ETV Bharat / state

Mp Seat Scan Sailana: एक ही परिवार का रहा दबदबा, भाजपा सिर्फ एक बार जीत पाई यह सीट, लेकिन इस बार जयस ने जगाई उम्मीदें

रतलाम जिले की सैलाना सीट का मिजाज सिर्फ एक ही परिवार ने समझा है और आठ बार सीट पर विजय हासिल की है. भाजपा अब तक सिर्फ एक बार ही अपना विधायक बना पाई. इस बार जयस भी अपना उम्मीदवार यहां से उतारने की तैयारी कर रही है, ऐसे में कांग्रेस की ही मुश्किलें बढ़ेंगी.

Mp Seat Scan Sailana
एमपी सीट स्कैन सैलाना
author img

By

Published : Aug 10, 2023, 8:39 PM IST

रतलाम। सैलाना विधानसभा सीट रतलाम जिले की पांचवी सीट है. वर्ष 1962 में पहली बार निर्वाचन क्षेत्र के रूप में चुनाव हुए थे. जबकि एमपी गठन के पहले वर्ष 1951 में चुनाव हुए थे. तब कांग्रेस के प्रत्याशी विधायक बने थे. इसके बाद वर्ष 1956 में इस विधानसभा क्षेत्र को भंग कर दिया गया था और 1961 में इसे फिर से अस्तित्व में लाया गया. वर्ष 1951 में यह निर्वाचन क्षेत्र तत्कालीन मध्य भारत राज्य के 79 विधानसभा क्षेत्रों में शुमार था. जब वर्ष 1961 में इसे दोबारा निर्वाचन क्षेत्र के रूप में शामिल किया था, तो शुरू से ही अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित कर दिया गया. इस विधानसभा में पहले चुनाव यानी वर्ष 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के लक्ष्मण सिंह ने जीत हासिल की थी. वहीं 1967 में प्रभुदयाल गहलोत ने कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और जीता.

एक ही परिवार के लोगों ने 8 बार जीत हासिल की: इसके बाद से यह सीट गहलाेत परिवार के पास आती-जाती रही. कुल 8 बार इस परिवार के लोग सैलाना विधानसभा सीट से विधायक बनकर विधानसभा सदन तक पहुंच चुके हैं. इस बार भी भाजपा के लिए यह सीट ले पाना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि भाजपा की तरफ से अब तक कोई बड़ा काम या कैंपेन नहीं किया गया है. बीते चुनाव वर्ष 2018 में भी जब नारायण सिंह मैड़ा चुनाव लड़े थे, तो उनकी तरफ से किसी बड़े नेता की सभा नहीं होने की वजह से वे हार गए थे. वहीं कांग्रेस के सामने चुनौती जयस (जय आदिवसी संगठन) है, क्योंकि जयस की तरफ से भी चुनाव लड़ाने की तैयारी है और यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए मुश्किल होगी, क्योंकि कांग्रेस के सिटिंग एमएलए हर्ष विजय गहलोत लगातार आदिवासी वोट को अपने पक्ष में लेकर चलते रहे हैं. यदि जयस मैदान में उतरता है फिर भाजपा को सीधे फायदा होगा.

Mp Seat Scan Sailana
सैलाना सीट के मतदाता

सैलाना विधानसभा का राजनीतिक इतिहास: वर्ष 1972 में सैलाना विधानसभा क्षेत्र में कुल 66092 मतदाता थे. इस चुनाव में 37053 लोगों ने वोटिंग की थी. तब कांग्रेस के उम्मीदवार प्रभुदयाल गहलोत जीते और विधायक बने. उन्हें 21604 वोट मिले और उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह को 7179 वोटों से हराया था, लेकिन 1977 में जनता पार्टी ने इस सीट को अपने कब्जे में ले लिया. जनता पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और कामजी नामक प्रत्याशी को मैदान में उतारा. कुल 35392 मतदाताओं ने वोट डाले और इसमें से कामजी को 24775 वोट मिले. उन्होंने दो बार विधायक रह चुके कांग्रेस के उम्मीदवार प्रभुदयाल गहलोत को बड़ी मात देते हुए 14158 वोटों से हराया, लेकिन गहलोत परिवार की पकड़ इस विधानसभा में ढीली नहीं हुई. वर्ष 1980 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो सैलाना से कांग्रेस ने फिर से प्रभुदयाल गहलोत को मैदान में उतारा. इस बार 38235 मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया. इसमें से कांग्रेस उम्मीदवार प्रभुदयाल गहलोत को 18591 वोट मिले और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी को 3685 वोटों से हराया. इस बार जनता पार्टी का प्रत्याशी काफी पीछे रहा.

