोनी की लागत की बात करें तो पिछले साल सोयाबीन का बीज 10 हजार रुपए क्विंटल तक बिका था. मौजूदा साल में 12 हजार रुपए क्विंटल सोयाबीन के बीज मिल रहा है. इसके अलावा सोयाबीन की बुवाई में डीएपी खाद की जरूरत होती है. पिछले साल के मुकाबले डीएपी खाद की बोरी पर 150 रूपए की बढ़ोतरी हो गई है. वहीं खेत की जुताई और बोनी के लिए ट्रैक्टर की लागत भी डीजल महंगा होने के कारण बढ़ गई है.

मध्यप्रदेश में किसानों का सोयाबीन से मोहभंग

सोयाबीन की खेती अब घाटे का सौदा : किसानों के अनुसार एक क्विंटल सोयाबीन बोने में करीब 30 हजार की लागत आती है, जबकि पिछले 3 सालों से उत्पादन एक क्विंटल सोयाबीन पर कभी एक क्विंटल तो कभी 2 क्विंटल हो रहा है. फसल आने के बाद सोयाबीन का बाजार भाव ज्यादा से ज्यादा 5 हजार रुपये होता है. इस हिसाब से 30 हजार रुपये की लागत लगाकर सोयाबीन बोने में किसान को एक चौथाई लागत भी हासिल नहीं हो रही है.

Farmers disillusioned with soybean
मध्यप्रदेश में किसानों का सोयाबीन से मोहभंग
Farmers disillusioned with soybean
शेख हसन - किसान
Farmers disillusioned with soybean
बलराम - किसान

किसानों की अजीब दुविधा...रहते राजस्थान में हैं, खेती करने मध्यप्रदेश जाना पड़ता है

क्या कहना है कृषि विभाग का : कृषि विभाग के सहायक संचालक जितेंद्र सिंह राजपूत कहते हैं कि मध्य प्रदेश में पिछले कई सालों से लगातार बड़े पैमाने पर सोयाबीन की खेती हो रही है. इस वजह से जमीन की उर्वरा शक्ति पर असर पड़ा है. किसानों को हर खरीफ के सीजन पर सलाह दी जाती है कि सोयाबीन की खेती के लिए हर साल जमीन बदलें ताकि जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहे, लेकिन किसानों द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया जाता है. इस कारण से उत्पादन लगातार गिर गया है. वहीं दूसरी तरफ बीज, खाद और डीजल महंगा होने के कारण लागत भी बढ़ गई है. इस वजह से किसान अब उड़द और धान की खेती पर ज्यादा ध्यान दे रहा है.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.