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महिला पैरा साइकिलस्ट: बिना रुके तान्या ने एक पैर से चलाई कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक साइकिल - Women of Para Cyclist

आज हम एक लड़की की बात कर रहे हैं जिसने अपना एक पैर गंवाने के बावजूद भी हिम्मत नहीं हारी और एक पैर से ही साइकिल चलाकर उसने 3800 किलोमीटर का सफर तय किया और देश का नाम रोशन किया. जानिए तान्या डागा के बारे में...

Women of Para Cyclist
महिला पैरा साइकिलस्ट
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Published : Jan 12, 2021, 6:47 AM IST

राजगढ़। कहते हैं कि जिनके पास हौसलों की उड़ान होती है वह किसी भी परिस्थिति में घबराते नहीं हैं और ऐसे लोग जो मन में ठान लेते हैं वह किसी मंजिल को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. एक ऐसे ही कहानी राजगढ़ जिले की तान्या डागा की है. जिनका एक पैर नहीं है लेकिन एक पैरे से ही 3800 किलोमीटर साइकिलिंग कर देश और प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं. तान्या डागा इतनी लंबी यात्रा करने वाली देश की पहली महिला पैरा साइकिलस्ट है. वह हादसे में अपना एक पैर गंवा चुकी है लेकिन तान्या ने कभी हिम्मत नहीं हारी. तान्या ने अपने जनून के दम पर एक पैर से ही कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक साइकिल रेस पूरी की है. तान्या ने 43 दिनों में साइकिलिंग से 3800 किलोमीटर का सफर तय किया है.

तान्या के जज्बे को सलाम

तान्या की जिद, जुनून, जज्बा, अब यही है पहचान

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर की रहने वाली तान्या डागा ने एक पांव से 3800 किलोमीटर साइकिल चलाकर जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरा देश नाम रोशन किया है. तान्या ने 19 नवंबर को यात्रा शुरू की थी और 31 दिसंबर को 43 दिन में इसे पूरा किया. यह कारनामा करने वाली तान्या देश की पहली महिला पैरा साइकिलस्ट बन गई है.

Tanya Daga
तान्या डागा

तान्या डागा का मुकाम पीड़ा

तान्या ने बताया कि 2018 में एमबीए की पढ़ाई के लिए वह देहरादून गई. वहां कार की टक्कर से एक पैर कट गया. देहरादून से तान्या को इंदौर रेफर किया गया, जहां दो सर्जरी हुई, लेकिन जिंदा रहने की गारंटी कोई नहीं दे रहा था, फिर तान्या को दिल्ली शिफ्ट किया गया, जहां 6 महीने इलाज चला हर सर्जरी पर मुझे 3000 टांके आते थे. हादसे में एक पैर गंवाने के बाद, तान्या आदित्य मेहता फाउंडेशन से जुड़ी और एक पैर से साइक्लिंग शुरु की. यहां मेरे लिए काफी कठिन समय था, क्योंकि साइकिल चलाने के दौरान पैर से कही बार खून आने लगता था. सबसे पहले तान्या ने 100 किलोमीटर साइक्लिंग की. जिसमें वो टॉप टेन में रही. इस बीच बीएसएफ द्वारा कश्मीर से कन्याकुमारी तक इन्फिनिटी राइट साइक्लिंग का आयोजन किया गया. 30 साइक्लिस्ट में से 9 पैरा साइक्लिस्ट थे, एक पैर से इतनी लंबी यात्रा करने पर तान्या को बीएसएफ द्वारा सम्मानित भी किया गया.

Tanya Daga
तान्या डागा
पिता की मौत के बाद भी नहीं रोकी यात्रा

हादसे में एक पैर गंवा चुकी तान्या ने एक पैर से साइकिल चला कर कश्मीर से कन्याकुमारी तक 3800 किलोमीटर की दूरी तय की. 19 नवंबर 2020 से उन्होंने यात्रा शुरू की थी, जो 31 दिसंबर 2020 को पूरी हुई. यात्रा के दौरान बेंगलुरु पहुंची तो 18 दिसम्बर को खबर आई कि उनके पिता आलोक डागा की मृत्यु हो गई है. 19 दिसम्बर को तान्या ब्यावरा पहुंची ओर 22 दिसंबर को फिर साइकिलिंग पर निकल गई. तान्या ने पिता की मौत के सदमे में थी फिर भी यात्रा नहीं छोड़ी.