साल 1985 से 1990 तक का इतिहास: वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी से चुनाव लड़ चुके कामजी ने लोकदल नामक पार्टी से चुनाव लड़ा, लेकिन फिर से हार का सामना करना पड़ा. इस बार भी 43399 वोट में से 22969 वोट लेकर कांग्रेस उम्मीदवार प्रभुदयाल गहलोत विधायक बने और उन्होंने लोकदल प्रत्याशी कामजी को 8065 वोटों से हराया. लेकिन वर्ष 1990 तक जनता पार्टी ने अपना प्रभाव इस सीट पर बना लिया था और एक बार फिर से कामजी गमीरा को टिकट दिया और इस बार उनका दांव सही बैठा. इस बार कुल 61565 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया. इसका फायदा कामजी को मिला और उन्हें 33669 वोट मिले. जबकि कांग्रेस से लगातार विधायक बन रहे प्रभुदयाल गहलोत को 26959 वोट ही मिले और वे कामजी से 6710 वोटों से हार गए.

साल 1993 से 1998 तक का इतिहास: बात करें वर्ष 1993 के चुनाव की तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही अपना प्रत्याशी बदल दिया. कांग्रेस ने प्रभुदयाल गहलोत को हटाकर उनकी जगह लालसिंह देवड़ा को टिकट दिया, जबकि भाजपा ने बाबूलाल मेड़ा को टिकट दिया. वहीं प्रभुदयाल गहलोत निर्दलीय मैदान में उतरे. इसके बाद भी परिणाम कांग्रेस के पाले में गया और देवड़ा ने 73334 में से 20279 वोट मिले और वे चुनाव जीत गए. जबकि दूसरे स्थान पर जनता दल के प्रत्याशी भेरु सिंह देमार रहे. उन्हें 18736 वोट मिले और वे महज 1543 वोट से चुनाव हार गए. तीसरे नंबर पर इस बार भाजपा रही और लगातार विधायक बनते आ रहे प्रभुदयाल गहलोत चौथे स्थान पर पहुंचे. लेकिन उन्हें भी 14160 वोट मिले. इसके बाद भी जब कांग्रेस चुनाव जीत गई तो वर्ष 1998 में फिर से कांग्रेस ने लाल सिंह देवड़ा को टिकट दिया, लेकिन प्रभुदयाल गहलोत पूरे पांच साल सक्रिय रहे और फिर से उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और बंपर 14679 वोटों से जीते. इस साल कुल 83560 लोगों ने वोटिंग की, जिसमें से निर्दलीय उम्मीदवार प्रभुदयाल गेहलोत को 33544 वोट मिले. मजेदार बात यह है कि इस बार भी भाजपा और कांग्रेस दूसरे नंबर पर नहीं रही, बल्कि जनता दल के प्रत्याशी भेरूसिंह डामर ही दूसरे नंबर पर थे, और उनका पिछली बार के लगभग बराबर यानी 18865 वोट मिले.

Mp Seat Scan Sailana
सैलाना सीट का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

साल 2003 से 2008 का चुनावी परिणाम: कांग्रेस ने तत्काल सबक लिया प्रभुदयाल गहलाेत को ही वर्ष 2003 में सैलाना विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया. उनका यह फैसला सही साबित हुआ. वे भाजपा के उम्मीदवार बाबूलाल मेड़ा को 10900 वोट से हराकर विधायक बने. इस चुनाव में प्रभुदयाल को 43236 और बीजेपी के उम्मीदवार बाबूलाल मेड़ा को कुल 32336 वोट मिले. यहां गौर करने वाली बात यह है कि पहली बार भाजपा दूसरे नंबर पर आई थी. कांग्रेस को यह बात समझ आ गई थी कि इस सीट पर बने रहना है तो प्रभुदयाल गहलोत को ही रिपीट करना होगा. साल 2008 में उन्हें फिर टिकट दिया गया. प्रभुदयाल को कुल 29516 वोट मिले और उन्होंने बीजेपी की उम्मीदवार संगीता चारेल को 6285 वोटों से हराया.

