सागर। कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज को लेकर प्रशासनिक सख्ती का विरोध शुरू हो गया है. इन दिनों हेल्थ और फ्रंटलाइन वर्कर्स को कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज लगाया जा रहा है, लेकिन बूस्टर डोज लगवाने में ये लोग रुचि नहीं ले रहे हैं. ऐसी स्थिति में कलेक्टर ने वेतन काटने के आदेश जारी किया है, जिसके विरोध में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा शिक्षा संघ के अध्यक्ष सर्वेश जैन ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना काल में काम करने वाले हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को 10 हजार रुपए प्रति माह इंटेंसिव देने का आदेश जारी किया था, जोकि आज तक लागू नहीं हुआ है. दूसरी तरफ वैक्सीनेशन को लेकर वेतन काटने का आदेश जारी किया है. उन्होंने वैक्सीन की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं. जैन पहले भी प्रदेश की नौकरशाही पर टिप्पणी कर सुर्खियों में आ चुके हैं.
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सैलरी काम के मिलते हैं या टीके लगवाने के
कलेक्टर दीपक आर्य ने हेल्थ वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स के बूस्टर डोज नहीं लगवाने पर वेतन काटने का आदेश (Doctors furious over collector order to cut salary) जारी किया था, जिस पर सर्वेश जैन ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि सवाल ये है कि वेतन काम करने पर मिलता है या बूस्टर डोज लगवाने पर मिलता है. कई लोग तो ऐसे हैं कि अगर सरकार एक साथ 3 महीने की तनख्वाह दे दे तो वह वैक्सीन के तीन टीके लगवा लेते.
वैक्सीन की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष व प्रोफेसर सर्वेश जैन ने कहा कि एक डॉक्टर होने के नाते और वैज्ञानिक होने के नाते वो जानते हैं कि अभी तक कोरोना की वैक्सीन की प्रभावशीलता पूरी तरह से प्रमाणित नहीं हुई है. पोलियो और हेपिटाइटिस बी की वैक्सीन जिस तरह 100% कारगर है. कोरोना की वैक्सीन को लेकर अभी भी शोध चल रहा है और वैक्सीनेशन के बाद जो मौतें हो रही हैं, उस पर भी अध्ययन चल रहा है. अभी तक वैक्सीन की प्रमाणिकता सिद्ध नहीं हुई है.
भारत को नाार्थ कोरिया-चीन बनाने की कोशिश
डॉ. सर्वेश जैन ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, लेकिन इस तरह के आदेश से स्पष्ट होता है कि इसको नार्थ कोरिया या चीन बनाने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने अपने साथियों से भी अपील की है कि वह इसका डटकर विरोध करें. एक व्यक्ति का और एक मरीज का अपना अधिकार होता है कि वह इलाज कराए या न कराए.
पहले भी जता चुके हैं इसी तरह का विरोध
डॉक्टर सर्वेश जैन विरोध जताने के अलग अंदाज के लिए जाने जाते हैं, इसके पहले चिकित्सा शिक्षा संघ की मांगों को लेकर उन्होंने पत्र जारी कर प्रदेश की नौकरशाही का मनोवैज्ञानिक इलाज कराने की सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि ये लोग घर से बीवियों से लड़ कर आते हैं और उल्टे सीधे फैसले लेते हैं.