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Rewa Farmer Protest: आनंद बिहार ट्रेन को रोकने रीवा रेलवे स्टेशन जा रहे थे 200 किसान, पुलिस बल ने कलेक्ट्रेट में रोका

गोविन्दगढ़ रेलवे स्टेशन में पिछले 6 माह से से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत किसानों ने दिल्ली आनंद बिहार ट्रेन को रोकने रीवा रेलवे स्टेशन की ओर जाने लगे. इस दौरान पुलिस बल एक्शन मोड में आकर सभी किसानों को कलेक्ट्रेट कार्यालय में रास्ता रोक दिया है.

Rewa Farmer Protest
आनंद बिहार ट्रेन को रोकने जा रहे थे 200 किसान
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Published : Jul 10, 2023, 10:53 PM IST

रीवा। जिले के गोविंदगढ़ रेलवे स्टेशन में पिछले 6 माह से से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत किसानों ने सोमवार को रेल रोको आंदोलन का आगाज कर दिया. गोविंदगढ़ से आए सैकड़ों किसान दिल्ली आनंद बिहार ट्रेन को रोकने रीवा रेलवे स्टेशन की ओर जाने लगे. किसानों को रोकने के लिए कॉलेज चौराहे में भारी पुलिस बल तैनात कर दी गई. इसके बाद किसान कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे, लेकिन वहां पर मौजूद पुलिस बल ने उनका रास्ता रोक लिया. घंटों तक चले हंगामे के बाद किसान ट्रेन रोकने रेलवे स्टेशन नहीं पहुंच पाए और पुलिस ने आंदोलनकारियों को कलेक्ट्रेट कार्यालय से ही वापस लौटा दिया.

रेलवे ने किसानों के साथ की वादाखिलाफीः आंदोलन कर रहे हैं किसानों का कहना था कि, ''रेलवे के द्वारा कई किसानों के साथ वादा खिलाफी की गई है. ललितपुर सिंगरौली रेल परियोजना में गोविन्दगढ़ के किसानों की जमीनें अधिग्रहण की गई. इसके बदले रेलवे ने मुआवजे के साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का भी वादा किया था. शुरुआती दौर पर रेलवे ने कई लोगों को नौकरी दी, लेकिन बाद में नियमों में बदलाव करते हुए रेलवे ने नौकरी देना बंद कर दिया. ऐसे में में कई किसान बेरोजगारी के कगार आ गए.

ट्रेन रोकने रेलवे स्टेशन जा रहे थे सैकड़ों किसानः किसानों ने जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए सोमवार को रीवा रेलवे स्टेशन पहुंचकर दिल्ली आनंद बिहार ट्रेन रोकने की बात कही थी. किसान ट्रेन रोकने स्टेशन पहुंचते इससे पहले ही चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दी गई. कलेक्ट्रेट कार्यालय समेत रेलवे स्टेशन में भारी बल तैनात कर दिया गया. लगभग 200 किसान स्वामी विवेकानंद पार्क में एकत्रित हुए और कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे, जहां पर तैनात पुलिस फोर्स ने किसानों को रास्ता रोक लिया और वह रेलवे स्टेशन तक पहुंच पाने में असफल रहे. हालांकि मौके पर उपस्थित रेलवे एडीआरएम ने आंदोलनरत किसानों को आश्वासन भी दिया गया.

मांगों को लेकर किसान कर रहे आंदोलनः रेल संघर्ष समिति के प्रवक्ता महेंद्र पांडे ने बताया, ''ललितपुर सिंगरौली रेल परियोजना के तहत किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई. रेलवे ने जमीन के बदले नौकरी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन 2019 में रेलवे के द्वारा तुगलकी फरमान जारी किया गया और नौकरी देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया. 6 महीने तक लगातार हम अपनी मांगों को लेकर गोविंदगढ़ के रेलवे स्टेशन में आंदोलन कर रहे थे. मामले पर रेलवे के द्वारा किसी भी तरह का संज्ञान नहीं लिया. इसके बाद हम मजबूर होकर आनंद बिहार ट्रेन रोकने के लिए रेलवे स्टेशन जा रहे थे. मगर प्रशासन ने रास्ता रोक लिया.

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एप्रोप्रियेट फोरम में रखी जाएंगी आंदोलनकारियों की मांगेंः मौके पर उपस्थित अपर कलेक्टर नीलमणि अग्निहोत्री ने बताया, ''ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन के लिए गोविंदगढ़ में जमीन का भू अर्जन किया गया था, जिसके चलते अपनी मांगों को लेकर कई किसान विवेकानंद पार्क से होते हुए रेलवे स्टेशन की ओर रीवा नई दिल्ली आनंद बिहार ट्रेन को रोकने के लिए जा रहे थे. लॉ एंड आर्डर की स्थिति को देखते हुए कलेक्ट्रेट कार्यालय के पास मौजूद प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस बल ने आंदोलनकारियों को रोक लिया. एडीआरएम भी मौके पर पहुंचे हैं. आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया गया है कि इनकी मांगें एप्रोप्रियेट फोरम में रखी जाएंगी, जिसके बाद किसान कानूनी प्रक्रिया के तहत अपना निर्णय करा सकेंगे. आंदोलनकारियों को समझाइश देकर उनकी ओर से एडीआरएम ने ज्ञापन लिया है.