साल 2013 से 2018 तक का चुनावी परिणाम: संगीता चारेल लगातार मेहनत करती रहीं और 2013 में पहली बार भाजपा को जीत दिलाई. वर्ष 2013 के सैलाना विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार संगीता विजय चारेल को 47662 वोट मिले. इधर कांग्रेस ने इस बार गहलोत परिवार के गुड्डु हर्ष विजय को टिकट दिया और उन्हें 45583 वोट मिले. इस तरह भाजपा की संगीता 2079 वोटों से जीत गई, लेकिन भाजपा यह सिलसिला कायम नहीं रख पाई. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने संगीता की बजाय नारायण मेड़ा को टिकट दिया तो वे हार गए. इधर कांग्रेस ने गहलोत परिवार पर ही भरोसा जताया और फिर से हर्ष विजय गहलोत को टिकट दिया. उनका यह फैसला सही सिद्ध हुआ. कांग्रेस उम्मीदवार हर्ष विजय गहलोत "गुड्डू" को 73597 वोट मिले और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नारायण मेड़ा को बड़े अंतर 28498 वोटों से चुनाव हराया.

Mp Seat Scan Sailana
साल 2018 का रिजल्ट

यहां का जातीय समीकरण: सबसे बड़ी संख्या आदिवासियों की है. कुल मतदाताओं में से आधे वोटर इसी वर्ग के हैं. इसके बाद किसान वर्ग से पाटीदार, ठाकुर, ब्राह्मण, मुस्लिम, विश्वकर्मा, माली, मीणा, बनिया आदि समाज की संख्या आती है, लेकिन होल्ड पूरी तरह से आदिवासियों के पास है. गहलोत परिवार की आदिवासियों में गहरी पैठ है.

Mp Seat Scan Sailana
सैलाना की खासियत

सैलाना विधानसभा क्षेत्र की खासियत: कृषि प्रधान क्षेत्र है और सोयाबीन व गेंहू की फसल बोई जाती है. पर्यटन बहुत अधिक नहीं है. ज्यादातर ग्रामीण इलाके ही हैं. अवैध माइनिंग का कुछ काम है.

रतलाम। सैलाना विधानसभा सीट रतलाम जिले की पांचवी सीट है. वर्ष 1962 में पहली बार निर्वाचन क्षेत्र के रूप में चुनाव हुए थे. जबकि एमपी गठन के पहले वर्ष 1951 में चुनाव हुए थे. तब कांग्रेस के प्रत्याशी विधायक बने थे. इसके बाद वर्ष 1956 में इस विधानसभा क्षेत्र को भंग कर दिया गया था और 1961 में इसे फिर से अस्तित्व में लाया गया. वर्ष 1951 में यह निर्वाचन क्षेत्र तत्कालीन मध्य भारत राज्य के 79 विधानसभा क्षेत्रों में शुमार था. जब वर्ष 1961 में इसे दोबारा निर्वाचन क्षेत्र के रूप में शामिल किया था, तो शुरू से ही अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित कर दिया गया. इस विधानसभा में पहले चुनाव यानी वर्ष 1962 में सोशलिस्ट पार्टी के लक्ष्मण सिंह ने जीत हासिल की थी. वहीं 1967 में प्रभुदयाल गहलोत ने कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ा और जीता.

एक ही परिवार के लोगों ने 8 बार जीत हासिल की: इसके बाद से यह सीट गहलाेत परिवार के पास आती-जाती रही. कुल 8 बार इस परिवार के लोग सैलाना विधानसभा सीट से विधायक बनकर विधानसभा सदन तक पहुंच चुके हैं. इस बार भी भाजपा के लिए यह सीट ले पाना मुश्किल लग रहा है, क्योंकि भाजपा की तरफ से अब तक कोई बड़ा काम या कैंपेन नहीं किया गया है. बीते चुनाव वर्ष 2018 में भी जब नारायण सिंह मैड़ा चुनाव लड़े थे, तो उनकी तरफ से किसी बड़े नेता की सभा नहीं होने की वजह से वे हार गए थे. वहीं कांग्रेस के सामने चुनौती जयस (जय आदिवसी संगठन) है, क्योंकि जयस की तरफ से भी चुनाव लड़ाने की तैयारी है और यदि ऐसा होता है तो कांग्रेस के लिए मुश्किल होगी, क्योंकि कांग्रेस के सिटिंग एमएलए हर्ष विजय गहलोत लगातार आदिवासी वोट को अपने पक्ष में लेकर चलते रहे हैं. यदि जयस मैदान में उतरता है फिर भाजपा को सीधे फायदा होगा.

