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स्वास्थ्य विभाग का हाल बेहाल, SNCU में 15% नवजात बच्चों ने तोड़ा दम - Ratlam SNCU Newborns Death

रतलाम के जिला चिकित्सालय की एसएनसीयू यूनिट में प्रीमेच्योर और शून्य से 3 महीने तक के कम वजन वाले बीमार नवजात बच्चों का उपचार किया जाता है. एसएनसीयू में दिसंबर महीने में 50 बच्चों की मौत हुई है जो दिसंबर महीने में भर्ती हुए नवजात बच्चों की संख्या का 15% है.

50 newborns died in December in Ratlam SNCU
स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट रतलाम
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Published : Jan 8, 2020, 12:46 PM IST

रतलाम। शहर के मातृ शिशु चिकित्सालय स्थित स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में दिसंबर महीने में 50 नवजात बच्चों की मौत हुई है जो दिसंबर माह में भर्ती हुए नवजात बच्चों की संख्या का 15% है. वहीं इस साल में नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा एक अप्रैल से अब तक 463 पहुंच गया है. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन के मुताबिक नवजात बच्चों की मौत का प्रतिशत 12 से 15% तक होता है.

स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट रतलाम
सिविल सर्जन का कहना है कि एसएनसीयू यूनिट में भर्ती होने वाले बच्चों में सर्वाधिक संख्या एक किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों की होती है. साथ ही सांस संबंधी समस्या से ग्रस्त बच्चों की संख्या भी बहुत अधिक होती है. जिसकी वजह से नवजात बच्चों की मौत का प्रतिशत 12 से 15% तक होता है. लेकिन आसमां प्रोजेक्ट के तहत एमसीएच और एसएनसीयू यूनिट में भर्ती होने वाली मां और बच्चों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग कर नवजात बच्चों की मौत के आंकड़े को कम करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है.

रतलाम। शहर के मातृ शिशु चिकित्सालय स्थित स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) में दिसंबर महीने में 50 नवजात बच्चों की मौत हुई है जो दिसंबर माह में भर्ती हुए नवजात बच्चों की संख्या का 15% है. वहीं इस साल में नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा एक अप्रैल से अब तक 463 पहुंच गया है. जिला अस्पताल के सिविल सर्जन के मुताबिक नवजात बच्चों की मौत का प्रतिशत 12 से 15% तक होता है.

स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट रतलाम
सिविल सर्जन का कहना है कि एसएनसीयू यूनिट में भर्ती होने वाले बच्चों में सर्वाधिक संख्या एक किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों की होती है. साथ ही सांस संबंधी समस्या से ग्रस्त बच्चों की संख्या भी बहुत अधिक होती है. जिसकी वजह से नवजात बच्चों की मौत का प्रतिशत 12 से 15% तक होता है. लेकिन आसमां प्रोजेक्ट के तहत एमसीएच और एसएनसीयू यूनिट में भर्ती होने वाली मां और बच्चों की ऑनलाइन मॉनिटरिंग कर नवजात बच्चों की मौत के आंकड़े को कम करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है.
Intro:रतलाम के मातृ शिशु चिकित्सालय स्थित एसएनसीयू में दिसंबर महीने में 50 नवजात बच्चों की मौत हुई है जो दिसंबर माह में भर्ती हुए नवजात बच्चों की संख्या का 15% के है । वहीं इस वित्तीय वर्ष में नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा 1 अप्रैल से अब तक 463 पहुंच गया है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन के मुताबिक नवजात बच्चों की मौत का प्रतिशत 12 से 15% तक होता है। सिविल सर्जन का कहना है कि एसएनसीयू यूनिट में भर्ती होने वाले बच्चों में सर्वाधिक संख्या 1 किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों की होती है। साथ ही श्वसन संबंधी समस्या से ग्रस्त बच्चों की संख्या भी बहुत अधिक होती है। जिसकी वजह से नवजात बच्चों की मौत का प्रतिशत 12 से 15% तक होता है। लेकिन आसमां प्रोजेक्ट के तहत एमसीएच और एसएनसीयू यूनिट में भर्ती होने वाली माता और बच्चे की ऑनलाइन मॉनिटरिंग कर नवजात बच्चों की मौत के आंकड़े को कम करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है ।


Body:दरअसल रतलाम के जिला चिकित्सालय की एसएनसीयू यूनिट में प्रीमेच्योर और शून्य से 3 माह तक के कम वजन के बीमार नवजात बच्चों का उपचार किया जाता है।एसएनसीयू में दिसंबर महीने में 50 बच्चों की मौत हुई है जो दिसंबर माह में भर्ती हुए नवजात बच्चों की संख्या का 15% के है । वहीं इस वित्तीय वर्ष में नवजात बच्चों की मौत का आंकड़ा 1 अप्रैल से अब तक 463 पहुंच गया है। जिला अस्पताल के सिविल सर्जन के मुताबिक नवजात बच्चों की मौत का प्रतिशत 12 से 15% तक होता है। सिविल सर्जन का कहना है कि एसएनसीयू यूनिट में भर्ती होने वाले बच्चों में सर्वाधिक संख्या 1 किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों की होती है। साथ ही श्वसन संबंधी समस्या से ग्रस्त बच्चों की संख्या भी बहुत अधिक होती है। जिसकी वजह से नवजात बच्चों की मौत का प्रतिशत 12 से 15% तक होता है।


Conclusion:बहरहाल आसमां प्रोजेक्ट के तहत एमसीएच और एसएनसीयू यूनिट में भर्ती होने वाली माता और बच्चे की ऑनलाइन मॉनिटरिंग कर नवजात बच्चों की मौत के आंकड़े को कम करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है ।

बाइट 01- डॉ आनंद चंदेलकर (सिविल सर्जन ,जिला अस्पताल रतलाम)
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