रीवा। जिले के गोविंदगढ़ रेलवे स्टेशन में पिछले 6 माह से से अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत किसानों ने सोमवार को रेल रोको आंदोलन का आगाज कर दिया. गोविंदगढ़ से आए सैकड़ों किसान दिल्ली आनंद बिहार ट्रेन को रोकने रीवा रेलवे स्टेशन की ओर जाने लगे. किसानों को रोकने के लिए कॉलेज चौराहे में भारी पुलिस बल तैनात कर दी गई. इसके बाद किसान कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे, लेकिन वहां पर मौजूद पुलिस बल ने उनका रास्ता रोक लिया. घंटों तक चले हंगामे के बाद किसान ट्रेन रोकने रेलवे स्टेशन नहीं पहुंच पाए और पुलिस ने आंदोलनकारियों को कलेक्ट्रेट कार्यालय से ही वापस लौटा दिया.

रेलवे ने किसानों के साथ की वादाखिलाफीः आंदोलन कर रहे हैं किसानों का कहना था कि, ''रेलवे के द्वारा कई किसानों के साथ वादा खिलाफी की गई है. ललितपुर सिंगरौली रेल परियोजना में गोविन्दगढ़ के किसानों की जमीनें अधिग्रहण की गई. इसके बदले रेलवे ने मुआवजे के साथ ही परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का भी वादा किया था. शुरुआती दौर पर रेलवे ने कई लोगों को नौकरी दी, लेकिन बाद में नियमों में बदलाव करते हुए रेलवे ने नौकरी देना बंद कर दिया. ऐसे में में कई किसान बेरोजगारी के कगार आ गए.

ट्रेन रोकने रेलवे स्टेशन जा रहे थे सैकड़ों किसानः किसानों ने जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए सोमवार को रीवा रेलवे स्टेशन पहुंचकर दिल्ली आनंद बिहार ट्रेन रोकने की बात कही थी. किसान ट्रेन रोकने स्टेशन पहुंचते इससे पहले ही चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दी गई. कलेक्ट्रेट कार्यालय समेत रेलवे स्टेशन में भारी बल तैनात कर दिया गया. लगभग 200 किसान स्वामी विवेकानंद पार्क में एकत्रित हुए और कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे, जहां पर तैनात पुलिस फोर्स ने किसानों को रास्ता रोक लिया और वह रेलवे स्टेशन तक पहुंच पाने में असफल रहे. हालांकि मौके पर उपस्थित रेलवे एडीआरएम ने आंदोलनरत किसानों को आश्वासन भी दिया गया.

मांगों को लेकर किसान कर रहे आंदोलनः रेल संघर्ष समिति के प्रवक्ता महेंद्र पांडे ने बताया, ''ललितपुर सिंगरौली रेल परियोजना के तहत किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई. रेलवे ने जमीन के बदले नौकरी देने का आश्वासन दिया था, लेकिन 2019 में रेलवे के द्वारा तुगलकी फरमान जारी किया गया और नौकरी देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया. 6 महीने तक लगातार हम अपनी मांगों को लेकर गोविंदगढ़ के रेलवे स्टेशन में आंदोलन कर रहे थे. मामले पर रेलवे के द्वारा किसी भी तरह का संज्ञान नहीं लिया. इसके बाद हम मजबूर होकर आनंद बिहार ट्रेन रोकने के लिए रेलवे स्टेशन जा रहे थे. मगर प्रशासन ने रास्ता रोक लिया.

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एप्रोप्रियेट फोरम में रखी जाएंगी आंदोलनकारियों की मांगेंः मौके पर उपस्थित अपर कलेक्टर नीलमणि अग्निहोत्री ने बताया, ''ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन के लिए गोविंदगढ़ में जमीन का भू अर्जन किया गया था, जिसके चलते अपनी मांगों को लेकर कई किसान विवेकानंद पार्क से होते हुए रेलवे स्टेशन की ओर रीवा नई दिल्ली आनंद बिहार ट्रेन को रोकने के लिए जा रहे थे. लॉ एंड आर्डर की स्थिति को देखते हुए कलेक्ट्रेट कार्यालय के पास मौजूद प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस बल ने आंदोलनकारियों को रोक लिया. एडीआरएम भी मौके पर पहुंचे हैं. आंदोलनकारियों को आश्वासन दिया गया है कि इनकी मांगें एप्रोप्रियेट फोरम में रखी जाएंगी, जिसके बाद किसान कानूनी प्रक्रिया के तहत अपना निर्णय करा सकेंगे. आंदोलनकारियों को समझाइश देकर उनकी ओर से एडीआरएम ने ज्ञापन लिया है.

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