जबलपुर: दामाद पर मौसी के साथ मिलकर बेटी और उसके बच्चों को बेचने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी. हाईकोर्ट में पुलिस अधीक्षक ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर पेश रिपोर्ट में बताया कि महिला स्वेच्छा से बच्चों के साथ गई है. रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने कहा कि महिला बालिग है और बच्चों के साथ स्वेच्छा से गई है. इस कारण बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के रूप में इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती है.
मां ने बेटी और नातिनों के लापता पर दायर की थी याचिका
जबलपुर के शहपुरा थाना क्षेत्र की रायखेड़ा निवासी महिला की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसकी बेटी का विवाह हुआ और दो बेटियां हुईं. इसके बाद उसकी बेटी अपनी दोनों नाबालिग बेटियों के साथ अप्रैल 2023 से लापता है. जिसकी रिपोर्ट शहपुरा थाने में दर्ज करवाई गई थी. याचिका में कहा गया था कि उसके दामाद ने अपनी मौसी के साथ मिलकर उसकी बेटी और नाबालिग नातिनों को बेच दिया है. शिकायत दर्ज करवाने के बावजूद भी पुलिस अभी तक उनके संबंध में कोई सुराग नहीं लगा पाई है. इसके बाद हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के तहत पुलिस को तलाश करने के आदेश जारी किए थे.
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एसपी ने कोर्ट पहुंचकर दर्ज कराए बयान
पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया था कि पौने 2 साल का समय गुजर जाने के बाद पुलिस लापता मां और बच्चों की तलाश नहीं कर पाई है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद पुलिस अधीक्षक जबलपुर संपत उपाध्याय को व्यक्तिगत रूप से तलब किया था. इसके बाद पुलिस अधीक्षक ने हाईकोर्ट में उपस्थित होकर लापता महिला के भाई, भाभी, भतीजी सहित अन्य मायके पक्ष के बयान प्रस्तुत किये थे. जिसमें कहा गया था कि जाने से पहले महिला मायके आई थी. इसके बाद स्वेच्छा से एक व्यक्ति के साथ गई है.
रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद हाईकोर्ट जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ ने कहा कि "महिला बालिग है और बच्चों के साथ स्वेच्छा से गई है. इस कारण बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के रूप में इस मामले की सुनवाई नहीं की जा सकती है."