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Diwali 2022: कमल पर विराजमान मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें, नहीं तो हो सकता है आपका ये नुकसान

महालक्ष्मी सुख-समृद्धि, धन और ऐश्वर्य की देवी हैं. इनकी पूजा का महापर्व दीपावली 24 अक्टूबर को मनाया जा रहा है. सभी लोग देवी लक्ष्मी को अपने घर आमंत्रित करना चाहते हैं. दीपावली पर की गई लक्ष्मी जी की विशेष पूजा से भक्तों को सफलता के साथ ही सुख-समृद्धि मिल सकती है. आइए जानते हैं कौन सी मां लक्ष्मी की मूर्ति की पूजा की जाती है, इसके साथ ही और कई बातों की जानकारी पंडित डॉ. श्याम मनोहर चतुर्वेदी इस दिवाली दे रहे हैं.

maa lamxi worship with lord vishnu
भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा करें
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Published : Oct 20, 2022, 6:21 PM IST

सागर। सुख समृद्धि और खुशहाली के त्यौहार दीपावली के पूजन का विशेष महत्व है. धन संपदा और वैभव देने वाली महालक्ष्मी के पूजन में कई बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. खासतौर पर महालक्ष्मी का पूजन करते समय उनकी प्रतिमा के स्वरूप का भी ध्यान रखना होता है. विद्वान बताते हैं कि लक्ष्मी का स्वभाव चंचल है और लक्ष्मी जी की खड़ी हुई प्रतिमा या चित्र उनके जाने का संकेत देता है, इसलिए विराजी हुई लक्ष्मी मां का पूजन करना चाहिए. लक्ष्मी जी के पूजन के साथ यह बात जरूर ध्यान रखना चाहिए कि उनके पति भगवान विष्णु का पूजन जरूर करें नहीं तो लक्ष्मी जी प्रसन्न नहीं होती हैं. आइए जानते हैं कि दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी पूजन में किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

सागर पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी

कौन सी मां लक्ष्मी मूर्ति की करें पूजा: कमल पर विराजमान महालक्ष्मी का पूजन जरूरी है. पंडित डॉ. श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि लक्ष्मी मां का पूजन खासतौर पर जो कमल पर विराजमान हैं उनका करना चाहिए. यही विधान शास्त्रों में बताया गया है. लक्ष्मी जी की खड़ी प्रतिमा या फिर खड़ी तस्वीर का पूजन कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि खड़ी मूर्ति जाने का संकेत देती है. लक्ष्मी जी धनसंपदा, ऐश्वर्या और अष्ट सिद्धियों से संबंध रखती हैं. जो बैठी हुई मूर्ति होती है उसकी पूजा करने से धन संपदा, ऐश्वर्य और लक्ष्मी स्थायी रहती हैं. अगर हम खड़ी मूर्ति का पूजन करते हैं, तो घर में संपदा और धन संपत्ति स्थाई नहीं रहती है, इसलिए हमेशा कोशिश करना चाहिए कि जब भी हम पूजन करते हैं तो लक्ष्मी मां की मूर्ति कमल के फूल पर विराजमान हो.

उल्लू पर बैठी लक्ष्मी का नहीं करें पूजन: पंडित डॉ. श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू है. कहीं-कहीं आपने लक्ष्मी जी को उल्लू पर बैठा हुआ देखा होगा. उल्लू भी चंचल प्राणी है और लक्ष्मी जी भी चंचल हैं, इसलिए उल्लू पर बैठी लक्ष्मी जी की पूजा नहीं करते हैं.

Diwali 2022: कैसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और सही समय

महालक्ष्मी के साथ जरूर करें भगवान विष्णु की पूजा: आजकल परंपरा है कि लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी और सरस्वती जी का भी पूजन किया जाता है. पंडित डॉक्टर श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि गणेश जी का पूजन इसलिए जरूरी है, क्योंकि वह रिद्धि सिद्धि के दाता हैं और शुभ लाभ के अधिष्ठाता हैं. सरस्वती जी बुद्धि और विद्या की देवी हैं, इसलिए उनका भी पूजन करना चाहिए, लेकिन शास्त्रों का मत है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी जी के साथ विष्णु भगवान का भी पूजन जरूर करें. लक्ष्मी जी विष्णु भगवान की पत्नी हैं और पत्नी को बुलाया जाए और पति को नहीं बुलाया जाए तो पूर्ण रूप से सफलता नहीं मिलती है. घर में लक्ष्मी जी स्थिर रहें और संपन्नता बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि विष्णु भगवान के साथ कमल पर विराजे लक्ष्मी का पूजन करें.

