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इस गांव के लिए बारिश बन जाती है 'मुसीबत', कट जाता है मुख्यमार्ग से संपर्क

रीवा जिले के पनवार थाना क्षेत्र अंतर्गत सोहावल खुर्द गांव की हालत खराब है. यहां ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाएं तक नसीब नहीं हो पा रहीं हैं. जिससे ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

Sohawal Khurd Village
सोहावल खुर्द गांव
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Published : Jul 17, 2020, 10:17 PM IST

रीवा। जिले के पनवार थाना क्षेत्र अंतर्गत सोहावल खुर्द गांव के लोग आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाला रास्ता कच्चा है. बारिश के मौसम में ये रास्ता कीचड़ के दलदल में तब्दील हो जाता है. अगर ग्रामीणों को इस दौरान कोई इमरजेंसी आ गई तो परेशानी हो जाती है.

सोहावल खुर्द गांव

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शासन-प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है. बारिश के मौसम में गांव मुख्यमार्ग से कट जाता है. अगर इस दौरान किसी की तबियत बिगड़ जाती है, तो उसे खाट पर लिटाकर पैदल ही कीचड़ भरे रास्त होते हुए मुख्यमार्ग तक जाना पड़ता है. यही हाल बच्चों के स्कूल का होता है. अभी तो स्कूल बंद हैं. लेकिन पहले अभिभावक कंधे पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाते थे.

ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव के करीब 25 परिवार में से कम से कम एक सदस्य आर्मी में हैं. बॉर्डर पर तैनात है, देश सेवा में जुटा है. लेकिन सरकार उनके गांव की हालात पर कोई ध्यान नहीं दे रही है.

रीवा। जिले के पनवार थाना क्षेत्र अंतर्गत सोहावल खुर्द गांव के लोग आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाला रास्ता कच्चा है. बारिश के मौसम में ये रास्ता कीचड़ के दलदल में तब्दील हो जाता है. अगर ग्रामीणों को इस दौरान कोई इमरजेंसी आ गई तो परेशानी हो जाती है.

सोहावल खुर्द गांव

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार शासन-प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई है. बारिश के मौसम में गांव मुख्यमार्ग से कट जाता है. अगर इस दौरान किसी की तबियत बिगड़ जाती है, तो उसे खाट पर लिटाकर पैदल ही कीचड़ भरे रास्त होते हुए मुख्यमार्ग तक जाना पड़ता है. यही हाल बच्चों के स्कूल का होता है. अभी तो स्कूल बंद हैं. लेकिन पहले अभिभावक कंधे पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाते थे.

ग्रामीणों ने बताया कि उनके गांव के करीब 25 परिवार में से कम से कम एक सदस्य आर्मी में हैं. बॉर्डर पर तैनात है, देश सेवा में जुटा है. लेकिन सरकार उनके गांव की हालात पर कोई ध्यान नहीं दे रही है.

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