ETV Bharat / state

अपनाए प्रो ट्रे तकनीक और पाए अधिक मुनाफा, जाने क्या है इसके उपयोग और फायदें

author img

By

Published : Jul 8, 2020, 8:30 PM IST

बारिश के मौसम में सब्जी की फसल अधिक खराब होती है, जिसकी देख-रेख भी अधिक करनी पड़ती है. जिसे देखते हुए राजगढ़ कृषि अनुसंधान के कृषि वैज्ञानिक ने विशेष जानकारियां दी है. साथ ही प्रो ट्रे यानी तस्तरी पद्धति को अपनाने की बात कही है. इस विषय में उन्होंने प्रो ट्रे के फायदें भी बताएं है.

Use of Pro tray technology and Benefits of Pro Tray in rajgarh
प्रो ट्रे तकनीक

राजगढ़। कृषि के क्षेत्र में नए-नए अनुसंधान हो रहे हैं. जिसके तहत नई-नई पद्धति का अविष्कार किया जा रहा है. ऐसा ही एक तकनीक है प्रो ट्रे यानी तस्तरी विधि, इस विधि से किसान सब्जी की फसल की नर्सरी लगाकर उन्नत फसल ले सकते है. राजगढ़ जिले में कृषि वैज्ञानिक आधुनिक तकनीक प्रो ट्रे में सब्जी के पौधे तैयार करने की विधि किसानों को बता रहे हैं. जिससे क्षेत्र के सब्जी उत्पादक किसान परंपरागत तकनीक को छोड़कर आधुनिक तकनीक की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

प्रो ट्रे तकनीक है बेहद सरल

प्रो ट्रे पद्धति से सब्जी लगाने का किसानों को भरपूर फायदा मिलता हैं. इस विधि से क्षेत्र के किसान अपने खेत में खीरा और कद्दूवर्गीय सब्जी के पौध तैयार कर सकते है. संतोष कुमार प्रो ट्रे में सब्जी बीज की नर्सरी तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह तरीका बेहद सरल और झंझट से मुक्त है. इसमें कीट व्याधि का प्रकोप भी बहुत कम होता है, जिससे उत्पादकता बढ़ती हैं.

प्रो ट्रे तकनीक का कैसे करें उपयोग

सब्जी की खेती में होता हैं मुनाफा

कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि इस तकनीक का उपयोग करने से सब्जी की खेती अच्छी कर सकते है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस विधि को अपनाने से पौधों में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती, जिससे किसानों को मुनाफा होता है.

राजगढ़ जिले में किसानों ने सोयाबीन और मक्के की बुवाई कर ली है. वहीं सोयाबीन के साथ अपने खेतों में खरीफ की फसलें ना लेते हुए किसान सब्जियां लगा रहे है, ताकि अच्छा मुनाफा कमा सके. जहां कई लोग अपने घरों के अंदर भी सब्जियां लगा रहे है. जिससे उन्हें शुद्ध ताजी सब्जी मिल रही है. मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों से किसानों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. जिसे देखते हुए कृषि वैज्ञानिक ने प्रो ट्रे विधि को अपनाने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि अगर इस तकनीक से किसान अपने खेतों में सब्जी की फसल लगाता है और उपचार करता है तो सब्जी की फसल संभवतः अच्छी होती है. उसका बीज भी पानी के साथ नहीं बहता है.

कृषि वैज्ञानिक लाल सिंह ने प्रो ट्रे का उपयोग कैसे कर सकते है और इससे एक अच्छी फसल कैसे ले सकते है इसके बारे में बताया है.