सागर। सुख समृद्धि और खुशहाली के त्यौहार दीपावली के पूजन का विशेष महत्व है. धन संपदा और वैभव देने वाली महालक्ष्मी के पूजन में कई बातों का विशेष ध्यान रखना होता है. खासतौर पर महालक्ष्मी का पूजन करते समय उनकी प्रतिमा के स्वरूप का भी ध्यान रखना होता है. विद्वान बताते हैं कि लक्ष्मी का स्वभाव चंचल है और लक्ष्मी जी की खड़ी हुई प्रतिमा या चित्र उनके जाने का संकेत देता है, इसलिए विराजी हुई लक्ष्मी मां का पूजन करना चाहिए. लक्ष्मी जी के पूजन के साथ यह बात जरूर ध्यान रखना चाहिए कि उनके पति भगवान विष्णु का पूजन जरूर करें नहीं तो लक्ष्मी जी प्रसन्न नहीं होती हैं. आइए जानते हैं कि दीपावली के अवसर पर लक्ष्मी पूजन में किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

सागर पंडित श्याम मनोहर चतुर्वेदी

कौन सी मां लक्ष्मी मूर्ति की करें पूजा: कमल पर विराजमान महालक्ष्मी का पूजन जरूरी है. पंडित डॉ. श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि लक्ष्मी मां का पूजन खासतौर पर जो कमल पर विराजमान हैं उनका करना चाहिए. यही विधान शास्त्रों में बताया गया है. लक्ष्मी जी की खड़ी प्रतिमा या फिर खड़ी तस्वीर का पूजन कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि खड़ी मूर्ति जाने का संकेत देती है. लक्ष्मी जी धनसंपदा, ऐश्वर्या और अष्ट सिद्धियों से संबंध रखती हैं. जो बैठी हुई मूर्ति होती है उसकी पूजा करने से धन संपदा, ऐश्वर्य और लक्ष्मी स्थायी रहती हैं. अगर हम खड़ी मूर्ति का पूजन करते हैं, तो घर में संपदा और धन संपत्ति स्थाई नहीं रहती है, इसलिए हमेशा कोशिश करना चाहिए कि जब भी हम पूजन करते हैं तो लक्ष्मी मां की मूर्ति कमल के फूल पर विराजमान हो.

उल्लू पर बैठी लक्ष्मी का नहीं करें पूजन: पंडित डॉ. श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि लक्ष्मी जी की सवारी उल्लू है. कहीं-कहीं आपने लक्ष्मी जी को उल्लू पर बैठा हुआ देखा होगा. उल्लू भी चंचल प्राणी है और लक्ष्मी जी भी चंचल हैं, इसलिए उल्लू पर बैठी लक्ष्मी जी की पूजा नहीं करते हैं.

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महालक्ष्मी के साथ जरूर करें भगवान विष्णु की पूजा: आजकल परंपरा है कि लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी और सरस्वती जी का भी पूजन किया जाता है. पंडित डॉक्टर श्याम मनोहर चतुर्वेदी बताते हैं कि गणेश जी का पूजन इसलिए जरूरी है, क्योंकि वह रिद्धि सिद्धि के दाता हैं और शुभ लाभ के अधिष्ठाता हैं. सरस्वती जी बुद्धि और विद्या की देवी हैं, इसलिए उनका भी पूजन करना चाहिए, लेकिन शास्त्रों का मत है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी जी के साथ विष्णु भगवान का भी पूजन जरूर करें. लक्ष्मी जी विष्णु भगवान की पत्नी हैं और पत्नी को बुलाया जाए और पति को नहीं बुलाया जाए तो पूर्ण रूप से सफलता नहीं मिलती है. घर में लक्ष्मी जी स्थिर रहें और संपन्नता बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि विष्णु भगवान के साथ कमल पर विराजे लक्ष्मी का पूजन करें.

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