Mp Seat Scan Sailana
सैलाना सीट के मतदाता

सैलाना विधानसभा का राजनीतिक इतिहास: वर्ष 1972 में सैलाना विधानसभा क्षेत्र में कुल 66092 मतदाता थे. इस चुनाव में 37053 लोगों ने वोटिंग की थी. तब कांग्रेस के उम्मीदवार प्रभुदयाल गहलोत जीते और विधायक बने. उन्हें 21604 वोट मिले और उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार लक्ष्मण सिंह को 7179 वोटों से हराया था, लेकिन 1977 में जनता पार्टी ने इस सीट को अपने कब्जे में ले लिया. जनता पार्टी ने पहली बार चुनाव लड़ा और कामजी नामक प्रत्याशी को मैदान में उतारा. कुल 35392 मतदाताओं ने वोट डाले और इसमें से कामजी को 24775 वोट मिले. उन्होंने दो बार विधायक रह चुके कांग्रेस के उम्मीदवार प्रभुदयाल गहलोत को बड़ी मात देते हुए 14158 वोटों से हराया, लेकिन गहलोत परिवार की पकड़ इस विधानसभा में ढीली नहीं हुई. वर्ष 1980 में जब विधानसभा चुनाव हुए तो सैलाना से कांग्रेस ने फिर से प्रभुदयाल गहलोत को मैदान में उतारा. इस बार 38235 मतदाताओं ने अपने मत का इस्तेमाल किया. इसमें से कांग्रेस उम्मीदवार प्रभुदयाल गहलोत को 18591 वोट मिले और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी को 3685 वोटों से हराया. इस बार जनता पार्टी का प्रत्याशी काफी पीछे रहा.

साल 1985 से 1990 तक का इतिहास: वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में जनता पार्टी से चुनाव लड़ चुके कामजी ने लोकदल नामक पार्टी से चुनाव लड़ा, लेकिन फिर से हार का सामना करना पड़ा. इस बार भी 43399 वोट में से 22969 वोट लेकर कांग्रेस उम्मीदवार प्रभुदयाल गहलोत विधायक बने और उन्होंने लोकदल प्रत्याशी कामजी को 8065 वोटों से हराया. लेकिन वर्ष 1990 तक जनता पार्टी ने अपना प्रभाव इस सीट पर बना लिया था और एक बार फिर से कामजी गमीरा को टिकट दिया और इस बार उनका दांव सही बैठा. इस बार कुल 61565 लोगों ने अपने मत का प्रयोग किया. इसका फायदा कामजी को मिला और उन्हें 33669 वोट मिले. जबकि कांग्रेस से लगातार विधायक बन रहे प्रभुदयाल गहलोत को 26959 वोट ही मिले और वे कामजी से 6710 वोटों से हार गए.

साल 1993 से 1998 तक का इतिहास: बात करें वर्ष 1993 के चुनाव की तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही अपना प्रत्याशी बदल दिया. कांग्रेस ने प्रभुदयाल गहलोत को हटाकर उनकी जगह लालसिंह देवड़ा को टिकट दिया, जबकि भाजपा ने बाबूलाल मेड़ा को टिकट दिया. वहीं प्रभुदयाल गहलोत निर्दलीय मैदान में उतरे. इसके बाद भी परिणाम कांग्रेस के पाले में गया और देवड़ा ने 73334 में से 20279 वोट मिले और वे चुनाव जीत गए. जबकि दूसरे स्थान पर जनता दल के प्रत्याशी भेरु सिंह देमार रहे. उन्हें 18736 वोट मिले और वे महज 1543 वोट से चुनाव हार गए. तीसरे नंबर पर इस बार भाजपा रही और लगातार विधायक बनते आ रहे प्रभुदयाल गहलोत चौथे स्थान पर पहुंचे. लेकिन उन्हें भी 14160 वोट मिले. इसके बाद भी जब कांग्रेस चुनाव जीत गई तो वर्ष 1998 में फिर से कांग्रेस ने लाल सिंह देवड़ा को टिकट दिया, लेकिन प्रभुदयाल गहलोत पूरे पांच साल सक्रिय रहे और फिर से उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और बंपर 14679 वोटों से जीते. इस साल कुल 83560 लोगों ने वोटिंग की, जिसमें से निर्दलीय उम्मीदवार प्रभुदयाल गेहलोत को 33544 वोट मिले. मजेदार बात यह है कि इस बार भी भाजपा और कांग्रेस दूसरे नंबर पर नहीं रही, बल्कि जनता दल के प्रत्याशी भेरूसिंह डामर ही दूसरे नंबर पर थे, और उनका पिछली बार के लगभग बराबर यानी 18865 वोट मिले.

