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नागपंचमी के त्योहार पर मायूस सपेरे, पुराने दिनों को किया याद

सांपों को पकड़कर उनका खेल दिखाने या उनका गलत इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगने के बाद अब नागपंचमी का त्योहार सपेरों के लिए फीका रहने लगा है. उनका कहना है कि इस वजह से अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है और सरकार उन्हें दूसरा रोजगार नहीं दे रही.

सपेरों के सामने रोजी रोटी की समस्या
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Published : Aug 5, 2019, 2:00 PM IST

रीवा। जिले के बैजू धर्मशाला में सपेरे अपने सांपों के साथ डेरा जमाए हुए हैं. हर साल की तरह इस साल भी नाग पंचमी के दिन सपेरे घर-घर जाकर नाग देवता के दर्शन लोगों को कराते हैं. जिससे इन सपेरों को दो पैसे भी मिल जाते हैं. लेकिन सपेरों का कहना है कि हर साल वन विभाग का अमला उनके सांपों को इनसे दूर कर देता है, क्योंकि सांप के ऐसे इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा हुआ है. सपेरों का कहना है कि पहले वन विभाग उन्हें मुआवजा दिया करता था, जो काफी सालों से बंद कर दिया गया है.

वन विभाग की कार्रवाई को लेकर सपेरों ने कही ये बात

कानून की नजर में सांपों को पकड़ना और उनका प्रदर्शन करना अपराध है. सपेरों का कहना है कि सांपों को पकड़कर इनके खेल को प्रतिबंधित करने के बाद इन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए और रोजगार का अन्य साधन मुहैया कराने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया, जिसके कारण उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया.

सांपों को पकड़कर खेल दिखाना या घर-घर जाकर उसका प्रदर्शन करना गलत है और क्रूरता की श्रेणी में आता है. लेकिन अब ये सपेरे सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें कुछ आर्थिक सहायता और रोजगार के अन्य साधन प्रशिक्षित कर उपलब्ध कराए जाएं.

नोट- ETV BHARAT सांपों के प्रदर्शन और उनके खेल दिखाने का विरोध करता है.

रीवा। जिले के बैजू धर्मशाला में सपेरे अपने सांपों के साथ डेरा जमाए हुए हैं. हर साल की तरह इस साल भी नाग पंचमी के दिन सपेरे घर-घर जाकर नाग देवता के दर्शन लोगों को कराते हैं. जिससे इन सपेरों को दो पैसे भी मिल जाते हैं. लेकिन सपेरों का कहना है कि हर साल वन विभाग का अमला उनके सांपों को इनसे दूर कर देता है, क्योंकि सांप के ऐसे इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा हुआ है. सपेरों का कहना है कि पहले वन विभाग उन्हें मुआवजा दिया करता था, जो काफी सालों से बंद कर दिया गया है.

वन विभाग की कार्रवाई को लेकर सपेरों ने कही ये बात

कानून की नजर में सांपों को पकड़ना और उनका प्रदर्शन करना अपराध है. सपेरों का कहना है कि सांपों को पकड़कर इनके खेल को प्रतिबंधित करने के बाद इन्हें मुख्यधारा से जोड़ने के लिए और रोजगार का अन्य साधन मुहैया कराने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया, जिसके कारण उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया.

सांपों को पकड़कर खेल दिखाना या घर-घर जाकर उसका प्रदर्शन करना गलत है और क्रूरता की श्रेणी में आता है. लेकिन अब ये सपेरे सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें कुछ आर्थिक सहायता और रोजगार के अन्य साधन प्रशिक्षित कर उपलब्ध कराए जाएं.

नोट- ETV BHARAT सांपों के प्रदर्शन और उनके खेल दिखाने का विरोध करता है.

Intro:रीवा जिले में इन दिनों सपेरों का डेरा बना हुआ है यहां दूरदराज से सपेरे लोगों को नाग देवता के दर्शन कराने के लिए ठहरे हुए हैं लेकिन दो पैसे कमाने के उद्देश्य से आइए लोग वन विभाग के रवैए से परेशान रहते हैं उनका कहना है कि पिछले कई सालों से यह लोग नाग पंचमी के दिन रीवा आते हैं लेकिन वन विभाग के अधिकारी उनके सांपों को छीन कर ले जाते हैं जिसके बाद इनके पास वापस अपने घर जाने तक के पैसे भी नहीं बचते। इस बार भी इन लोगों ने शासन से गुहार लगा कर कह रहे हैं कि इन्हें इनके व्यवसाय से वंचित ना किया जाए।


Body:रीवा जिले के बैजू धर्मशाला में सपेरे अपने सांपों के साथ यहां रुके हुए हैं हर साल की तरह इस वर्ष भी नाग पंचमी में यह लोग घर घर जाकर नाग देवता के दर्शन लोगों को कराते हैं जिससे उन्हें कुछ पैसे भी मिल जाते हैं लेकिन हर साल वन विभाग का अमला इन्हें इनके सांपों से दूर कर देता है और यह है दो पैसे कमाने के लिए भी मोहताज हो जाते हैं।

जब हमने बैजू धर्मशाला में बसर कर रहे इन शहरों से बात की तो इनका एक अलग सा दर्द सामने आ गया उन्होंने कहा कि व्यवसाय का एकमात्र इनका यही जरिया है जिससे चार पैसे कमा कर यह अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं लेकिन पिछले कई सालों से वन विभाग के लोग इनके सांपों को छीन कर ले जाते हैं और जंगलों में छोड़ देते हैं इनका कहना है कि हालांकि ऐसा आप जहरीले नहीं है इन्होंने इसका जहर तो निकाल दिया है ऐसे में इन सांपों से किसी प्रकार का खतरा तो नहीं है फिर भी वन विभाग के इस रवैया के कारण हम लोग दो पैसे कमाने के लिए भी मोहताज हो जाते हैं और हमारे पास घर जाने तक के पैसे भी नहीं बचते।




Conclusion:नाग पंचमी के दिन सपेरे घर घर जाकर लोगों को नाग देवता के दर्शन कराते हैं जिसके बाद लोगों से मिले कुछ पैसे से ही ऐसे लोगों का घर चलता है फिलहाल विभाग के द्वारा इस वर्ष ऐसी कोई घटना तो नहीं हुई यह लोग अपने नागों के साथ सुरक्षित हैं खैर देखने वाली बात यह होगी कि वन विभाग के लोग क्या इस वर्ष भी इन लोगों को इनके सर्पों से अलग करके इसी तरह सताने का काम करते हैं।

बाइट: सफेरा।
बाइट: सफेरा।
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