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रतलाम में भी उगाया जा रहा है विदेशी ड्रैगन फ्रूट, भारत में भी बढ़ रही डिमांड

रतलाम के गणेशगंज गांव के युवा किसान ने लगाया ड्रैगन फ्रूट का बगीचा. सेहत के लिए फायदेमंद और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर इस फल की मांग अब भारत में भी बढ़ती जा रही है.

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Published : Jan 15, 2020, 7:21 PM IST

Now exotic dragon fruit is also being grown in Ratlam
विदेशी ड्रैगन फ्रूट की खेती

रतलाम। पिपलोदा तहसील के गणेशगंज गांव के युवा किसान दशरथ पाटीदार ने प्रायोगिक तौर पर दो बीघा जमीन में 2 हजार ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाकर ड्रैगन फ्रूट का अच्छा उत्पादन लेने में सफलता पाई है.सेहत के लिए फायदेमंद और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर इस फल की मांग अब भारत में भी बढ़ती जा रही है जिससे इसका उत्पादन करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है. युवा किसान दशरथ पाटीदार गुजरात में अपने दोस्त की नर्सरी से ड्रैगन फ्रूट के पौधे प्रयोग के तौर पर लेकर आए थे. एक साल में ही ड्रैगन फ्रूट के पौधों से फल मिलना शुरू हो गए. करीब 500 ग्राम वजन के ड्रैगन फ्रूट का बाजार मूल्य 200 से 300 रुपय प्रति किलोग्राम तक भी मिल रहा है.

विदेशी ड्रैगन फ्रूट की खेती


ड्रैगन फ्रूट कैक्टस प्रजाति के पौधों से उत्पन्न होने वाले फल है जिसे पिताया और स्ट्रॉबेरी पियर के नाम से भी जाना जाता है। भारत में इसकी खेती की शुरुआत पिछले कुछ वर्षों से हुई है। जिसके बाद अब रतलाम के युवा किसान ने भी ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया है.

रतलाम। पिपलोदा तहसील के गणेशगंज गांव के युवा किसान दशरथ पाटीदार ने प्रायोगिक तौर पर दो बीघा जमीन में 2 हजार ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाकर ड्रैगन फ्रूट का अच्छा उत्पादन लेने में सफलता पाई है.सेहत के लिए फायदेमंद और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर इस फल की मांग अब भारत में भी बढ़ती जा रही है जिससे इसका उत्पादन करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा मिल रहा है. युवा किसान दशरथ पाटीदार गुजरात में अपने दोस्त की नर्सरी से ड्रैगन फ्रूट के पौधे प्रयोग के तौर पर लेकर आए थे. एक साल में ही ड्रैगन फ्रूट के पौधों से फल मिलना शुरू हो गए. करीब 500 ग्राम वजन के ड्रैगन फ्रूट का बाजार मूल्य 200 से 300 रुपय प्रति किलोग्राम तक भी मिल रहा है.

विदेशी ड्रैगन फ्रूट की खेती


ड्रैगन फ्रूट कैक्टस प्रजाति के पौधों से उत्पन्न होने वाले फल है जिसे पिताया और स्ट्रॉबेरी पियर के नाम से भी जाना जाता है। भारत में इसकी खेती की शुरुआत पिछले कुछ वर्षों से हुई है। जिसके बाद अब रतलाम के युवा किसान ने भी ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया है.

Intro:आमतौर पर विदेशों में उगाए जाने वाले ड्रैगन फ्रूट की खेती अब रतलाम गणेशगंज गांव में भी की जा रही है । पिपलोदा तहसील के गणेशगंज गांव के युवा किसान दशरथ पाटीदार ने प्रायोगिक तौर पर दो बीघा जमीन में 2000 ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाकर ड्रैगन फ्रूट का अच्छा उत्पादन लेने में सफलता पाई है । सेहत के लिए फायदेमंद और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर इस फल की मांग अब भारत में भी बढ़ती जा रही है। जिससे इसका उत्पादन करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा प्राप्त हो रहा है। खास बात यह भी है कि एक बार इस फल के पौधे को लगाने के बाद 25 वर्षों तक इससे फल का उत्पादन लिया जा सकता है।


Body:दरअसल रतलाम जिले के गणेशगंज गांव के युवा किसान दशरथ पाटीदार गुजरात में अपने दोस्त की नर्सरी से ड्रैगन फ्रूट के पौधे प्रयोग के तौर पर लेकर आए थे। 1 वर्ष के भीतर ही ड्रैगन फ्रूट के पौधों से फल मिलना शुरू हो गए। करीब 500 ग्राम वजन के ड्रैगन फ्रूट का बाजार मूल्य 200 से ₹300 प्रति किलोग्राम तक भी मिल रहा है। जिससे दशरथ पाटीदार ने पहले ही साल में ड्रैगन फ्रूट बेचकर कर अच्छा मुनाफा कमाया है। वही आने वाले साल में ड्रैगन फ्रूट के इस बगीचे में उत्पादन और बढ़ने की उम्मीद भी है। ड्रैगन फ्रूट कैक्टस प्रजाति के पौधों से उत्पन्न होने वाले फल है जिसे पिताया और स्ट्रॉबेरी पियर के नाम से भी जाना जाता है। भारत में इसकी खेती की शुरुआत पिछले कुछ वर्षों से हुई है। जिसके बाद अब रतलाम के युवा किसान ने भी ड्रैगन फ्रूट की खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया है।


Conclusion:बहरहाल गणेशगंज के युवा किसान दशरथ पाटीदार की सफलता को देखकर अब जिले के अन्य किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।


बाइट 01 - दशरथ पाटीदार (ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसान)
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