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लॉकडाउन ने तोड़ी व्यापारियों की कमर, कर्ज लेकर बनाए मिट्टी के बर्तन, बिक्री का इंतजार - रीवा न्यूज

रीवा के निपनिया बस्ती में रहने वाले कुम्हार परिवार के लोगों पर लॉकडाउन का बुरा असर पड़ा है. बर्तन नहीं बिक पाने के कारण भूखे मरने की नौबत आ गई है.

Lockdown breaks potters' waist, potter in wait for utensils to be sold
लॉकडाउन के कारण नहीं बिक रहे कुम्हारों के बर्तन
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Published : Mar 30, 2020, 11:09 PM IST

Updated : Mar 30, 2020, 11:15 PM IST

रीवा। कोरोना वायरस के चलते जहां कई लोग घरों में हैं वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है. ऐसा ही हाल रीवा के निपनिया बस्ती में रहने वाले कुम्हार परिवार के लोगों का लॉकडाउन के चलते है, मिट्टी के बर्तन बेचकर अपना पेट पालने वाला परिवार अब असहाय हो गया है. इस बस्ती में रहने वाले करीब 5 से 6 परिवारों का बुरा हाल है.

लॉकडाउन के कारण नहीं बिक रहे कुम्हारों के बर्तन

लॉकडाउन से व्यवसाय ठप्प

मिट्टी के बर्तनों का व्यवसाय करने वाले कुम्हार समाज के लोग अब लॉकडाउन में परेशान हो रहे हैं. कर्ज लेकर उन्होंने बड़ी संख्या में मिट्टी के बर्तन तो बना दिया लेकिन लॉक डाउन के चलते वो अपने बर्तनों के बिक्री नहीं कर पा रहे हैं. आमतौर पर गर्मियों में मिट्टी के बर्तनों का काफी इस्तेमाल होता है, लेकिन मिट्टी के बर्तन बनाने वालों को उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही है.

जिले में काफी संख्या में कुम्हार समाज के लोग मिट्टी के मटके, सुराही सहित अन्य बर्तन बनाते हैं जिनका उपयोग गर्मी के मौसम में ठंडा पानी पीने के लिए होता है. इन बर्तनों को बनाने के लिए यह जनवरी महीने से ही जुट जाते हैं और मार्च तक में उनके सभी बर्तन तैयार होकर बाजार में बिकने के लिए आ जाते हैं. पर इस साल कोरोना ने इनके बाजार को फीका कर दिया है लॉकडाउन की स्थिति में यह अपने बर्तनों को नहीं बेच पा रहे हैं.

भूखों मरने की नौबत पर कुम्हार परिवार

इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को माल बनेगी ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आ रही है. मिट्टी के बर्तन बनाकर अपनी जीविका चलाने वाले अधिकांश परिवारों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है. हालत ये है कि घरों में भोजन तक बड़ी मुश्किल से नसीब हो पा रहा है.

कुम्हारों का कहना है कि नवरात्रि में देवी पूजा में उपयोग होने वाले कलश भी बेकार हो गए. नवरात्री शुरु होते ही उनके द्वारा बनाए गए काफी कलश तैयार किए जाते हैं, पर इस साल नवरात्री में एक भी कलश नहीं बिके.

रीवा। कोरोना वायरस के चलते जहां कई लोग घरों में हैं वहीं कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है. ऐसा ही हाल रीवा के निपनिया बस्ती में रहने वाले कुम्हार परिवार के लोगों का लॉकडाउन के चलते है, मिट्टी के बर्तन बेचकर अपना पेट पालने वाला परिवार अब असहाय हो गया है. इस बस्ती में रहने वाले करीब 5 से 6 परिवारों का बुरा हाल है.

लॉकडाउन के कारण नहीं बिक रहे कुम्हारों के बर्तन

लॉकडाउन से व्यवसाय ठप्प

मिट्टी के बर्तनों का व्यवसाय करने वाले कुम्हार समाज के लोग अब लॉकडाउन में परेशान हो रहे हैं. कर्ज लेकर उन्होंने बड़ी संख्या में मिट्टी के बर्तन तो बना दिया लेकिन लॉक डाउन के चलते वो अपने बर्तनों के बिक्री नहीं कर पा रहे हैं. आमतौर पर गर्मियों में मिट्टी के बर्तनों का काफी इस्तेमाल होता है, लेकिन मिट्टी के बर्तन बनाने वालों को उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही है.

जिले में काफी संख्या में कुम्हार समाज के लोग मिट्टी के मटके, सुराही सहित अन्य बर्तन बनाते हैं जिनका उपयोग गर्मी के मौसम में ठंडा पानी पीने के लिए होता है. इन बर्तनों को बनाने के लिए यह जनवरी महीने से ही जुट जाते हैं और मार्च तक में उनके सभी बर्तन तैयार होकर बाजार में बिकने के लिए आ जाते हैं. पर इस साल कोरोना ने इनके बाजार को फीका कर दिया है लॉकडाउन की स्थिति में यह अपने बर्तनों को नहीं बेच पा रहे हैं.

भूखों मरने की नौबत पर कुम्हार परिवार

इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को माल बनेगी ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आ रही है. मिट्टी के बर्तन बनाकर अपनी जीविका चलाने वाले अधिकांश परिवारों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है. हालत ये है कि घरों में भोजन तक बड़ी मुश्किल से नसीब हो पा रहा है.

कुम्हारों का कहना है कि नवरात्रि में देवी पूजा में उपयोग होने वाले कलश भी बेकार हो गए. नवरात्री शुरु होते ही उनके द्वारा बनाए गए काफी कलश तैयार किए जाते हैं, पर इस साल नवरात्री में एक भी कलश नहीं बिके.

Last Updated : Mar 30, 2020, 11:15 PM IST
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