प्रो ट्रे का उपयोग कैसे करें

  • सब्जी लगाने की नई तकनीक को प्रो ट्रे या प्लास्टिक तकनीक कहते है. जिसके माध्यम से सब्जी की खेती आसानी से की जा सकती है. ये ट्रे ज्यादा महंगी नहीं आती है. एक ट्रे की कीमत लगभग 15 से 20 रुपए होती है. वहीं इस ट्रे में लगभग 80 से 100 खाने होते है, जिससे आप मान सकते है कि 20 रुपए की ट्रे में आप 100 पौधे लगा सकते है.
  • अगर आपको एक हजार पौधे लगाने है तो आप 5 से 10 ट्रे में इसकी खेती कर सकते है. वहीं आप नेट हाउस बनाकर जहां पानी ज्यादा नहीं गिरता ऐसी जगह पर प्लास्टिक ट्रे के जरिए आसानी से पौधे उगा सकते है. इसके साथ ही soil less media यानी मिट्टी के अलावा जो मीडिया आता है, जैसे कोको बिट मीडिया, पर्मिक्विड है, ये भी काफी सस्ता आता है. जिसमें आप अपने बीज का अंकुरण कर सकते है. उसको अच्छे से मिलाकर प्लास्टिक ट्रे में भर दें और एक-एक दाना जैसे कि संकर बीज जो काफी महंगा और उन्नत किस्म है उसको एक-एक खाने में लगा दे. जिसके बाद झारे से उस पर सिंचाई करें.

प्रो ट्रे तकनीक के फायदें

  • अगर अधिक बारिश होती है तो किसान अपनी प्लास्टिक ट्रे को आसानी से ले जाकर सुरक्षित जगह पर रख सकता है.
  • इस तकनीक से किसान अपने पौधों को कई बीमारियों और कीड़ों से बचा सकता है. देखा जाता है कि बारिश के मौसम के दौरान कई कीड़े और बीमारियां सब्जी के बीज और छोटे पौधे को काफी नुकसान पहुंचाती है, लेकिन प्लास्टिक ट्रे को सुरक्षित स्थान में रखने से उसे बचाया जा सकता हैं.
  • इस पद्धति से लगाई सब्जी की गुणवत्ता अच्छी होती है. साथ ही समय की बचत होती है.
  • इससे बेमौसमी सब्जी की फसल ले सकते हैं.
  • कम क्षेत्र में अधिक पौधे तैयार करना संभव होता है, जिससे समय और जगह दोनों की बचत होती है.
  • पौधों की बढ़वार एक समान होती हैं.
  • इस तकनीक का उपयोग करते हुए अपने छोटे से पौधे की काफी अच्छे तरीके से देखभाल कर सकते है. जिसके बाद जब पौधा थोड़ा बडा होने लगे तो उसको फिर से निकाल कर आसानी से खेत में बोया जा सकता है. जिससे उसकी फसल को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा.
  • इस वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग कर घर से ही सब्जी का व्यवसाय किया जा सकता हैं.

कृषि वैज्ञानिक लाल सिंह ने जो किसान सब्जी की खेती कर रहा है, उनके लिए विशेष जानकारी दी है.

  • बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा जरुरी है कि वह अपने खेतों में या अपने बगीचे में उठी हुई क्यारी का निर्माण करें. इसका ये फायदा होता है कि अगर लगातार बारिश होती है तो पानी आसपास से निकल जाता है, जिससे बीज और पौधा सुरक्षित रहता है.
  • अगर किसान नर्सरी में अपनी खेती करना चाहता है, तो वह सबसे पहले ये देखे की जिस जगह वो खेती कर रहा है वहां सामान्य जमीन से थोड़ी ऊपर हो. जहां खेती करनी है उस जमीन की अच्छी से कुड़ाई कर ले. उसमें तीन मीटर लंबी और एक मीटर चौड़ी क्यारी बना ले, क्यारी बनाने में ध्यान रखे कि 15-20 सेंटीमीटर उच्ची क्यारी बनाए. उसमें अच्छे तरीके से गोबर या फिर केंचुए की खाद मिला दे. इसके अलावा ट्राइकोडर्मा भी मिला दें.
  • इसके बाद बीज की लाइन में बोनी कर दें. लाइन में बीज बोने से पौधे काफी अच्छी तरह से उगते हैं, जिससे काफी फायदा होता है. एक लाइन से दूसरी लाइन के बीच में कम से कम 5 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए और गहराई 2.5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. बीज बोने के बाद उसे पत्तियों या सूखी घास से ढक दें, जिसके बाद क्यारियों पर 4 से 5 दिन तक हल्की फुहारों से सिंचाई करे.
  • बहुत बार देखा गया है कि पौधे के साथ-साथ खरपतवार भी उग आती है. वहीं लाइन में की गई खेती की वजह से खरपतवार को आसानी से निकाला जा सकता है.

