रतलाम। रेलवे स्टेशन रतलाम पर चाइल्डलाइन टीम ने पटना अहमदाबाद एक्सप्रेस से बिहार के 3 बच्चों को रेस्क्यू किया है. रतलाम चाइल्ड लाइन की टीम को सूचना मिली थी कि पटना अहमदाबाद ट्रेन से कोटा रेलवे स्टेशन पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग के संदेह में 8 बच्चों को उतारा गया है, जिसके बाद रतलाम रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ और जीआरपी की मदद से जब चाइल्डलाइन की टीम ने ट्रेन के बी-1 एसी कोच में तलाशी ली, तो उन्हें वहां तीन बच्चे मिले. जिन्होंने पूछताछ के दौरान पढ़ाई के लिए अहमदाबाद जाने की बात कही.
टीम को शक होने पर तीनों बच्चों को रतलाम रेलवे स्टेशन पर उतार कर उनकी काउंसलिंग की गई, जिसके बाद रतलाम के अलावा आगे के स्टेशनों पर भी करीब 7 और 32 बच्चों को ट्रेन से उतार कर चाइल्डलाइन को सौंप दिया गया है.
50 से ज्यादा बच्चों का रेस्क्यू
प्रारंभिक पूछताछ में ये मामला ह्यूमन ट्रैफिकिंग का लग रहा है, जिसमें पटना से कई बच्चों को ट्रेन से अहमदाबाद ले जाया जा रहा था. वहीं बच्चों को ट्रेन में लेकर जा रहा एक संदिग्ध व्यक्ति अपने आप को बच्चों का मामा होना बता रहा था, लेकिन बच्चों को ट्रेन से उतारने के बाद वह सामान लेने के बहाने चलती ट्रेन में सवार हो गया. चाइल्ड लाइन के डायरेक्टर के मुताबिक प्रारंभिक तौर पर यह मामला ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़ा हुआ लग रहा है, जिसकी FIR रतलाम जीआरपी थाने पर भी दर्ज करवाई जा रही है. वहीं कोटा, रतलाम और अहमदाबाद रेलवे स्टेशन पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग के संदेह में 50 से अधिक बच्चों का रेस्क्यू करवाया गया है.
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बहरहाल, ह्यूमन ट्रैफिकिंग की आशंका में रतलाम सहित अलग-अलग स्टेशनों पर रोके गए इन छोटे बच्चों ने यह जानकारी दी है कि उन्हें पढ़ाई के लिए बिहार से अहमदाबाद ले जाया जा रहा था, लेकिन लॉकडाउन के दौरान जहां सभी शिक्षण संस्थाएं इस वक्त बंद हैं, ऐसे में इतनी संख्या में बच्चों को ले जाने का मामला किसी बड़े स्कैंडल से जुड़ा हो सकता है.
क्या होता है ह्यूमन ट्रैफिकिंग ?
किसी व्यक्ति को बल प्रयोग कर, डराकर, धोखा देकर, हिंसा जैसे तरीकों से भर्ती, तस्करी या बंधक बनाकर रखना मानव तस्करी के अंतर्गत आता है. इसमें पीड़ित व्यक्ति से देह व्यापार, घरेलू काम, गुलामी इत्यादि कार्य पीड़ित व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध कराए जाते हैं. इस अपराध में कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जाता है.
मानव तस्करी (निवारण, संरक्षण, पुनर्वास) बिल 2018
प्रस्तावित विधेयक में मानव तस्करी के दोषी लोगों को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास और न्यूनतम एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसमें बचाये गए लोगों की त्वरित सुरक्षा और उनका पुनर्वास का प्रावधान है. शारीरिक, मानसिक आघात से निपटने के लिए पीड़ित 30 दिनों के अंदर अंतरिम सहायता का हकदार है और अभियोग पत्र दाखिल करने की तारीख से 60 दिनों के अंदर उचित राहत प्रदान की जाएगी.