नगर में हुआ भव्य स्वागत

मध्यप्रदेश के राजगढ़ में देश व प्रदेश का नाम रोशन कर तान्या डागा 5 जनवरी शाम तक उज्जैन से होते हुए ब्यावरा पहुंची. जहां ब्यावरा शहर के नगर में प्रवेश के साथ लोगों ने तान्या का फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया और तान्या को बधाई दी.

राजगढ़। कहते हैं कि जिनके पास हौसलों की उड़ान होती है वह किसी भी परिस्थिति में घबराते नहीं हैं और ऐसे लोग जो मन में ठान लेते हैं वह किसी मंजिल को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं. एक ऐसे ही कहानी राजगढ़ जिले की तान्या डागा की है. जिनका एक पैर नहीं है लेकिन एक पैरे से ही 3800 किलोमीटर साइकिलिंग कर देश और प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे हैं. तान्या डागा इतनी लंबी यात्रा करने वाली देश की पहली महिला पैरा साइकिलस्ट है. वह हादसे में अपना एक पैर गंवा चुकी है लेकिन तान्या ने कभी हिम्मत नहीं हारी. तान्या ने अपने जनून के दम पर एक पैर से ही कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक साइकिल रेस पूरी की है. तान्या ने 43 दिनों में साइकिलिंग से 3800 किलोमीटर का सफर तय किया है.

तान्या के जज्बे को सलाम

तान्या की जिद, जुनून, जज्बा, अब यही है पहचान

मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर की रहने वाली तान्या डागा ने एक पांव से 3800 किलोमीटर साइकिल चलाकर जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक पूरा देश नाम रोशन किया है. तान्या ने 19 नवंबर को यात्रा शुरू की थी और 31 दिसंबर को 43 दिन में इसे पूरा किया. यह कारनामा करने वाली तान्या देश की पहली महिला पैरा साइकिलस्ट बन गई है.

Tanya Daga
तान्या डागा

तान्या डागा का मुकाम पीड़ा

तान्या ने बताया कि 2018 में एमबीए की पढ़ाई के लिए वह देहरादून गई. वहां कार की टक्कर से एक पैर कट गया. देहरादून से तान्या को इंदौर रेफर किया गया, जहां दो सर्जरी हुई, लेकिन जिंदा रहने की गारंटी कोई नहीं दे रहा था, फिर तान्या को दिल्ली शिफ्ट किया गया, जहां 6 महीने इलाज चला हर सर्जरी पर मुझे 3000 टांके आते थे. हादसे में एक पैर गंवाने के बाद, तान्या आदित्य मेहता फाउंडेशन से जुड़ी और एक पैर से साइक्लिंग शुरु की. यहां मेरे लिए काफी कठिन समय था, क्योंकि साइकिल चलाने के दौरान पैर से कही बार खून आने लगता था. सबसे पहले तान्या ने 100 किलोमीटर साइक्लिंग की. जिसमें वो टॉप टेन में रही. इस बीच बीएसएफ द्वारा कश्मीर से कन्याकुमारी तक इन्फिनिटी राइट साइक्लिंग का आयोजन किया गया. 30 साइक्लिस्ट में से 9 पैरा साइक्लिस्ट थे, एक पैर से इतनी लंबी यात्रा करने पर तान्या को बीएसएफ द्वारा सम्मानित भी किया गया.

Tanya Daga
तान्या डागा
पिता की मौत के बाद भी नहीं रोकी यात्रा

हादसे में एक पैर गंवा चुकी तान्या ने एक पैर से साइकिल चला कर कश्मीर से कन्याकुमारी तक 3800 किलोमीटर की दूरी तय की. 19 नवंबर 2020 से उन्होंने यात्रा शुरू की थी, जो 31 दिसंबर 2020 को पूरी हुई. यात्रा के दौरान बेंगलुरु पहुंची तो 18 दिसम्बर को खबर आई कि उनके पिता आलोक डागा की मृत्यु हो गई है. 19 दिसम्बर को तान्या ब्यावरा पहुंची ओर 22 दिसंबर को फिर साइकिलिंग पर निकल गई. तान्या ने पिता की मौत के सदमे में थी फिर भी यात्रा नहीं छोड़ी.

नगर में हुआ भव्य स्वागत

मध्यप्रदेश के राजगढ़ में देश व प्रदेश का नाम रोशन कर तान्या डागा 5 जनवरी शाम तक उज्जैन से होते हुए ब्यावरा पहुंची. जहां ब्यावरा शहर के नगर में प्रवेश के साथ लोगों ने तान्या का फूल मालाओं से भव्य स्वागत किया और तान्या को बधाई दी.

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