राजगढ़। कृषि के क्षेत्र में नए-नए अनुसंधान हो रहे हैं. जिसके तहत नई-नई पद्धति का अविष्कार किया जा रहा है. ऐसा ही एक तकनीक है प्रो ट्रे यानी तस्तरी विधि, इस विधि से किसान सब्जी की फसल की नर्सरी लगाकर उन्नत फसल ले सकते है. राजगढ़ जिले में कृषि वैज्ञानिक आधुनिक तकनीक प्रो ट्रे में सब्जी के पौधे तैयार करने की विधि किसानों को बता रहे हैं. जिससे क्षेत्र के सब्जी उत्पादक किसान परंपरागत तकनीक को छोड़कर आधुनिक तकनीक की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

प्रो ट्रे तकनीक है बेहद सरल

प्रो ट्रे पद्धति से सब्जी लगाने का किसानों को भरपूर फायदा मिलता हैं. इस विधि से क्षेत्र के किसान अपने खेत में खीरा और कद्दूवर्गीय सब्जी के पौध तैयार कर सकते है. संतोष कुमार प्रो ट्रे में सब्जी बीज की नर्सरी तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह तरीका बेहद सरल और झंझट से मुक्त है. इसमें कीट व्याधि का प्रकोप भी बहुत कम होता है, जिससे उत्पादकता बढ़ती हैं.

प्रो ट्रे तकनीक का कैसे करें उपयोग

सब्जी की खेती में होता हैं मुनाफा

कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि इस तकनीक का उपयोग करने से सब्जी की खेती अच्छी कर सकते है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस विधि को अपनाने से पौधों में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती, जिससे किसानों को मुनाफा होता है.

राजगढ़ जिले में किसानों ने सोयाबीन और मक्के की बुवाई कर ली है. वहीं सोयाबीन के साथ अपने खेतों में खरीफ की फसलें ना लेते हुए किसान सब्जियां लगा रहे है, ताकि अच्छा मुनाफा कमा सके. जहां कई लोग अपने घरों के अंदर भी सब्जियां लगा रहे है. जिससे उन्हें शुद्ध ताजी सब्जी मिल रही है. मध्य प्रदेश में पिछले कुछ सालों से किसानों की फसल को काफी नुकसान पहुंचा है. जिसे देखते हुए कृषि वैज्ञानिक ने प्रो ट्रे विधि को अपनाने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि अगर इस तकनीक से किसान अपने खेतों में सब्जी की फसल लगाता है और उपचार करता है तो सब्जी की फसल संभवतः अच्छी होती है. उसका बीज भी पानी के साथ नहीं बहता है.

कृषि वैज्ञानिक लाल सिंह ने प्रो ट्रे का उपयोग कैसे कर सकते है और इससे एक अच्छी फसल कैसे ले सकते है इसके बारे में बताया है.

प्रो ट्रे का उपयोग कैसे करें

  • सब्जी लगाने की नई तकनीक को प्रो ट्रे या प्लास्टिक तकनीक कहते है. जिसके माध्यम से सब्जी की खेती आसानी से की जा सकती है. ये ट्रे ज्यादा महंगी नहीं आती है. एक ट्रे की कीमत लगभग 15 से 20 रुपए होती है. वहीं इस ट्रे में लगभग 80 से 100 खाने होते है, जिससे आप मान सकते है कि 20 रुपए की ट्रे में आप 100 पौधे लगा सकते है.
  • अगर आपको एक हजार पौधे लगाने है तो आप 5 से 10 ट्रे में इसकी खेती कर सकते है. वहीं आप नेट हाउस बनाकर जहां पानी ज्यादा नहीं गिरता ऐसी जगह पर प्लास्टिक ट्रे के जरिए आसानी से पौधे उगा सकते है. इसके साथ ही soil less media यानी मिट्टी के अलावा जो मीडिया आता है, जैसे कोको बिट मीडिया, पर्मिक्विड है, ये भी काफी सस्ता आता है. जिसमें आप अपने बीज का अंकुरण कर सकते है. उसको अच्छे से मिलाकर प्लास्टिक ट्रे में भर दें और एक-एक दाना जैसे कि संकर बीज जो काफी महंगा और उन्नत किस्म है उसको एक-एक खाने में लगा दे. जिसके बाद झारे से उस पर सिंचाई करें.

