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इस साल नहीं हुई सोयाबीन की अच्छी फसल, किसानों को हो रहा नुकसान

मौसम की मार और लगातार हो रहे नुकसान से जिले में सोयाबीन की फसल खत्म होती जा रही है. सोयाबीन से किसानों को लगातार नुकसान हो रहा है.

नहीं हुई सोयाबीन की अच्छी फसल
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Published : Nov 13, 2019, 11:54 PM IST

रीवा। जिले में हुई भारी बारिश के चलते सोयाबीन की फसल लुप्त होने की कगार में पहुंच रही है. लगातार घट रहे रकवे से सोयाबीन की बोनी पांच हजार हेक्टेयर से भी कम रकबा में सिमट रही है.

नहीं हुई सोयाबीन की अच्छी फसल
सोयाबीन की फसल खरीफ सीजन की मुख्य धान के बाद दूसरे नंबर की फसल मानी जाती है लेकिन इस बार सोयाबीन की फसल से कोई ज्यादा फायदा नहीं हुआ है. सोयाबीन की स्थिति यह है कि खरीफ सीजन के लिए किसानों के बीच यह सिर्फ वैकल्पिक फसल के रूप में बन के रह गई है.इस साल किसानों ने सोयाबीन की बोनी के लिए दस हजार हेक्टर का लक्ष्य दिया था लेकिन बोनी पांच हजार हेक्टर में ही सिमट कर रह गई. जरूरत के समय बारिश ना होने से जो उपज हुई थी वह भी खराब हो गई. सोयाबीन से किसानों को लगातार नुकसान हो रहा है.

रीवा। जिले में हुई भारी बारिश के चलते सोयाबीन की फसल लुप्त होने की कगार में पहुंच रही है. लगातार घट रहे रकवे से सोयाबीन की बोनी पांच हजार हेक्टेयर से भी कम रकबा में सिमट रही है.

नहीं हुई सोयाबीन की अच्छी फसल
सोयाबीन की फसल खरीफ सीजन की मुख्य धान के बाद दूसरे नंबर की फसल मानी जाती है लेकिन इस बार सोयाबीन की फसल से कोई ज्यादा फायदा नहीं हुआ है. सोयाबीन की स्थिति यह है कि खरीफ सीजन के लिए किसानों के बीच यह सिर्फ वैकल्पिक फसल के रूप में बन के रह गई है.इस साल किसानों ने सोयाबीन की बोनी के लिए दस हजार हेक्टर का लक्ष्य दिया था लेकिन बोनी पांच हजार हेक्टर में ही सिमट कर रह गई. जरूरत के समय बारिश ना होने से जो उपज हुई थी वह भी खराब हो गई. सोयाबीन से किसानों को लगातार नुकसान हो रहा है.
Intro:मौसम की मार और लगातार हो रहे नुकसान से रीवा से अब सोयाबीन की फसल लुप्त होने की कगार में पहुंच रही है लगातार घट रहे रकवे से इस वर्ष यह हाल है कि सोयाबीन की बोनी 5000 हेक्टेयर से भी कम रकबा मैं सिमट रह गई है सोयाबीन की फसल खरीफ सीजन की मुख्य धान के बाद दूसरे नंबर की फसल मानी जाती है इस बार सोयाबीन की फसल से कोई ज्यादा फायदा नहीं हुआ है।


Body:पिछले कुछ वर्षों से जिले में सोयाबीन का रकबा लगातार घटता जा रहा है सोयाबीन की स्थिति यह है कि खरीफ सीजन के लिए किसानों के बीच यह सिर्फ वैकल्पिक फसल के रूप में बन के रह गई है सोयाबीन की बोनी ज्यादातर जून माह के अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाती है जिले में पिछले कुछ वर्षों से जून माह के अंतिम और जुलाई के मध्य बारिश नहीं हुई जिसकी वजह से जो किसान सोयाबीन की बोनी करता है वह फसल नहीं हो पाई है।


इस साल कृषि महकमे ने सोयाबीन की बोनी के लिए 10000 हेक्टर का लक्ष्य दिया था लेकिन बोनी 5000 हेक्टर में ही सिमट कर रह गई जरूरत के समय बारिश ना होने से जो उपज हुई थी वह भी खराब हो गई सोयाबीन से किसानों को लगातार नुकसान हो रहा है इस फसल के लिए जब बारिश की जरूरत होती है तब बारिश ही नहीं होती जिन कारण किसानों के पास पानी की व्यवस्था है वही थोड़े बहुत रकबे में बोनी कर रहे हैं हालांकि कृषि वैज्ञानिक अच्छी उपज और नुकसानी से बचने को लेकर कई उपाय भी बता रहे हैं।


बाइट- किसान।
बाइट- आरती जोशी,वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक।


Conclusion:....
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