रीवा। देश भर में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई गई. जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए. इसके बावजूद रीवा में महात्मा गांधी की पवित्र कलश कक्ष की न प्रशासन ने सुध ली और न ही समाजसेवियों ने, जिसका उपयोग पुलिस कैंप के रूप में किया जाने लगा है.
महात्मा गांधी की पवित्र भास्मियों वाला कलश कक्ष बना पुलिस कैंप, प्रशासन को सुध नहीं
रीवा में महात्मा गांधी की पवित्र भस्मियों वाले कलश कक्ष का उपयोग अब पुलिस कैंप के रूप में होने लगा है. इस कक्ष की न प्रशासन ने सुध ली और ना ही समाजसेवियों ने.
बापू की पवित्र भास्मियों का कलश कक्ष बना पुलिस कैंप
रीवा। देश भर में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई गई. जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए. इसके बावजूद रीवा में महात्मा गांधी की पवित्र कलश कक्ष की न प्रशासन ने सुध ली और न ही समाजसेवियों ने, जिसका उपयोग पुलिस कैंप के रूप में किया जाने लगा है.
बता दें कि साल 1970 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शताब्दी समारोह वर्ष के मौके पर यहां पर पवित्र भस्मियों वाला कलश दर्शन के लिए रखा गया था और हजारों लोग यहां श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. जिसके बाद महाराजा मार्तंड सिंह ने लक्ष्मण बाग में पवित्र भस्मी कलश कक्ष को बापू भवन का नाम कर संरक्षित कर दिया था. संरक्षण की सारी व्यवस्थाएं प्रशासन के हाथों में जाने के बाद से ये कक्ष वीरान हो गया है.
बापू भवन में न तो साफ-सफाई की जा रही है और न ही यहां कोई आता जाता है. कई सालों तक यहां पर गोशाला का भूसा रखा जाता था और अब इस कक्ष का उपयोग पुलिस कैंप के रूप में होने लगा है.
बता दें कि साल 1970 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शताब्दी समारोह वर्ष के मौके पर यहां पर पवित्र भस्मियों वाला कलश दर्शन के लिए रखा गया था और हजारों लोग यहां श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. जिसके बाद महाराजा मार्तंड सिंह ने लक्ष्मण बाग में पवित्र भस्मी कलश कक्ष को बापू भवन का नाम कर संरक्षित कर दिया था. संरक्षण की सारी व्यवस्थाएं प्रशासन के हाथों में जाने के बाद से ये कक्ष वीरान हो गया है.
बापू भवन में न तो साफ-सफाई की जा रही है और न ही यहां कोई आता जाता है. कई सालों तक यहां पर गोशाला का भूसा रखा जाता था और अब इस कक्ष का उपयोग पुलिस कैंप के रूप में होने लगा है.
Intro:रीवा देशभर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जा रही है और जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं बावजूद इसके रीवा में गांधी जी की जयंती के अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पवित्र भास्मियो का कलश कक्ष की प्रशासन ने सुध ली और ना ही समाजसेवी ने ।इस कक्ष का उपयोग पुलिस कैंप के रूप में होने लगा है।
Body:यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पवित्र भस्मीओ के कलर्स वाला का इतिहासिक लक्ष्मण बाग में 1970 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शताब्दी समारोह वर्ष के मौके पर यहां पर पवित्र भास्मियो वाला कलर्स दर्शन के लिए रखा गया था और हजारों लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे तत्कालीन महाराजा मार्तंड सिंह ने लक्ष्मण बाग में पवित्र भस्मी कलर्स कक्ष को बापू भवन का नाम देखकर संरक्षित कर दिया यहां पर कई कर्मचारी की नियुक्ति की और सारी व्यवस्था गुप्ता कराई लेकिन प्रशासन के हाथों में जाने के बाद से यह कक्ष वीरान हो गया है ना तो इस कक्ष की प्रशासनिक अधिकारी को सुध है और ना ही राजनेता को।
कक्ष का दर्शन करने वाले भी मायूस होकर उल्टे पांव लौटने के लिए मजबूर हैं बापू भवन में प्रशासनिक उपेक्षा की सारी हदें पार हो गई हैं साफ-सफाई धूपबत्ती तो दूर इस पवित्र पक्ष में कई सालों तक गौशाला का भूसा भी रखा जाता था लेकिन वह फिर बंद हो गया उसके बाद कई वर्षों तक यह कब से बंद रहता था और अब इसमें पुलिस कैंप बना दिया गया है।
जीवन भर बापू साफ सफाई पर जोर देते रहे अपने काम खुद करने की कोशिश करते रहे लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा बापू को सम्मान को ठेस पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है यूं तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर ख्याति लूटने के लिए नेता मंत्री से लेकर सामाजिक संगठन सब सामने आ जाते हैं लेकिन इस कक्ष की व्यवस्था दुरस्त करने की सुध किसी को नहीं है इतनी बड़ी विडंबना है कि बापू की जयंती के मौके पर भी इसकी सुध किसी ने नहीं ली।।
बाइट- पुजारी, लक्ष्मण बाग मंदिर।
Conclusion:....
Body:यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पवित्र भस्मीओ के कलर्स वाला का इतिहासिक लक्ष्मण बाग में 1970 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शताब्दी समारोह वर्ष के मौके पर यहां पर पवित्र भास्मियो वाला कलर्स दर्शन के लिए रखा गया था और हजारों लोग श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे तत्कालीन महाराजा मार्तंड सिंह ने लक्ष्मण बाग में पवित्र भस्मी कलर्स कक्ष को बापू भवन का नाम देखकर संरक्षित कर दिया यहां पर कई कर्मचारी की नियुक्ति की और सारी व्यवस्था गुप्ता कराई लेकिन प्रशासन के हाथों में जाने के बाद से यह कक्ष वीरान हो गया है ना तो इस कक्ष की प्रशासनिक अधिकारी को सुध है और ना ही राजनेता को।
कक्ष का दर्शन करने वाले भी मायूस होकर उल्टे पांव लौटने के लिए मजबूर हैं बापू भवन में प्रशासनिक उपेक्षा की सारी हदें पार हो गई हैं साफ-सफाई धूपबत्ती तो दूर इस पवित्र पक्ष में कई सालों तक गौशाला का भूसा भी रखा जाता था लेकिन वह फिर बंद हो गया उसके बाद कई वर्षों तक यह कब से बंद रहता था और अब इसमें पुलिस कैंप बना दिया गया है।
जीवन भर बापू साफ सफाई पर जोर देते रहे अपने काम खुद करने की कोशिश करते रहे लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा बापू को सम्मान को ठेस पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है यूं तो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर ख्याति लूटने के लिए नेता मंत्री से लेकर सामाजिक संगठन सब सामने आ जाते हैं लेकिन इस कक्ष की व्यवस्था दुरस्त करने की सुध किसी को नहीं है इतनी बड़ी विडंबना है कि बापू की जयंती के मौके पर भी इसकी सुध किसी ने नहीं ली।।
बाइट- पुजारी, लक्ष्मण बाग मंदिर।
Conclusion:....