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अरहर की खेती में किसान क्या रखें सावधानियां, जानिए पूरी खबर - अरहर खरीफ़

जिले की सबसे मुख्य फसल अरहर खरीफ़ की मानी जाती है और इन दिनों अरहर आधी- फूल, आधी- फली अवस्था में है आइए कृषि महाविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक से जानते हैं कीक्या है इन कीटों की पहचान और कैसे इनके प्रकोप से बचा जा सकता है और कैसे अरहर की फसल को बढ़ाया जा सकता है.

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अरहर की खेती में किसान कैसे रखें सावधानियां
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Published : Dec 3, 2019, 11:56 PM IST

रीवा। अरहर की फसल दलहन की फसल है. इसे खरीफ के मौसम में उगाया जाता है. ये फसल उत्पादन के साथ-साथ नाइट्रोजन को जमीन के अंदर एकत्रित करती है. जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ती है. रीवा जिले की सबसे मुख्य फसल अरहर खरीफ़ की मानी जाती है. इन दिनों अरहर आधी- फूल, आधी- फली अवस्था में है, लिहाजा कीटों का खतरा बना हुआ है. कृषि महाविद्यालय रीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि अरहर की इस अवस्था में तीन चार कीटों का खतरा ज्यादा होता है. फली वेदक कीट, फली मक्खी और पार्ट वड कीट अरहर की फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इसमें एक चूसने वाला कीट है और दो काटने और चबाने वाले कीट भी होते है, जिससे अरहर की फसल को काफी नुकसान होता है

अरहर की खेती में किसान क्या रखें सावधानियां

फसल को कीटों से बचाने के उपाय
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक नीम का तेल एक टंकी में 60 से 75ml डालकर उसका छिड़काव करें जिससे जो लाभदायक कीट है उनकी संख्या में बढ़े. कीटनाशी दवा का इस्तेमाल कर अरहर में चार से पांच किवंटल तक का फायदा कर सकते हैं.

कैसे हो कीटों की पहचान
फली मक्खी कीट ऐसा कीट है जो आसानी से दिखाई नहीं देता लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए ये फली के अंदर होता है. यह धीरे-धीरे सुरंग बनाकर दाने और फली को खाता है. जिससे अरहर की फसल के उत्पादन में कमी होती है.

अरहर की फसल के उत्पादन में कमी होने से बचने के लिए सबसे बड़ा उपयोगी दवा है थायो मैथिक जाम प्लस और लेमड़ा सायलो थ्रिन है. इसका मिश्रण बाजार में उपलब्ध रहता है. जिसकी 10ML मात्रा एक टंकी पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. 15 लीटर की टंकी में एक एकड़ में इस्तेमाल करना चाहिए.

रीवा। अरहर की फसल दलहन की फसल है. इसे खरीफ के मौसम में उगाया जाता है. ये फसल उत्पादन के साथ-साथ नाइट्रोजन को जमीन के अंदर एकत्रित करती है. जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ती है. रीवा जिले की सबसे मुख्य फसल अरहर खरीफ़ की मानी जाती है. इन दिनों अरहर आधी- फूल, आधी- फली अवस्था में है, लिहाजा कीटों का खतरा बना हुआ है. कृषि महाविद्यालय रीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि अरहर की इस अवस्था में तीन चार कीटों का खतरा ज्यादा होता है. फली वेदक कीट, फली मक्खी और पार्ट वड कीट अरहर की फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इसमें एक चूसने वाला कीट है और दो काटने और चबाने वाले कीट भी होते है, जिससे अरहर की फसल को काफी नुकसान होता है

अरहर की खेती में किसान क्या रखें सावधानियां

फसल को कीटों से बचाने के उपाय
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक नीम का तेल एक टंकी में 60 से 75ml डालकर उसका छिड़काव करें जिससे जो लाभदायक कीट है उनकी संख्या में बढ़े. कीटनाशी दवा का इस्तेमाल कर अरहर में चार से पांच किवंटल तक का फायदा कर सकते हैं.