प्रो ट्रे तकनीक के फायदें

  • अगर अधिक बारिश होती है तो किसान अपनी प्लास्टिक ट्रे को आसानी से ले जाकर सुरक्षित जगह पर रख सकता है.
  • इस तकनीक से किसान अपने पौधों को कई बीमारियों और कीड़ों से बचा सकता है. देखा जाता है कि बारिश के मौसम के दौरान कई कीड़े और बीमारियां सब्जी के बीज और छोटे पौधे को काफी नुकसान पहुंचाती है, लेकिन प्लास्टिक ट्रे को सुरक्षित स्थान में रखने से उसे बचाया जा सकता हैं.
  • इस पद्धति से लगाई सब्जी की गुणवत्ता अच्छी होती है. साथ ही समय की बचत होती है.
  • इससे बेमौसमी सब्जी की फसल ले सकते हैं.
  • कम क्षेत्र में अधिक पौधे तैयार करना संभव होता है, जिससे समय और जगह दोनों की बचत होती है.
  • पौधों की बढ़वार एक समान होती हैं.
  • इस तकनीक का उपयोग करते हुए अपने छोटे से पौधे की काफी अच्छे तरीके से देखभाल कर सकते है. जिसके बाद जब पौधा थोड़ा बडा होने लगे तो उसको फिर से निकाल कर आसानी से खेत में बोया जा सकता है. जिससे उसकी फसल को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होगा.
  • इस वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग कर घर से ही सब्जी का व्यवसाय किया जा सकता हैं.

कृषि वैज्ञानिक लाल सिंह ने जो किसान सब्जी की खेती कर रहा है, उनके लिए विशेष जानकारी दी है.

  • बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा जरुरी है कि वह अपने खेतों में या अपने बगीचे में उठी हुई क्यारी का निर्माण करें. इसका ये फायदा होता है कि अगर लगातार बारिश होती है तो पानी आसपास से निकल जाता है, जिससे बीज और पौधा सुरक्षित रहता है.
  • अगर किसान नर्सरी में अपनी खेती करना चाहता है, तो वह सबसे पहले ये देखे की जिस जगह वो खेती कर रहा है वहां सामान्य जमीन से थोड़ी ऊपर हो. जहां खेती करनी है उस जमीन की अच्छी से कुड़ाई कर ले. उसमें तीन मीटर लंबी और एक मीटर चौड़ी क्यारी बना ले, क्यारी बनाने में ध्यान रखे कि 15-20 सेंटीमीटर उच्ची क्यारी बनाए. उसमें अच्छे तरीके से गोबर या फिर केंचुए की खाद मिला दे. इसके अलावा ट्राइकोडर्मा भी मिला दें.
  • इसके बाद बीज की लाइन में बोनी कर दें. लाइन में बीज बोने से पौधे काफी अच्छी तरह से उगते हैं, जिससे काफी फायदा होता है. एक लाइन से दूसरी लाइन के बीच में कम से कम 5 सेंटीमीटर की दूरी होनी चाहिए और गहराई 2.5 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. बीज बोने के बाद उसे पत्तियों या सूखी घास से ढक दें, जिसके बाद क्यारियों पर 4 से 5 दिन तक हल्की फुहारों से सिंचाई करे.
  • बहुत बार देखा गया है कि पौधे के साथ-साथ खरपतवार भी उग आती है. वहीं लाइन में की गई खेती की वजह से खरपतवार को आसानी से निकाला जा सकता है.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.