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कोरोना काल में किन्नरों पर भी आर्थिक संकट, सरकार पर मदद नहीं करने का लगाया आरोप - आर्थिक संकट

हर कोई कोरोना काल में आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. किन्नर समाज भी इससे अछूता नहीं है. मांगलिक कार्य नहीं होने से इनके सामने आर्थिक संकट आ गया है. वहीं लॉकडाउन के दौरान भी किसी ने किन्नरों की मदद नहीं की है.

shemale present in the collectorate
कलेक्ट्रेट में मौजूद किन्नर
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Published : May 30, 2020, 3:33 PM IST

रतलाम। जिले में कोरोना संकटकाल में हर वर्ग का काम प्रभावित हुआ है. ऐसे में देश में थर्ड जेंडर के रूप में संवैधानिक अधिकार पा चुके किन्नर समाज के लोग इन दिनों पारंपरिक काम नहीं मिल पाने से परेशान हैं. शादियों और मांगलिक कार्यक्रमों में बधाई और नाच गाकर गुजारा करने वाले किन्नरों की आर्थिक हालत लॉकडाउन के दौरान गंभीर हो गई है. किन्नरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. रोजी रोटी का संकट खड़ा होने पर परेशान हो रहे किन्नरों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किन्नर समाज के लोगों ने आवेदन देकर उनकी मदद करने की अपील की है.

किन्नरों के सामने आर्थिक संकट

कलेक्ट्रेट में मदद की गुहार

शहर में किन्नरों की संख्या 300 के करीब है, जो अब काम नहीं मिलने की वजह से परेशान हो रहे हैं. जिला कलेक्ट्रेट में मदद की गुहार लगाने पहुंचे किन्नरों का कहना है कि पुरुषों और महिलाओं को तो काम भी मिल जाता है, लेकिन उन्हें तो कोई काम पर भी रखने को तैयार नहीं है. 2 महिनों से काम नहीं मिलने से किन्नर समाज के लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे है. यही नहीं आगामी समय में भी उन्हें उनका पारंपरिक काम मिलने की उम्मीद नहीं है. अब वे प्रशासन और सरकार से मदद की उम्मीद लगा रहे हैं.

प्रशासन ने नहीं की कोई मदद

कोरोना के संकट काल में शादियों का सीजन तो निकल ही गया है. वहीं शादियों के आगामी मुहूर्त 2021 में निकाले जा रहे हैं. जिससे थर्ड जेंडर के इन लोगों के सामने रोजगार का संकट केवल लॉकडाउन में ही नहीं, बल्कि आगामी कई महीनों तक बना रहने वाला है. किन्नरों की व्यथा है कि कोरोना की इस बीमारी के बीच उन्हें 2 महीनों से कोई काम नहीं मिला है. किसी सामाजिक संस्था या प्रशासन से उन्हें कोई मदद भी नहीं मिली है.

समाज में हो रहे उपेक्षा का शिकार

बहरहाल किन्नर समाज देश में थर्ड जेंडर का संवैधानिक अधिकार भले ही हासिल कर चुका हो, लेकिन लॉक डाउन के दौरान आर्थिक तंगी से जूझते इस वर्ग को समाज में अब भी उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है. वहीं लॉकडाउन में किन्नरों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.

रतलाम। जिले में कोरोना संकटकाल में हर वर्ग का काम प्रभावित हुआ है. ऐसे में देश में थर्ड जेंडर के रूप में संवैधानिक अधिकार पा चुके किन्नर समाज के लोग इन दिनों पारंपरिक काम नहीं मिल पाने से परेशान हैं. शादियों और मांगलिक कार्यक्रमों में बधाई और नाच गाकर गुजारा करने वाले किन्नरों की आर्थिक हालत लॉकडाउन के दौरान गंभीर हो गई है. किन्नरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. रोजी रोटी का संकट खड़ा होने पर परेशान हो रहे किन्नरों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. किन्नर समाज के लोगों ने आवेदन देकर उनकी मदद करने की अपील की है.

किन्नरों के सामने आर्थिक संकट

कलेक्ट्रेट में मदद की गुहार

शहर में किन्नरों की संख्या 300 के करीब है, जो अब काम नहीं मिलने की वजह से परेशान हो रहे हैं. जिला कलेक्ट्रेट में मदद की गुहार लगाने पहुंचे किन्नरों का कहना है कि पुरुषों और महिलाओं को तो काम भी मिल जाता है, लेकिन उन्हें तो कोई काम पर भी रखने को तैयार नहीं है. 2 महिनों से काम नहीं मिलने से किन्नर समाज के लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे है. यही नहीं आगामी समय में भी उन्हें उनका पारंपरिक काम मिलने की उम्मीद नहीं है. अब वे प्रशासन और सरकार से मदद की उम्मीद लगा रहे हैं.

प्रशासन ने नहीं की कोई मदद

कोरोना के संकट काल में शादियों का सीजन तो निकल ही गया है. वहीं शादियों के आगामी मुहूर्त 2021 में निकाले जा रहे हैं. जिससे थर्ड जेंडर के इन लोगों के सामने रोजगार का संकट केवल लॉकडाउन में ही नहीं, बल्कि आगामी कई महीनों तक बना रहने वाला है. किन्नरों की व्यथा है कि कोरोना की इस बीमारी के बीच उन्हें 2 महीनों से कोई काम नहीं मिला है. किसी सामाजिक संस्था या प्रशासन से उन्हें कोई मदद भी नहीं मिली है.

समाज में हो रहे उपेक्षा का शिकार

बहरहाल किन्नर समाज देश में थर्ड जेंडर का संवैधानिक अधिकार भले ही हासिल कर चुका हो, लेकिन लॉक डाउन के दौरान आर्थिक तंगी से जूझते इस वर्ग को समाज में अब भी उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है. वहीं लॉकडाउन में किन्नरों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है.

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