सागर। शहरी गरीबों को कम पैसे में अच्छा भोजन मुहैया कराने वाली मध्य प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी दीनदयाल रसोई योजना कमाल कर रही है. इस योजना का कमाल ये भी है कि 21 साल पहले मृत हो चुके व्यक्ति भी इसका लाभ ले रहे हैं और शिवराज सरकार की दीनदयाल रसोई में 10 रूपए में स्वादिष्ट भोजन कर रहे हैं. हम बात कर रहे हैं सागर में बस स्टैंड पर संचालित होने वाली दीनदयाल रसोई योजना की, जिसमें एक मृत व्यक्ति को 10 में भोजन करने की जानकारी सामने आ रही है. मामले का खुलासा होने पर नगर निगम ने जांच शुरू कर दी है.
दरअसल सागर कलेक्टर परिसर में राजेश कुमार चौरसिया चाय की दुकान चलाते हैं. पिछले कुछ दिनों से मोबाइल पर आ रहे एक मैसेज को लेकर काफी परेशान हैं. उनके मोबाइल पर उनके पिता राजाराम चौरसिया के नाम से दीनदयाल रसोई में 10 रू में भोजन करने का मैसेज आता है और भोजन करने फिर आने का निवेदन किया जाता है. लेकिन तारीफ की बात यह है कि राजेश कुमार चौरसिया के पिता राजाराम चौरसिया की मौत हुए 21 साल बीत चुके हैं. अब राजेश कुमार परेशान हैं कि जब उनके पिता जीवित ही नहीं है तो आखिर कौन उनके पिता के नाम पर भोजन कर रहा है. इसके पहले राजेश को उनके भोजन करने के भी मैसेज आ चुके हैं. जबकि उन्होंने कभी दीनदयाल रसोई योजना में भोजन नहीं किया है.
दरअसल शहरी गरीबों को सस्ता भोजन उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना की शुरुआत की है. ये योजना समाजसेवी संगठनों के सहयोग से चलाई जाती है. इस योजना के अंतर्गत रसोई संचालक को 10 रूपए में भोजन देना होता है. इस योजना की नई व्यवस्था ऑनलाइन मॉनिटरिंग की की गई है. क्योंकि इसमें प्रति व्यक्ति के भोजन पर शासन द्वारा योजना संचालन करने वाले एनजीओ को 5 रूपए प्रदान किए जाते हैं. इसके लिए जब भी कोई व्यक्ति दीनदयाल रसोई में भोजन करने पहुंचता है, तो उसे सबसे पहले 10 रूपए की रसीद कटाना होती है. इस रसीद के साथ उसे एक मोबाइल नंबर देना होता है,जिस पर उसे मैसेज आता है कि भुगतान के 10 रूपए प्राप्त हुए और दोबारा भोजन करने आए.
सीएम शिवराज के गृहजिले में जनसहयोग से चल रही दीनदयाल रसोई, संचालक लगा रहे मदद की गुहार
ऑनलाइन मॉनिटरिंग के आधार पर ही एनजीओ संचालक का होता है भुगतान
इसी ऑनलाइन व्यवस्था के अंतर्गत भुगतान की प्रक्रिया होती है. सरकार द्वारा तय की गई एप्लीकेशन में जितने लोगों द्वारा भोजन किए जाते हैं और 10 प्राप्त होने की जानकारी मिलती है. उसी आधार पर एनजीओ संचालक को शासन द्वारा प्रति व्यक्ति 5 रूपए प्राप्त होते हैं.
सरकार की सब्सिडी हासिल करने किया जा रहा है फर्जीवाड़ा
दीनदयाल रसोई योजना के अंतर्गत सरकार प्रति व्यक्ति भोजन के लिए 15 रुपए खर्च मानती है. इस व्यवस्था के अंतर्गत 10 रुपए भोजन करने वाले व्यक्ति से लिए जाते हैं और 5 रुपए सरकार रसोई संचालक को अपनी तरफ से देती है. इस फर्जीवाड़े के सामने आने पर माना जा रहा है कि योजना का लाभ ना लेने वाले हितग्राहियों के बावजूद फर्जी नंबरों के जरिए शासन से मिलने वाली सब्सिडी हासिल ली जा रही है, जबकि व्यक्ति रसोई पहुंचकर भोजन कर ही नहीं रहा है.