रीवा। पहले प्रकृति की मार और अब लॉकडाउन से पान के किसान तबाह हो रहे हैं. आलम ये है कि, कभी विदेशों तक जाने वाला पान बरेज के अंदर ही सूख रहा है. जिससे किसान बेहद लाचार और परेशान हैं. किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है. पान के इन किसानों को सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिली है. किसानों का कहना है कि, उन्हें प्राकृतिक आपदा, आगजनी सहित अन्य स्थितियों में भी शासन से आर्थिक सहायता नहीं मिलती है. इतना ही नहीं, उद्यानिकी विभाग द्वारा उनको पांच सालों से बरेज में लगाने के लिए टाटपट्टी तक नहीं दी जा रही है. पान के करीब चार सौ किसान आठ माह से किसान सम्मान निधि की राशि पाने को भटक रहे हैं. तमाम समस्याओं से जूझ रहे किसानों के सामने अब लॉकडाउन एक बड़ी समस्या बनकर आया है. जिसके सामने वे घुटने टेकते नजर आ रहे हैं.
विंध्य क्षेत्र का रीवा जिला पान की खेती के लिए काफी प्रसिद्ध है. गुढ़, महसांव, गोरगी सहित आसपास के दर्जन भर गांवों में पान की खेती करते हैं. यह उनका पुस्तैनी धंधा है. लेकिन लॉकडाउन के कारण वे अपने पान बेचने तक नहीं जा पा रहे हैं. जिससे पान के पत्ते पेड़ में खराब होकर गिर रहे हैं. ऐसे में किसानों के पास रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है. जिससे वे भूखो मरने की कगार पर आ गए हैं.