LAW ADMISSON RULES: देश में अब स्टूडेंट घर बैठे या नौकरी करते हुए एलएलबी की डिग्री नहीं हासिल कर सकेंगे. इसको लेकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सख्ती दिखाते हुए अटेंड्स से जुड़े नियमों में बदलाव किया है. इसके तहत अब कॉलेज में छात्रों की 75 प्रतिशत अटेंडेंस अनिवार्य होगी. ऐसा नहीं होने पर उसे परीक्षा में सम्मिलित होने की पात्रता नहीं होगी. दरअसल, बीसीआई (Bar Council of India) ने लॉ एजुकेशन की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए नियमों में बदलाव किया है. इसके साथ ही बीसीआई ने फैकल्टी के वेतन में सुधार के लिए भी नियमों में सुधार किया है.
लॉ स्टूडेंट की लगेगी बायोमेट्रिक अटेंडेंस
भोपाल में बीयू यूनिवर्सिटी के लॉ डिपार्टमेंट की एचओडी मोना पुरोहित ने बताया कि "एलएलबी की पढ़ाई के दौरान कॉलेज में 75 प्रतिशत उपस्थिति की अनिवार्यता पहले से ही थी. हालांकि अब इसको और पारदर्शी बनाने के लिए स्टूडेंट की डिजिटल अटेंडेंस लगाने का निर्णय लिया गया है. अब छात्रों को कॉलेज में बायोमेट्रिक के जरिए हाजिरी लगानी होगी. इसको लेकर बार एसोसिएशन से सभी लॉ कालेजों को पत्र लिखकर तय नियमों का पालन सुनिश्चित करने को कहा है."
छात्रों को करनी होगी नौकरी की घोषणा
बता दें कि नए नियमों के तहत एलएलबी में एडमिशन के समय अब छात्रों को यह घोषणा करनी होगी कि वे किसी नौकरी में नहीं हैं. कोई छात्र अगर किसी नौकरी में हैं तो उन्हें वैलिड एनओसी देना होगा. कॉलेजों को इसकी जानकारी भी बीसीआई को देना अनिवार्य कर दिया गया है. सभी जानकारी बीसीआई को कॉलेज रिपोर्ट करेंगे और बीसीआई के निर्णय के बाद ही छात्रों को अंक पत्र और डिग्री जारी की जाएगी.
आपराधिक रिकार्ड वाले नहीं कर सकेंगे एलएलबी
बीसीआई ने कहा है कि "सभी लॉ कॉलेजों में अब छात्रों की बायोमेट्रिक सिस्टम के साथ सीसीटीवी कैमरा भी लगाया जाएगा. इससे छात्रों की मॉनीटरिंग की जाएगी. यह नियमों सभी कॉलेजों में लागू होगा. वहीं नामांकन से पहले छात्र-छात्राओं के क्रिमिनल बैकग्राउंड की जांच भी की जाएगी. यदि स्टूडेंट का पिछला कोई आपराधिक रिकार्ड रहा है, तो उसे एलएलबी में दाखिला नहीं मिलेगा. इसके लिए भी छात्रों को शपथपत्र देना होगा."
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प्राइवेट कॉलेजों की लॉ फैकल्टी को मिलेगा उच्च वेतन
मोना पुरोहित ने बताया कि "प्राइवेट कॉलेजों में अध्यापन कार्य कर रहे ला फैकल्टी का आधार कार्ड और पासबुक बीसीआई को भेजना होगा. जिससे पता चल सके, निजी कॉलेजों में फैकल्टी को कितना पैकेज मिल रहा है. इसके पीछे सरकार की मंशा है कि प्राइवेट कॉलेजों में काम करने वाले लॉ विभाग के प्रोफेसरों को उच्च वेतन दिलाया जा सके."