कैसे हो कीटों की पहचान
फली मक्खी कीट ऐसा कीट है जो आसानी से दिखाई नहीं देता लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए ये फली के अंदर होता है. यह धीरे-धीरे सुरंग बनाकर दाने और फली को खाता है. जिससे अरहर की फसल के उत्पादन में कमी होती है.

अरहर की फसल के उत्पादन में कमी होने से बचने के लिए सबसे बड़ा उपयोगी दवा है थायो मैथिक जाम प्लस और लेमड़ा सायलो थ्रिन है. इसका मिश्रण बाजार में उपलब्ध रहता है. जिसकी 10ML मात्रा एक टंकी पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. 15 लीटर की टंकी में एक एकड़ में इस्तेमाल करना चाहिए.

Intro:अरहर खरीफ़ की मुख्य फसल मानी जाती है इसकी फसल अपने जीवन काल में अनेक बीमारियों से ग्रसित होती है वर्तमान समय में अरहर की आधी- फूल, आधी- फली अवस्था होती है ऐसी अवस्था में इन पर तीन-चार कीटों का खतरा ज्यादा होता है जिनकी अगर किसानों को जानकारी नहीं हो तो यह फसल खराब हो सकती है पर कुछ ऐसे कीटनाशक है जिनका उपयोग हर कर इन कीटों को खत्म किया जा सकता है आइए कृषि महाविद्यालय रीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक से जानते हैं क्या है इन कीटों की पहचान और कैसे इनके प्रकोप को किया जा सकता है खत्म और किसान कैसे बढ़ा सकते हैं अरहर का उत्पादन।


Body:कृषि महाविद्यालय रीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि जो अरहर की आधी फूल और आधी फली अवस्था होती है उनमें तीन चार कीटों का खतरा ज्यादा होता है जिन्हें अगर खत्म ना किया जाए तो इनसे फसलों को काफी नुकसान होता है अरहर की इस अवस्था में फली वेदक कीट, फली मक्खी और पार्ट वड कीटों का खतरा ज्यादा होता है इसमें एक चूसने वाला कीट है और दो काटने और चबाने वाले कीट है इस अवस्था में बाजार में उपलब्ध नीम का तेल एक टंकी में 60 से 75ml डालकर उसका छिड़काव करें जिससे जो लाभदायक कीट है उनकी संख्या इसमें बढ़ सकें इसके अलावा उसे दूसरे जैव कीटनाशी है जैसे एनपीवी जिसे विषरू जनित कीटनाशी कहते हैं और इसमें एक जीवाणु कीटनाशी होता है अगर जैविक खेती किसान कर रहे हो तो इन दोनों का प्रयोग कर सकते हैं इसके अलावा जो दूसरी कीटनाशी दवा का प्रयोग कर सकते है।जिससे अरहर में चार से पांच किवंटल तक का फायदा होगा। फली मक्खी कीट ऐसा कीट है जो दिखाई नहीं देता पर इसकी पहचान के तरीके हैं अगर फली को ध्यान से देखा जाए तो इसके ऊपर एक झिल्ली नुमा सजना बनी रहती है इसमें फली के अंदर की रहता है और धीरे-धीरे सुरंग बनाकर दोनों को खाता है और वही दाने गहाई के बाद कटे-फटे रहते हैं जिससे इसकी गुणवत्ता का नुकसान होता है और उत्पादन में कमी होती है इससे बचने के लिए सबसे बड़ा उपयोगी दवा है थायो मैथिक जाम प्लस और लेमड़ा सायलो थ्रिन इसका मिश्रण बाजार में उपलब्ध रहता है जिसकी 10एमएल मात्रा एक टँकी पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करें, अरहर एक बड़ी फसल होती है इसलिए 15 लीटर की टंकी में एक एकड़ उपयोग करना चाहिए जिससे फसल को बचाया जा सकता है और उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है

बाइट- डॉ अखिलेश कुमार, कृषि वैज्ञानिक कृषि महाविद्यालय रीवा


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