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कोरोना वायरस से ज्यादा चमगादड़ों के खौफ में जी रहे यहां के ग्रामीण - very dangerous goat village Corona virus

कोरोना वायरस यदि चमगादड़ से फैलता है तो विन्ध्य क्षेत्र रीवा-सतना के लिए बुरी खबर है. यहां कई गांव की स्थिति भयावह हो सकती है क्योंकि रीवा के एक गांव में एक पेड़ ऐसा है, जहां हजारों चमगादड़ों का बसेरा है, जिसके चलते गांव में लोग खौफ के साये में जी रहे हैं.

Bat inhabited in Bakia village, Rewa
रीवा स्थित बकिया गांव में चमगादड़ों का बसेरा
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Published : Apr 17, 2020, 12:23 PM IST

रीवा। अगर कोरोना वायरस चमगादड़ से फैलता है तो विंध्य क्षेत्र रीवा-सतना के लिए बुरी खबर है. यहां कई गांवों में स्थिति भयावह हो सकती है क्योंकि रीवा के एक गांव में एक पेड़ ऐसा है, जहां हजारों की संख्या में चमगादड़ों का बसेरा रहता है, जिसके चलते गांव में लोग खौफ के साये में जी रहे हैं. ये चमगादड़ बेहद खतरनाक प्रजाति के हैं. वाइल्ड लाइफ से जुडे़ जानकारों की माने तो चमगादड़ के कोरोना पाजटिव होने पर पूरा इलाका बीमार हो सकता है.

रीवा से 25 किमी दूर रीवा-सतना की सीमा पर स्थित बकिया गांव है, जहां लॉकडाउन के चलते पूरे गांव में संन्नाटा पसरा रहता है, लेकिन यहां के चमगादड़ों से यहां के लोग खौफजदा हैं. यहां वर्षों पुराना पीपल, बरगद और आम का पेड है. जिस पर खतरनाक चमगादड़ों का बसेरा है. हजारों की तादात में चमगादड़ कई वर्षों से यहां रह रहे हैं. चमगादड़ों से पहले किसी को कोई खतरा नही था, लेकिन जब से चमगादड़ों में कोरोना वायरस होने की खबर फेली है. गांव में लोग दहशत में है. वाइल्ड लाइफ के जानकारों की माने तो ये चमगादड़ काफी खतरनाक प्रजाति के हैं. इन्हें मैगा ब्राउन बैट कहा जाता है. वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि ये चमगादड़ अन्य चमगादडों से ज्यादा खतरानाक होते हैं. ये तेजी से काम करते हैं और ये संक्रमण व्यापक स्तर पर फैला सकते हैं. पूरा गांव इनकी चपेट में आ सकता है, पेड़, हवा, पानी के साथ ही इनकी बीट से भी लोग संक्रमित हो सकते हैं.

वैसे तो यहां सैकड़ों वर्षों से चमगादडों का बसेरा है, एक किवदंती है कि इस जगह साधू-संतों ने विशाल यज्ञ किया था. उस दौरान ये चमगादड़ यहां पर आये. पहले लोग प्राचीन मंदिर में पूजा अर्चना करने आया करते थे. लेकिन जब से कोरोना वायरस का वाहक चमगादड़ के होने की खबर लोगों को लगी है, तब से लोग डरे हुए हैं. विंध्य क्षेत्र कोरोना वायरस से बचा है. रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया जिले में एक भी कोरोना पाजटिव नहीं मिले हैं. पर यहां चमगादड़ों के बसेरे से प्रशासन पूरी तरह अनजान है. चमगादड़ों का झुंड पेड़ के आसपास पूरे दिन मंडराता है और रात होते ही पेड़ से गायब हो जाते हैं. ऐसे में खतरा और भी बढ़ जाता है.

रीवा। अगर कोरोना वायरस चमगादड़ से फैलता है तो विंध्य क्षेत्र रीवा-सतना के लिए बुरी खबर है. यहां कई गांवों में स्थिति भयावह हो सकती है क्योंकि रीवा के एक गांव में एक पेड़ ऐसा है, जहां हजारों की संख्या में चमगादड़ों का बसेरा रहता है, जिसके चलते गांव में लोग खौफ के साये में जी रहे हैं. ये चमगादड़ बेहद खतरनाक प्रजाति के हैं. वाइल्ड लाइफ से जुडे़ जानकारों की माने तो चमगादड़ के कोरोना पाजटिव होने पर पूरा इलाका बीमार हो सकता है.

रीवा से 25 किमी दूर रीवा-सतना की सीमा पर स्थित बकिया गांव है, जहां लॉकडाउन के चलते पूरे गांव में संन्नाटा पसरा रहता है, लेकिन यहां के चमगादड़ों से यहां के लोग खौफजदा हैं. यहां वर्षों पुराना पीपल, बरगद और आम का पेड है. जिस पर खतरनाक चमगादड़ों का बसेरा है. हजारों की तादात में चमगादड़ कई वर्षों से यहां रह रहे हैं. चमगादड़ों से पहले किसी को कोई खतरा नही था, लेकिन जब से चमगादड़ों में कोरोना वायरस होने की खबर फेली है. गांव में लोग दहशत में है. वाइल्ड लाइफ के जानकारों की माने तो ये चमगादड़ काफी खतरनाक प्रजाति के हैं. इन्हें मैगा ब्राउन बैट कहा जाता है. वैज्ञानिकों ने शोध में पाया कि ये चमगादड़ अन्य चमगादडों से ज्यादा खतरानाक होते हैं. ये तेजी से काम करते हैं और ये संक्रमण व्यापक स्तर पर फैला सकते हैं. पूरा गांव इनकी चपेट में आ सकता है, पेड़, हवा, पानी के साथ ही इनकी बीट से भी लोग संक्रमित हो सकते हैं.

वैसे तो यहां सैकड़ों वर्षों से चमगादडों का बसेरा है, एक किवदंती है कि इस जगह साधू-संतों ने विशाल यज्ञ किया था. उस दौरान ये चमगादड़ यहां पर आये. पहले लोग प्राचीन मंदिर में पूजा अर्चना करने आया करते थे. लेकिन जब से कोरोना वायरस का वाहक चमगादड़ के होने की खबर लोगों को लगी है, तब से लोग डरे हुए हैं. विंध्य क्षेत्र कोरोना वायरस से बचा है. रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया जिले में एक भी कोरोना पाजटिव नहीं मिले हैं. पर यहां चमगादड़ों के बसेरे से प्रशासन पूरी तरह अनजान है. चमगादड़ों का झुंड पेड़ के आसपास पूरे दिन मंडराता है और रात होते ही पेड़ से गायब हो जाते हैं. ऐसे में खतरा और भी बढ़ जाता है.

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