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सड़कों पर नहीं दौड़ रही हैं बसें, आर्थिक संकट से गुजर रहे ड्राइवर, कंडक्टर और संचालक

अनलॉक होते ही जहां परिवहन मंत्रालय ने फिर से बसों के संचालन को शुरु करने के आदेश दे दिए हैं, इसके बाद भी अब तक बसों का संचालन शुरु नहीं हुआ है. बस संचालकों का कहना है कि, पहले सरकार तीन माह का टैक्स माफ करे, उसके बाद ही बसें चलाई जाएंगी.

bus stopped running
अनलॉक में भी थमे हैं बसों के पहिए
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Published : Jul 24, 2020, 10:45 AM IST

रतलाम। एक जुलाई से हुए अनलॉक के बाद लॉकडाउन के कारण बंद रही बस सेवाओं को एक बार फिर चालू करने के दिशा-निर्देश केंद्र सरकार ने जारी किए थे, लेकिन प्रदेश की सड़कों पर अब तक प्रायवेट बसे दौड़ती नजर नहीं आ रही हैं. परिवहन मंत्रालय ने देशभर में निजी बसों के संचालन के निर्देश तो जारी कर दिए, लेकिन बस ऑपरेटरों की खराब हो चुकी माली हालत इसकी इजाजत नहीं दे रही है कि, आधी क्षमता में सवारी बैठा कर संचालन शुरू कर सकें. इसके साथ ही बस संचालक लॉकडाउन की अवधि का टैक्स माफ करने की मांग कर रहे हैं.

अनलॉक में भी थमे हैं बसों के पहिए

कोरोना संक्रमण की वजह से चार महीनों से बंद पड़ी यात्री बस सेवा की वजह से ऑपरेटर पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. ऐसे में बसों का संचालन फिर से शुरू करने के लिए बस ऑपरेटर यूनियन ने प्रदेश सरकार से लॉकडाउन की अवधि के दौरान बसों पर लगने वाले टैक्स को माफ करने और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों के मुताबिक यात्री किराए में वृद्धि किए जाने की मांग प्रदेश सरकार और परिवहन मंत्रालय से की है.

यात्री बसों का संचालन करना संभव नहीं

निजी बस ऑपरेटर यूनियन के संभागीय अध्यक्ष बलवंत सिंह भाटी ने बताया कि, जब तक प्रदेश सरकार बस ऑपरेटरों को राहत नहीं देगी, तब तक निजी यात्री बसों का संचालन करना संभव नहीं है. बलवंत सिंह का कहना है कि, पिछले चार महीनों में बस ऑपरेटरों को किसी भी तरह की कोई आय नहीं हुई हैं और न ही सरकार की ओर से कोई राहत मिली है. ऐसे में इतने महीनों से बंद पड़ी बसों पर लगने वाले टैक्स को माफ कर सरकार को बस संचालकों को राहत देनी चाहिए.

ये भी पढ़िए- लॉकडाउन ने वाहन व्यापारियों की तोड़ी कमर, नहीं बिक रहे टू-व्हीलर-फोर व्हीलर वाहन

बता दें, लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ निजी बस संचालकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, बल्कि इस व्यवसाय से जुड़े ड्राइवर, परिचालक, क्लीनर और एजेंट भी रोजगार विहीन हो गए हैं. बसें नहीं चलाए जाने से इस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों परिवारों के सामने भूखों मरने के हालात खड़े हो गए हैं.

शासन के निर्देशों पर किया जाएगा काम

वहीं इस मामले में जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी का कहना है कि, 'इस संबंध में निजी यात्री बस यूनियन और शासन के बीच बातचीत हुई है. शासन जिस तरह निर्देश जारी करेगा, उसका पालन करते हुए काम किया जाएगा'. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि, 'जो भी बस ऑपरेटर बसों का संचालन शुरू करना चाहते हैं, वे सोशल डिस्टेंसिंग और नियमों का पालन कर परमिट लेकर यात्री बसों का संचालन कर सकते हैं'.

फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रहे निजी यात्री बस संचालक, टैक्स की माफी और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों के मुताबिक यात्री का किराया तय किए जाने की मांग को लेकर बसों का संचालन शुरू करने को तैयार नहीं है. वहीं प्रदेश सरकार और निजी बस ऑपरेटर्स की लड़ाई में बस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों परिवारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में सरकार को जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचने की जरूरत है.

रतलाम। एक जुलाई से हुए अनलॉक के बाद लॉकडाउन के कारण बंद रही बस सेवाओं को एक बार फिर चालू करने के दिशा-निर्देश केंद्र सरकार ने जारी किए थे, लेकिन प्रदेश की सड़कों पर अब तक प्रायवेट बसे दौड़ती नजर नहीं आ रही हैं. परिवहन मंत्रालय ने देशभर में निजी बसों के संचालन के निर्देश तो जारी कर दिए, लेकिन बस ऑपरेटरों की खराब हो चुकी माली हालत इसकी इजाजत नहीं दे रही है कि, आधी क्षमता में सवारी बैठा कर संचालन शुरू कर सकें. इसके साथ ही बस संचालक लॉकडाउन की अवधि का टैक्स माफ करने की मांग कर रहे हैं.

अनलॉक में भी थमे हैं बसों के पहिए

कोरोना संक्रमण की वजह से चार महीनों से बंद पड़ी यात्री बस सेवा की वजह से ऑपरेटर पहले ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. ऐसे में बसों का संचालन फिर से शुरू करने के लिए बस ऑपरेटर यूनियन ने प्रदेश सरकार से लॉकडाउन की अवधि के दौरान बसों पर लगने वाले टैक्स को माफ करने और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों के मुताबिक यात्री किराए में वृद्धि किए जाने की मांग प्रदेश सरकार और परिवहन मंत्रालय से की है.

यात्री बसों का संचालन करना संभव नहीं

निजी बस ऑपरेटर यूनियन के संभागीय अध्यक्ष बलवंत सिंह भाटी ने बताया कि, जब तक प्रदेश सरकार बस ऑपरेटरों को राहत नहीं देगी, तब तक निजी यात्री बसों का संचालन करना संभव नहीं है. बलवंत सिंह का कहना है कि, पिछले चार महीनों में बस ऑपरेटरों को किसी भी तरह की कोई आय नहीं हुई हैं और न ही सरकार की ओर से कोई राहत मिली है. ऐसे में इतने महीनों से बंद पड़ी बसों पर लगने वाले टैक्स को माफ कर सरकार को बस संचालकों को राहत देनी चाहिए.

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बता दें, लॉकडाउन के दौरान न सिर्फ निजी बस संचालकों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, बल्कि इस व्यवसाय से जुड़े ड्राइवर, परिचालक, क्लीनर और एजेंट भी रोजगार विहीन हो गए हैं. बसें नहीं चलाए जाने से इस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों परिवारों के सामने भूखों मरने के हालात खड़े हो गए हैं.

शासन के निर्देशों पर किया जाएगा काम

वहीं इस मामले में जिला परिवहन अधिकारी दीपक माझी का कहना है कि, 'इस संबंध में निजी यात्री बस यूनियन और शासन के बीच बातचीत हुई है. शासन जिस तरह निर्देश जारी करेगा, उसका पालन करते हुए काम किया जाएगा'. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि, 'जो भी बस ऑपरेटर बसों का संचालन शुरू करना चाहते हैं, वे सोशल डिस्टेंसिंग और नियमों का पालन कर परमिट लेकर यात्री बसों का संचालन कर सकते हैं'.

फिलहाल आर्थिक संकट से जूझ रहे निजी यात्री बस संचालक, टैक्स की माफी और डीजल की बढ़ी हुई कीमतों के मुताबिक यात्री का किराया तय किए जाने की मांग को लेकर बसों का संचालन शुरू करने को तैयार नहीं है. वहीं प्रदेश सरकार और निजी बस ऑपरेटर्स की लड़ाई में बस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों परिवारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में सरकार को जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचने की जरूरत है.

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