Mp Seat Scan Sailana
सैलाना सीट का रिपोर्ट कार्ड

कुछ और सीट स्कैन यहां पढ़ें...

साल 2003 से 2008 का चुनावी परिणाम: कांग्रेस ने तत्काल सबक लिया प्रभुदयाल गहलाेत को ही वर्ष 2003 में सैलाना विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया. उनका यह फैसला सही साबित हुआ. वे भाजपा के उम्मीदवार बाबूलाल मेड़ा को 10900 वोट से हराकर विधायक बने. इस चुनाव में प्रभुदयाल को 43236 और बीजेपी के उम्मीदवार बाबूलाल मेड़ा को कुल 32336 वोट मिले. यहां गौर करने वाली बात यह है कि पहली बार भाजपा दूसरे नंबर पर आई थी. कांग्रेस को यह बात समझ आ गई थी कि इस सीट पर बने रहना है तो प्रभुदयाल गहलोत को ही रिपीट करना होगा. साल 2008 में उन्हें फिर टिकट दिया गया. प्रभुदयाल को कुल 29516 वोट मिले और उन्होंने बीजेपी की उम्मीदवार संगीता चारेल को 6285 वोटों से हराया.

साल 2013 से 2018 तक का चुनावी परिणाम: संगीता चारेल लगातार मेहनत करती रहीं और 2013 में पहली बार भाजपा को जीत दिलाई. वर्ष 2013 के सैलाना विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार संगीता विजय चारेल को 47662 वोट मिले. इधर कांग्रेस ने इस बार गहलोत परिवार के गुड्डु हर्ष विजय को टिकट दिया और उन्हें 45583 वोट मिले. इस तरह भाजपा की संगीता 2079 वोटों से जीत गई, लेकिन भाजपा यह सिलसिला कायम नहीं रख पाई. साल 2018 के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने संगीता की बजाय नारायण मेड़ा को टिकट दिया तो वे हार गए. इधर कांग्रेस ने गहलोत परिवार पर ही भरोसा जताया और फिर से हर्ष विजय गहलोत को टिकट दिया. उनका यह फैसला सही सिद्ध हुआ. कांग्रेस उम्मीदवार हर्ष विजय गहलोत "गुड्डू" को 73597 वोट मिले और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार नारायण मेड़ा को बड़े अंतर 28498 वोटों से चुनाव हराया.

Mp Seat Scan Sailana
साल 2018 का रिजल्ट

यहां का जातीय समीकरण: सबसे बड़ी संख्या आदिवासियों की है. कुल मतदाताओं में से आधे वोटर इसी वर्ग के हैं. इसके बाद किसान वर्ग से पाटीदार, ठाकुर, ब्राह्मण, मुस्लिम, विश्वकर्मा, माली, मीणा, बनिया आदि समाज की संख्या आती है, लेकिन होल्ड पूरी तरह से आदिवासियों के पास है. गहलोत परिवार की आदिवासियों में गहरी पैठ है.

Mp Seat Scan Sailana
सैलाना की खासियत

सैलाना विधानसभा क्षेत्र की खासियत: कृषि प्रधान क्षेत्र है और सोयाबीन व गेंहू की फसल बोई जाती है. पर्यटन बहुत अधिक नहीं है. ज्यादातर ग्रामीण इलाके ही हैं. अवैध माइनिंग का कुछ काम है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.