रीवा। अरहर की फसल दलहन की फसल है. इसे खरीफ के मौसम में उगाया जाता है. ये फसल उत्पादन के साथ-साथ नाइट्रोजन को जमीन के अंदर एकत्रित करती है. जिससे जमीन की उर्वरता बढ़ती है. रीवा जिले की सबसे मुख्य फसल अरहर खरीफ़ की मानी जाती है. इन दिनों अरहर आधी- फूल, आधी- फली अवस्था में है, लिहाजा कीटों का खतरा बना हुआ है. कृषि महाविद्यालय रीवा के वरिष्ठ वैज्ञानिक का कहना है कि अरहर की इस अवस्था में तीन चार कीटों का खतरा ज्यादा होता है. फली वेदक कीट, फली मक्खी और पार्ट वड कीट अरहर की फसल को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इसमें एक चूसने वाला कीट है और दो काटने और चबाने वाले कीट भी होते है, जिससे अरहर की फसल को काफी नुकसान होता है
फसल को कीटों से बचाने के उपाय
कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक नीम का तेल एक टंकी में 60 से 75ml डालकर उसका छिड़काव करें जिससे जो लाभदायक कीट है उनकी संख्या में बढ़े. कीटनाशी दवा का इस्तेमाल कर अरहर में चार से पांच किवंटल तक का फायदा कर सकते हैं.
कैसे हो कीटों की पहचान
फली मक्खी कीट ऐसा कीट है जो आसानी से दिखाई नहीं देता लेकिन अगर ध्यान से देखा जाए ये फली के अंदर होता है. यह धीरे-धीरे सुरंग बनाकर दाने और फली को खाता है. जिससे अरहर की फसल के उत्पादन में कमी होती है.
अरहर की फसल के उत्पादन में कमी होने से बचने के लिए सबसे बड़ा उपयोगी दवा है थायो मैथिक जाम प्लस और लेमड़ा सायलो थ्रिन है. इसका मिश्रण बाजार में उपलब्ध रहता है. जिसकी 10ML मात्रा एक टंकी पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. 15 लीटर की टंकी में एक एकड़ में इस्तेमाल करना चाहिए.